जनश्रुति और मान्यता अनुसार शनि शिंगणापुर गांव ही सूर्य पुत्र शनि देव का जन्म स्थान है। यहां शनि देव का कोई भव्य मन्दिर नहीं है बल्कि शनि भगवान की काले रंग की स्वयंभू मूर्ति संगमरमर के एक चबूतरे पर खुले स्थान पर विराजमान है।
न्यूज हवेली नेटवर्क
बड़े-बुजुर्ग किस्से-कहानी सुनाते समय अक्सर चर्चा करते हैं कि सतयुग और त्रेतायुग में लोग घरे के दरवाजों पर ताले नहीं लगाते थे। वे इतने सच्चे और धर्मात्मा होते थे कि कहीं पर कोई कितनी भी मूल्यवान वस्तु पड़ी दिख जाये, उसे हाथ तक नहीं लगाते थे। समय बीतने के साथ छल, कपट, अनाचार बढ़ता गया लेकिन भारत में आज भी एक ऐसा स्थान है जहां मानो सतयुग ही चल रहा है। ये है महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले का शनि शिंगणापुर गांव- स्वयंभू शनिदेव की भूमि। (Shani Shingnapur: There are no locks on the doors of the house here)
जनश्रुति और मान्यता अनुसार शनि शिंगणापुर (Shani Shingnapur) गांव ही सूर्य पुत्र शनि देव का जन्म स्थान है। यहां शनि देव का कोई भव्य मन्दिर नहीं है बल्कि शनि भगवान की काले रंग की स्वयंभू मूर्ति संगमरमर के एक चबूतरे पर खुले स्थान पर विराजमान है। यह मूर्ति पांच फुट नौ इंच ऊंची और एक फुट छह इंच चौड़ी है। आंधी हो, तूफान हो, जाड़ा हो या गर्म हवा चल रही हो, यानि कैसी भी ऋतु हो, शनि देव यहां आठों पहर बिना छत्र धारण किये खड़े रहते हैं।
शनि शिंगणापुर (Shani Shingnapur) गांव के लोगों का मानना है कि उनके सामान की रक्षा स्वयं शनि देव करते हैं। शनिदेव के डर से कोई चोर यहां चोरी करने नहीं आता है। कहते हैं कि चोरी करने के बाद कोई मनुष्य इस गांव से बाहर नहीं जा पाता। उसे शनि भगवान के समक्ष क्षमा मांगनी होती है अन्यथा उसका जीवन नर्क बन जाता है। करीब तीन हजार जनसंख्या वाले इस गांव में किसी भी घर में दरवाजा नहीं है। कहीं भी कुंडी, कड़ी या सांकल लगाकर ताला नहीं लगाया जाता। यहां तक कि लोग घर में आलमारी, सूटकेस आदि भी नहीं रखते हैं। घर की मूल्यवान वस्तुएं, आभूषण, कपड़े, रुपये आदि थैली, डिब्बे और ताक में रखे जाते हैं। केवल गौशाला के दरवाजे पर बांस का ढकना लगाया जाता है ताकि पशु सुरक्षित रहें और उन्हें किसी भी प्रकार का कष्ट न हो।
ऐसा भी नहीं है कि यहां के लोग सामान्य आर्थिक स्थिति के हों, बल्कि यहां के ज्यादातर भवन आधुनिक तकनीक से बने हुए हैं। खास बात यह कि यहां कोई भी मकान दोमंजिला नहीं है। यहां कभी किसी घर या दुकान में चोरी नहीं हुई। यहां आने वाले भक्त भी अपने वाहनों में ताला नहीं लगाते हैं। यहां के लोग बताते हैं कि कितना भी बड़ा आयोजन या मेला हो, कभी भी किसी वाहन या अन्य कीमती सामान की चोरी नहीं हुई।
श्री शनेश्वर देवस्थान प्रसादालय (Shri Shaneshwar Devasthan Prasadalaya)
शनि भगवान के मन्दिर के पास ही श्री शनेश्वर देवस्थान ट्रस्ट का भव्य भवन है। श्रद्धालु कूपन लेकर यहां की कैंटीन से साफ-सुथरा और पौष्टिक भोजन प्राप्त कर सकते हैं। यहां एक हजार से अधिक लोग एक साथ भोजन कर सकते हैं। यहां ठहरने की भी उत्तम व्यवस्था है।
