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वास्तुकला की पारम्परिक नागर शैली में निर्मित श्री गोविन्दजी मन्दिर (Shri Govindji Temple) को बनाने में ईंटों का इस्तेमाल किया गया है। प्रवेश द्वार पूर्व दिशा में है और दो गुम्बदों पर सोने की परत चढ़ाई गयी है। गर्भगृह में भगवान गोविन्द और देवी राधा की मूर्तियां विराजमान हैं।

न्यूज हवेली नेटवर्क

भारत में काशी विश्वनाथ मन्दिर, गांधीनगर का अम्बाजी मन्दिर, सोमनाथ मन्दिर,  तिरुपति बालाजी मन्दिर, हरमन्दिर साहिब, अलीगढ़ की ऊपरकोट जामा मस्जिद समेत अनेक धर्मस्थल स्वर्ण मण्डित हैं। देश के पूर्वोत्तर में भी ऐसी ही परम्परा है जिसका सबसे बड़ा उदाहरण है श्री गोविन्दजी मन्दिर (Shri Govindji Temple)। मणिपुर की राजधानी इम्फाल के हृदय स्थल पर स्थित इस भव्य मन्दिर के दो स्वर्णजड़ित गुम्बद दूर से ही नजर आते हैं। इम्फाल का यह सबसे बड़ा वैष्णव मन्दिर तत्कालीन मणिपुर साम्राज्य के पूर्व शासकों के महल के पास है।

इस भव्य मन्दिर को बनाने का श्रेय महाराजा नारा सिंह को जाता है। यह मन्दिर 16 जनवरी 1846  को पूरी तरह बनकर तैयार हुआ था। इसकी मूल संरसचना को 1868 में आये भूकम्प ने काफी नुकसान पहुंचाया। महाराजा चन्द्रकृष्ण के शासनकाल में इसका पुनर्निर्माण (1876) करवाया गया। 1891 के एंग्लो-मणिपुर युद्ध के दौरान मन्दिर की मूर्तियों को कोंग्मा स्थानान्तरित कर दिया गया। 1908 में महाराजा चर्चेन्द्र सिंह ने अपने नये महल में प्रवेश के साथ ही मूर्तियों को वर्तमान मन्दिर में स्थापित करवाया।

श्री गोविन्दजी मन्दिर
श्री गोविन्दजी मन्दिर

ऐसा माना जाता है कि महाराजा जय सिंह, जो भगवान कृष्ण के प्रबल भक्त थे, उन्हें यह मन्दिर बनवाने का आदेश स्वयं उनके कुलदेवता श्री गोविन्दजी (Shri Govindji)। ने स्वप्न में आकर दिया था। वास्तुकला की पारम्परिक नागर शैली में निर्मित श्री गोविन्दजी मन्दिर (Shri Govindji Temple) को बनाने में ईंटों का इस्तेमाल किया गया है। प्रवेश द्वार पूर्व दिशा में है और दो गुम्बदों पर सोने की परत चढ़ाई गयी है। गर्भगृह में भगवान गोविन्द और देवी राधा की मूर्तियां विराजमान हैं। साथ ही भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की भी मूर्तियां हैं।

श्री गोविन्दजी मन्दिर में पूजा और ड्रेस कोड (Puja and dress code in Shri Govindji Temple)

श्री गोविन्दजी मन्दिर
श्री गोविन्दजी मन्दिर

मन्दिर में सुबह और शाम दैनिक पूजा होती है। परिसर में स्थित क्लॉक टॉवर की घंटी बजने के साथ ही मन्दिर के पट खोले जाते हैं। अनुष्ठानिक शंख बजाने के साथ गर्भगृह के सामने पर्दे के द्वार को खोला जाता है। दर्शन के लिए महिलाओं और पुरुषों की अलग-लग कतार लगती हैं। पुरुषों को सफेद शर्ट या हल्के रंग का कुर्ता और धोती पहननी होती है जबकि महिलाओं को पारम्परिक पुंगौ फानेक, इन्नाफी, सलवार-कमी जया साड़ी पहननी होती है।

कैसे पहुंचें श्री गोविन्दजी मन्दिर (How to reach Shri Govindji Temple)

श्री गोविन्दजी मन्दिर
श्री गोविन्दजी मन्दिर

श्री गोविन्दजी मन्दिर (Shri Govindji Temple)का निकटतम हवाईअड्डा इम्फाल इन्टरनेशनल एयरपोर्ट है जो यहां से करीब आठ किलोमाटर पड़ता है। इम्फाल में अभी कोई रेलवे स्टेशन नहीं है, हालांकि इसे रेल लाइन से जोड़ने का काम तेजी से चल रहा है। मेबोंग शहर का दाओतुहाजा यहां के निकटतम रेलवे स्टेशन है। इम्फाल गुवाहाटी से करीब 486 जबकि कोहिमा से 138 किलोमीटर  है। हमारा आपको सुझाव है कि इम्फाल पहुंचने के लिए हवाई यात्रा सबसे अच्छा विकल्प है।

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