News Haveli, नई दिल्ली। (Army Pension Row) सेवानिवृत्त सैनिक की विकलांगता पेंशन (Disability Pension) के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई। शीर्ष अदालत की पीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा, “केंद्र सरकार द्वारा ऐसी ओछी याचिकाएं दाखिल करके सशस्त्र बलों का मनोबल नहीं गिराया जा सकता।” साथ ही सवाल किया, “क्या आप नीति बनाने को तैयार हैं? अगर नीति बनाने को तैयार नहीं हैं तो हमें जब भी लगेगा कि अपील निरर्थक है तो हम भारी जुर्माना लगाना शुरू करेंगे।”
केंद्र सरकार ने न्यायाधिकरण के फैसले को दी है चुनौती
दरअसल, गुरुवार को केंद्र सरकार की उस याचिका पर सुनवाई चल रही थी जिसमें उसने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (Armed Forces Tribunal) के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें एक सेवानिवृत्त रेडियो फिटर को विकलांगता पेंशन प्रदान की गई है।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि सशस्त्र बल न्यायाधिकरण से विकलांगता पेंशन की राहत पाने वाले सशस्त्र बलों के हर सदस्य को शीर्ष अदालत में घसीटने की जरूरत नहीं है। केंद्र को अपील दायर करने में विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए।
व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
पीठ ने कहा कि याचिका में कुछ व्यावहारिक दृष्टिकोण होना चाहिए। एक सैन्यकर्मी 15- 20 साल तक काम करता है। मान लीजिए कि वह कुछ विकलांगता से ग्रस्त है और सशस्त्र बल न्यायाधिकरण द्वारा विकलांगता पेंशन के भुगतान का निर्देश दिया जाता है तो इन लोगों को सुप्रीम कोर्ट में क्यों घसीटा जाना चाहिए?
पीठ ने कहा – केंद्र सरकार को नीति बनाना चाहिए
दो सदस्यीय पीठ ने आगे कहा कि हमारा मानना है कि केंद्र सरकार को एक नीति बनानी चाहिए। इतना ही नहीं, सशस्त्र बलों के सदस्यों को सुप्रीम कोर्ट में घसीटने का निर्णय लेने से पहले कुछ जांच-पड़ताल भी की जानी चाहिए।