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candida funguscandida fungus

फंगस यानी फंफूद को हिंदी में सामान्यतः दाद या खाज बोला जाता है। यह हमारे चेहरे पर, जननांगों के पास, बगल में या कहीं भी अपनी कॉलोनी बना लेती है। हमने एंटीबायोटिक्स का नासमझी से और जरूरत से ज्यादा उपयोग करके शरीर के लिए लाभदायक लगभग सभी बैक्टीरिया को खत्म कर दिया है जो हमारी त्वचा पर रह कर हानिकारक फफूंद को मार भागते थे।

पंकज गंगवार

पूरी दुनिया में कैंडिडा (candida) और टीनिया (tinea) जैसी फंगस या फफूंद (fungus) का आतंक फैला हुआ है, चाहे वह अमेरिका का कोई महानगर हो या फिर भारत का कोई छोटा-सा गांव, फंगस हर जगह किसी न किसी रूप में परेशानी का सबब बना हुआ है। फंगस को हिंदी में सामान्यतः दाद या खाज बोला जाता है। यह हमारे चेहरे पर, जननांगों के पास, बगल में या कहीं भी अपनी कॉलोनी बना लेती है। प्रभावित स्थान पर पहले खुजली होती है और बाद में पस निकलने लगता है। शरीर के जिन हिस्सों में नमी बनी रहती है, वहां पर फंगस इन्फेक्शन (Fungus infection) की ज्यादा आशंका होती है।

मैं कई लोगों को जानता हूं जो बरसों से फंगस के संक्रमण से ग्रसित हैं और लाखों रुपये त्वचा रोग विशेषज्ञ को देने के बाद भी इससे मुक्त नहीं हो सके हैं। जितनी भी एंटीफंगल दवाएं हैं वे इस पर नाकामयाब हो रही हैं। हालांकि ये दवाएं कुछ दिन तक के लिए इस बीमारी को दबा देती हैं पर फंगस इन्फेक्शन जल्द ही फिर सर उठाने लगता है।

हमें सोचना होगा की फंगस का इतना आतंक क्यों फैला हुआ है और इससे निजात पाने के उपाय क्या हैं। इसके लिए हमें थोड़ा पीछे जाना पड़ेगा, उस समय में जब दुनिया की पहली एंटीबायोटिक पेनिसिलिन की खोज एलेग्जेंडर फ्लेमिंग ने की थी। आप सभी ने हाईस्कूल में पढ़ा होगा कि एक पेट्री डिश में फफूंद हो गयी थी और उसमें जो बैक्टीरिया का कल्चर था, फफूंद उसको खा रही थी। इसे देखकर फ्लेमिंग ने सोचा कि क्या बैक्टरिया को मारने के लिए फफूंद में कोई तत्व होता है। इस तरह पेनिसिलिन नामक पहली एंटीबायोटिक दवा की खोज हुई।

आज जनमानस में अवधारणा है कि जीवाणु या बैक्टीरिया हमारे सबसे बड़े दुश्मन हैं। विज्ञापनों में चाहे वह साबुन का हो, किसी लिक्विड का हो या किसी फ्लोर क्लीनर या टॉयलेट क्लीनर का, सभी में यही बताया जाता है कि बैक्टीरिया हमारे सबसे बड़े दुश्मन हैं। जबकि बात इतनी-सी है कि बैक्टीरिया में कुछ दुश्मन हो सकते हैं लेकिन सभी नहीं। आज हमारी स्थिति ऐसी हो गई है कि एक गांव में हमारे एक-दो दुश्मन रहते हैं और उनको मारने के लिए हम पूरे गांव को जिसमें अधिकतर लोग हमारे मित्र हैं, बम गिरा रहे हैं। यही दृष्टि आज जीवाणुओं को लेकर हमने अपना रखी हैं। मैं मानता हूं कि जीवाणुओं की वजह से हैजा, चेचक जैसी बीमारियां पहले फैलती थीं और हमने एंटीबायोटिक की मदद से ही उनसे मुक्ति पाई है। लेकिन, हमें सोचना होगा कि सारे जीवाणु हमारे शत्रु नहीं है बल्कि मित्र ज्यादा हैं। हमारी त्वचा पर लाखों प्रकार के जीवाणुओं के कई-कई देश बसे हुए हैं। हमारी आंतों में भी जीवाणुओं की पूरी कॉलोनी बसी हुई है जो हमारे पाचन तंत्र को बेहतर बनाते हैं। अगर आंतों में ये जीवाणु ना हों तो बहुत सारे विटामिन्स और मिनरल्स जिनका ये संश्लेषण करते हैं हमें नहीं मिल पाएंगे। हमारी आंतों में अगर इन जीवाणुओं का जरा-सा भी संतुलन बिगड़ जाए तो हमें अल्सरेटिव कोलाइटिस, आईबीएस जैसी पेट की कई गंभीर समस्याएं हो जाती हैं जो आधुनिक चिकित्सा पद्धति में लाइलाज हैं।

