सौराष्ट्र के कई व्यंजनों को बनाने में चाने की दाल और बेसन का इस्तेमाल किया जाता है। यहां की थाली में आमतौर पर गेहूं अथवा बाजरे की रोटी होती है। भोजन पकाने में ज्यादातर मूंगफली के तेल का इस्तेमाल होता है।
अनुवन्दना माहेश्वरी
सौराष्ट्र, गुजरात का ही एक भाग जो अर्ध मरुस्थलीय प्रायद्वीपीय क्षेत्र है। इसका भोजन गुजरात के बाकी क्षेत्रों के भोजन से मिलता-जुलता होने के बावजूद कई मायनों में अलग है। उदाहरण के लिए राज्य के अन्य क्षेत्रों के विपरीत तैलीय और मसालेदार भोजन सौराष्ट्रवासियों को काफी पसन्द है। हालांकि यहां का भोजन भी मुख्य रूप से शाकाहारी है। उदाहरण के लिए ढोकला यहां खमण ढोकला (Khaman Dhokla) है और इसमें भी कई वैरायटी हैं। फाइबर और विटामिन-मिनरल्स से भऱपूर उंधियू (undhiyu) सौराष्ट्र से बाहर भी लोकप्रिय होकर गुजराती थाली की पहचान बन चुका है। (Food of Saurashtra)
सौराष्ट्र के कई व्यंजनों को बनाने में चाने की दाल और बेसन का इस्तेमाल किया जाता है। यहां की थाली में आमतौर पर गेहूं अथवा बाजरे की रोटी होती है। भोजन पकाने में ज्यादातर मूंगफली के तेल का इस्तेमाल होता है। (Saurashtra: Spicy take on traditional dishes)
खमण ढोकला :
यह भाप से पका एक स्वास्थ्यवर्धक नाश्ता है जिसे चने की दाल से तैयार किया जाता है। इसे बनाने के लिए चना दाल को 6-7 घण्टे भिगोने के बाद दरदरा पीस लिया जाता है। दही, नींबू का रस और नमक मिलाकर इस मिश्रण को किसी हल्के गर्म स्थान पर किण्डवित होने के लिए छोड़ दिया जाता है। फिर इसको कुछ और मसाले मिलाकर भाप में पकाया जाता है। इसे पारम्परिक रूप से केसुदा नामक एक बड़े हरे पत्ते पर धनिये की तीखी चटनी और हरी मिर्च के टुकड़ों के साथ परोसा जाता है। खमण ढोकला के अलावा अमेरी खमन, नायलॉन खमन और मसाला खमन भी बनाए जाते हैं।
उंधियू :
सर्दी के मौसम में बनाया जाने वाला यह व्यंजन विभिन्न सब्जियों (छोटे आलू, छोटे बैंगन, केले, बीन्स, मटर, जिमीकन्द आदि), मूंगफली दाना, काजू, ताजा हरा नारियल, बेसन, गेहूं आदि के साथ कई तरह के मसालों को मिलाकर बनाया जाता है। लाजवाब स्वाद के साथ ही पौष्टिक गुणों से भरपूर उंधियू अब भारत से बाहर भी लोकप्रिय हो रहा है। इसे परम्परागत रूप से मटके में बनाया जाता है।
जामनगरी घुघरा :
यह एक तरह की नमकीन गुझिया है। इसे बनाने के लिए मैदे की पूड़ी में आलू, भिगोयी हुई पीली मटर और मसालों के मिश्रण की स्टफिंग कर उसे गुझिया का आकार देकर तल लिया जाता है। इसे हरी चटनी, टमाटर की खट्टी-मीठी चटनी और नायलॉन सेव से सजा कर सर्व किया जाता है।
घुघरा सैंडविच : यह गुजरात का एक लोकप्रिय स्ट्रीट फूड है। इसमें पारम्पिक वेजिटेबल सैंडविच की तरह सब्जियों का इस्तेमाल नहीं होता है बल्कि प्याज, शिमला मिर्च और अन्य मसालों को मिलाकर मिश्रण तैयार किया जाता है। दरअसल, इसे शिमला मिर्च प्याज, हरी मिर्च, चीज, दरक. काली मिर्च पुडर, जीरा पाउडर, चिली फ्लैक्स, चाट मसाला, हरा धनिया और नमक के मिश्रण को ब्रेड स्लाइस में भरकर बनाया जाता है। इसे हरी चटनी के साथ पेश किया जाता है।
थेपला :