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शनि देव के बारे में मान्यता (Belief about Shani Dev)
सनातन धर्म मतावलम्बी मानते हैं कि कोबरा का काटा और शनि का मारा पानी नहीं मांगता। शनि की शुभ दृष्टि पड़ने पर रंक भी राजा बन जाता है जबकि इसकी अशुभ दृष्टि पड़ने पर अपार कष्ट भोगने पड़ते हैं। शनि की शुभ और अशुभ दृष्टि का सुर, असुर, मनुष्य सभी पर समान रूप से प्रभाव पड़ता है। इसके बावजूद यह नहीं भूलना चाहिए कि शनि देव मूलतः आध्यात्मिक ग्रह हैं। महर्षि पाराशर ने कहा है कि शनि देव जिस अवस्था में होंगे, उसके अनुरूप फल प्रदान करेंगे। जैसे श्री शनैश्वर प्रसन्ना।
शनि शिंगणापुर मन्दिर में पूजा-अर्चना (Worship in Shani Shingnapur Temple)
यह मन्दिर 24 घन्टे खुला रहता है। यहां प्रतिदिन प्रातः चार बजे एवं सायंकाल पांच बजे आरती होती है। प्रत्येक शनिवार तथा शनि के दिन पड़ने वाली अमावस्या पर यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। शनि जयंती पर लोग लघुरुद्राभिषेक भी कराते हैं। यह कार्यक्रम प्रातः सात बजे से सायं छह बजे तक चलता है।
शनि मन्दिर के सामने अभिषेक मन्दिर है जहां अभिषेक किया जाता है। इस मन्दिर में देवी-देवताओं की प्रतिमाएं विराजमान है। मन्दिर के निकट ट्रस्ट के सौजन्य से शनि देव के प्रसाद के रूप में प्रसादी पेड़ा मिलता है जिसे टोकन प्राप्त करके काउंटर से ख़रीदा जा सकता है।
शनि शिंगणापुर जाने का सबसे अच्छा समय (Best time to visit Shani Shingnapur)
मौसम के हिसाब से शनि शिंगणापुर (Shani Shingnapur) जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक होता है। गर्मी के मौसम में यहां की यात्रा करने का कार्यक्रम न बनाना ही अच्छा रहेगा क्योंकि इस दौरान यहां का तापमान 40 से 44 डिग्री सेल्सियस तक हो जाता है। मानसूनी मौसम में यहां अक्सर भारी बारिश होती है।
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ऐसे पहुंचें शनि शिंगणापुर (How to reach Shani Shingnapur Temple)
सड़क मार्ग : शनि शिंगणापुर (Shani Shingnapur) मन्दिर औरंगाबाद-अहमदनगर राजमार्ग पर घोडगांव से लगभग छह किलोमीटर दूर है। अहमदनगर जिला मुख्यालय से यह 40 जबकि शिरडी से 72 किमी पड़ता है। यहां के लिए नियमित बसें नहीं मिलतीं लेकिन टैक्सियां आसानी से मिल जाती हैं। शिरड़ी से यहां के लिए नियमित अन्तराल पर साझा टैक्सियां मिलती हैं।
रेल मार्ग : शनि शिंगणापुर के निकटतम रेलवे स्टेशन राहुरी (32 किमी), अहमदनगर (35 किमी) और श्रीरामपुर (54 किमी) हैं। शिरडी रेलवे स्टेशन यहां से 75 किमी पड़ता है।
वायु मार्ग : निकटतम हवाई अड्डा औरंगाबाद यहां से 90 किलोमीटर, नासिक हवाई अड्डा 144 किमी जबकि पुणे हवाई अड्डा 161 किमी की दूरी पर स्थित है। शिरडी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा यहां से करीब 72 किमी है।