श्री सिद्धिविनायक गणपति मन्दिर का निर्माण सम्वत् 1692 में हुआ था लेकिन सरकारी दस्तावेजों के अनुसार इसका निर्माण पहली बार नवम्बर 1801 में हुआ था। शुरुआत में यह मन्दिर बहुत छोटा था लेकिन पिछले करीब तीन दशकों में इसका कई बार पुनर्निर्माण हो चुका है।
न्यूज हवेली नेटवर्क
मुम्बई में सेंच्युरी बाजार और दादर फूल बाजार से कुछ ही दूर प्रभादेवी क्षेत्र में सफेद रंग के पांच मंजिला विशाल मन्दिर का शिखर दूर से ही नजर आता है। यह है श्री सिद्धिविनायक गणपति मन्दिर मुम्बई का लोकप्रिय और महत्वपूर्ण पूजा स्थल। मुम्बई आने वाले पर्यटक यहां जाना नहीं भूलते। आमतौर पर भगवान गणेश की प्रतिमाओं में उनकी सूंड बायीं ओर मुड़ी होती है लेकिन यहां प्रतिस्थापित गणपति की सूंड दायीं ओर मुड़ी हुई है। ऐसी गणेश प्रतिमा वाले मन्दिर को सिद्धपीठ की मान्यता होती है और ये श्री सिद्धिविनायक मन्दिर कहलाते हैं। कहते हैं कि सिद्धिविनायक भक्तों की मनोकामना को तुरन्त पूरा करते हैं। हालांकि वे जितनी जल्दी प्रसन्न होते हैं, उतनी ही जल्दी कुपित भी हो जाते हैं।
सिद्धिविनायक की दूसरी विशेषता है चतुर्भुजी विग्रह। उनके ऊपरी दायें हाथ में कमल और बायें हाथ में अंकुश है जबकि नीचे के दाहिने हाथ में मोतियों की माला और बायें हाथ में मोदक (लड्डुओं) भरा कटोरा है। गणपति के दोनों ओर उनकी दोनों पत्नियां ऋद्धि और सिद्धि हैं जो धन, ऐश्वर्य, सफलता और सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने का प्रतीक हैं। सिद्धिविनायक के मस्तक पर अपने पिता महादेव शिव के समान तीसरा नेत्र और गले में एक सर्प हार की तरह लिपटा है। सिद्धिविनायक का विग्रह ढाई फीट ऊंचा होता है और यह दो फीट चौड़े एक ही काले शिलाखंड से बना होता है।
स्थानीय मान्यता के अनुसार इस मन्दिर का निर्माण सम्वत् 1692 में हुआ था लेकिन सरकारी दस्तावेजों के अनुसार इसका निर्माण पहली बार नवम्बर 1801 में हुआ था। शुरुआत में यह मन्दिर बहुत छोटा था लेकिन पिछले करीब तीन दशकों में इसका कई बार पुनर्निर्माण हो चुका है। वर्ष 1991 में महाराष्ट्र सरकार ने इस मन्दिर को भव्य रूप प्रदान करने के लिए 20 हजार वर्गफीट जमीन प्रदान की। वर्तमान में श्री सिद्धिविनायक मन्दिर की इमारत पांच मंजिला है। यहां गभारा (गर्भगृह), प्रवचन गृह, गणेश संग्रहालय और गणेश पीठ के अलावा दूसरी मंजिल पर निशुल्क अस्पताल संचालित है। दूसरी मंजिल पर ही रसोईघर है जहां प्रसाद तैयार होता है। रसोईघर से एक लिफ्ट इस प्रसाद को सीधे गर्भगृह में पहुंचाती है।
मन्दिर का अष्टभुजी गर्भगृह तकरीबन 10 फीट चौड़ा और 13 फीट ऊंचा है। इसके चबूतरे पर स्वर्ण शिखर वाला चांदी का मंडप है जिसमें सिद्धिविनायक विराजते हैं। गर्भगृह में भक्तों के प्रवेश करने के लिए तीन दरवाजे हैं जिन पर अष्टविनायक, अष्टलक्ष्मी और दशावतार की आकृतियां चित्रित हैं। गर्भगृह को इस तरह बनाया गया है जिससे अधिक से अधिक श्रद्धालु गणपति के सभामंडप से सीधे दर्शन कर सकें। पहली मंजिल की गैलरियां भी इस तरह बनाई गई हैं कि भक्त वहां से भी सीधे गणपति के दर्शन कर सकते हैं।
श्री सिद्धिविनायक मन्दिर में हर मंगलवार को भारी संख्या में भक्तगण पहुंचते हैं। इस दिन यहां इतनी भीड़ होती है कि पंक्ति में चार-पांच घंटे खड़े होने के बाद ही दर्शन हो पाते हैं। हर साल भाद्रपद की चतुर्थी से अनन्त चतुर्दशी तक यहां गणपति पूजा महोत्सव होता है। यह मन्दिर प्रतिदिन प्रातः 5:30 बजे से रात्रि 9:50 बजे तक श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है।
कैसें पहुंचें श्री सिद्धिविनायक मन्दिर (How to reach Shri Siddhivinayak Temple)
मुम्बई में छत्रपति शिवाजी टर्मिनल और दादर समेत कई रेलवे स्टेशन हैं जहां से देश के सभी प्रमुख स्थानों के लिए ट्रेन उपलब्ध हैं। छत्रपति शिवाजी इन्टरनेशनल एयरपोर्ट से यह मन्दिर करीब 15 किलोमीटर पड़ता है। मुम्बई में स्थानीय बस सेवा और लोकल ट्रेन सेवा बहुत अच्छी है। साथ ही टैक्सियां और कैब भी उपलब्ध हैं।