tinea fungus
tinea fungus

आप लोग सोच रहे होंगे कि मैं विषय से भटक गया, बात फंगस की हो रही थी और मैंने बीच में ही जीवाणुओं की चर्चा शुरू कर दी। जैसा कि आप जानते हैं प्रकृति में हर चीज एक-दूसरे को बैलेंस यानी संतुलित करती है। मांसाहारी जानवर शाकाहारी जानवरों की ज्यादा संख्या को संतुलित करते हैं। ऐसा ही फफूंद और जीवाणुओं यानी फंगल और बैक्टरिया के साथ है। बहुत से जीवाणु और फफूंद एक-दूसरे के लिए “दुश्मन तू मेरा मैं तेरी दुश्मन” जैसी स्थिति में हैं। कुछ फफूंद जीवाणुओं को खत्म करती हैं और कुछ प्रकार के जीवाणु जहां भारी पड़ते हैं वहां फफूंद को खा जाते हैं। आज हमने एंटीबायोटिक का नासमझी से और जरूरत से ज्यादा उपयोग करके शरीर के लिए लाभदायक लगभग सभी बैक्टीरिया को खत्म कर दिया है जो हमारी त्वचा पर रह कर हानिकारक फफूंद को मार भागते थे।

आज एंटीबायोटिक का उपयोग मांस पैदा करने से लेकर फसलों तक में बहुतायत से हो रहा है। आप इसको ऐसे समझ सकते हैं बालों में डैंड्रफ हो जाने पर आपने कई लोगों को दही या मट्ठे (छाछ) से सर धोते हुए देखा होगा। गांव में कुछ लोग इसके लिए सिरके का भी प्रयोग करते हैं। तो मैं आपको बता दूं कि दही में लैक्टो एसिड बेसिलस नामक जीवाणु बहुतायत में पाए जाते हैं और सिरके में भी ऐसे लाभदायक जीवाणु बहुतायत में होते हैं। ये जीवाणु हमारे सिर के संपर्क में आने पर वहां उपस्थित डैंड्रफ या रूसी को खत्म कर देते हैं। ऐसे ही शरीर में अन्य स्थानों पर मौजूद फंगस के ख़ात्मे के लिए भी जीवाणु जरूरी हैं। हमारे द्वारा प्रयोग किये जाने वाले उत्पादों में जीवाणुओं को खत्म करने वाले रसायन भी मिले होते हैं, जैसे डियो, विभिन्न प्रकार के साबुन, क्रीम आदि। इसका परिणाम यह होता है की त्वचा और बालों पर स्वाभविक रूप से रहने वाले जीवाणुओं का सन्तुलन बिगड़ जाता है जिससे हानिकारक फंगस पनपने लगती है क्योंकि अब वहां फंगस को खत्म करने वाले जीवाणु नही हैं।

उदाहरण के तौर पर मैं यहां पर एक जीवाणु का जिक्र करुंगा। यह जीवाणु है लैक्टो एसिड बेसिलस जिससे दही जमता है। यह जीवाणु स्वाभाविक रूप से हमारी आंतों में और हमारे जननांगों के आसपास बहुतायत में पाया जाता है। यह जीवाणु हमारे शरीर में बहुत-से एंजाइम बनाता है तथा हानिकारक जीवाणुओं और फंगस से मुक्ति दिलाता है। यह जीवाणु विशेषकर स्त्रियों के जननांगों में काफी मात्रा में होता है जिससे योनि फंगस संक्रमण से बची रहती हैं किंतु आज स्त्रियों फंगस संक्रमण बढ़ता जा रहा है। इसका कारण है साबुन व अन्य रसायनों का बहुत अधिक मात्रा में इस्तेमाल करना जिसके कारण लैक्टो एसिड बेसिलस नष्ट हो जाते हैं और फंगस इन्फेक्शन का खतरा ब़ढ़ जाता है। आज स्त्रियों में लिकोरिया के बढ़ते मामलों के लिए भी फंगस ही जिम्मेदार है।

हमारे गांव के आसपास एक धार्मिक स्थान पर एक तालाब है। इसमें त्वचा के संक्रमण से ग्रसित लोग स्नान करने जाते हैं और वहां स्नान करने से ही उनकी त्वचा का फंगस संक्रमण समाप्त हो जाता है। इस तालाब में आप जाएंगे तो गंदगी और कीचड़ के सिवा कुछ नहीं दिखेगा। मुझे लगता है इसका कारण उस मिट्टी में पाए जाने वाले जीवाणु हैं जो त्वचा पर फंगस के संक्रमण को समाप्त कर देते हैं।

यदि आपको फंगस से बचना है तो जीवाणुओं का उपयोग करना होगा। सामान्य साबुन का उपयोग बंद कर दें, ग्लिसरीन सोप लगा सकते हैं। त्वचा पर जहां फंगल संक्रमण है वहां पर दही या सिरका लगाएं। इससे काफी आराम मिलेगा। थूक या लार भी लगा सकते हैं। इसमें भी ऐसे काफी जीवाणु होते हैं जो फंगस को नष्ट कर सकते हैं। शुद्ध शहद और ऐलोवेरा जूस भी फंगस को नष्ट करते हैं।

(लेखक पोषण विज्ञान के गहन अध्येता होने के साथ ही न्यूट्रीकेयर बायो साइंस प्राइवेट लिमिटेड (न्यूट्री वर्ल्ड) के चेयरमैन भी हैं)

One thought on “पूरी दुनिया में फंफूद का आतंक, बचाव आपके हाथ में”
  1. I am extremely impressed along with your writing abilities and also with the structure for your blog. Is this a paid topic or did you customize it your self? Either way keep up the nice quality writing, it’s rare to see a great weblog like this one today!

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