यह बेसन, गेहूं के आटे, मेथी की ताजी पत्तियों और मसालों से बनाया जाने वाला एक पौष्टिक स्नैक है। इसे आमतौर पर दही, चटनी या अचार के साथ खाया जाता है। यात्रा और पिकनिक पर जाते समय गुजराती इसे अपने टिफिन बॉक्स में रखना नहीं भूलते।
खाण्डवी :
यह लोकप्रिय गुजराती व्यंजन बनाने में थोड़ा उलझन वाला लेकिन अत्यन्त स्वादिष्ट और सुपाच्य है। इसे आमतौर पर सुबह के नाश्ते में अथवा भोजन के साथ एक साइड डिश के रूप में परोसा जाता है। इसे बेसन, दही, ताजा नरियल, तिल, राई, अदरक, हल्दी आदि से तैयार किया जाता है।
मुठिया :
इसे बनाने के लिए चने के आटे, रवा, लौकी और कुछ मसालों के मिश्रण को भाप में पकाने के बाद पैन में तला जाता है। इसे आमतौर पर पुदीना-धनिया की चटनी या केचप और गरमागरम चाय के साथ परोसा जाता है। बहुत से लोग इसमें गाजर भी मिलाते हैं। इसके अलावा मेथी मुठिया भी बनाई जाती है।
हाण्डवो :
यह एक तरह का नमकीन केक है। इसे बनाने के लिए दाल और चावल के घोल को रातभर किण्डवित करने के बाद बेक किया जाता है। इसे और ज्यादा पौष्टिक बनाने के लिए किण्डवित घोल में लौकी, गाजर, हरे मटर आदि को भी मिला सकते हैं। कुरकुरा और सुनहरा बनाने के लिए इसे पैन-फ्राइड भी किया जा सकता है। इसके बाद इस पर राई और तिल का तड़का लगाया जाता है। इसे तीखी हरी चटनी और एक कप गरमागरम चाय या कॉफी के साथ सर्व किया जाता है।
खाखरा : इसे बनाने के लिए गेहूं के आटे में हल्दी, तेल और विभिन्न मसाले मिलाकर पापड़ कि तरह पतला बेल तवे पर सेंका जाता है। स्वाद और सुगन्ध बढ़ाने के लिए मेथी के ताजे पत्ते भी मिला सकते हैं।
फाफड़ा :
बेसन में मसालों को मिलाकर बनाये जाने वाले ये स्ट्रिप्स गुजरातियों को बहुत पसन्द हैं। तमाम गुजरातियों के दिन की शुरुआत फापड़ा और जलेबी के नाश्ते से होती है। मकर संक्रान्ति पर खानपान की दुकानों पर फाफड़ा और जलेबी की जमकर बिक्री होती। लोग चटपटी चटनी के साथ फाफड़ा खाने के बाद जलेबी का आनन्द उठाते हैं।
सेव टमेटा नू शाक : इसे बेसन के सेव और टमाटर से बनाया जाता है। चटपटे स्वादिष्ट सेव टमाटर की करी में मिलकर उसे और भी स्वादिष्ट बना देते हैं। इसे चावल और रोटी के साथ खाते हैं।
गठिया : इस स्वादिष्ट स्नैक को बेसन और मसालों के मिश्रण से तैयार किया जाता है।
पात्रा : इसे बनाने के लिए अरबी के पत्तों पर खट्टे-मीठे और तीखे मसालों के घोल का लेपन कर उसके रोल बना लिये जाते हैं। इन रोल को भाप में पकाने के बाद छोटे-छोटे टुकड़ों में काट कर ऊपर से राई का बघार लगाते हैं।
बाकरवड़ी : इसे गुंथे हुए बेसन और मैदे में मसाले भरकर बनाया जाता है। एयर टाइट डिब्बों में यह कई दिनों तक सुरक्षित रहती है।
सूखे मेवे के लड्डू :
इस मिठाई को काजू, बादाम, अन्जीर, अखरोट, खरबूजे के बीज आदि से बनाया जाता है। यह एक महंगा, अत्यन्त पौष्टिक लेकिन गरिष्ठ नाश्ता है जिसे आमतौर पर सर्दी के मौसम में खाया जाता है।
चूरमा न लाडू : यह सौराष्ट्र समेत पूरे गुजरात के सबसे लोकप्रिय मीठे व्यंजनों में से एक है। इसे गेहूं के आटे, सूजी, देसी घी, गुड़ और सूखे मेवों से बनाया जाता है।
मोहनथाल :
इस लज्जतदार बर्फी को चने के बेसन, शुद्ध घी और कई तरह के मेवों से बनाया जाता है।