News Haveli, संभल। (Shahi Jama Masjid Sambhal Survey Report) उत्तर प्रदेश के संभल की शाही जामा मस्जिद (Shahi Jama Masjid Sambhal) की सर्वे रिपोर्ट गुरुवार को अदालत में पेश की गई। कोर्ट कमिश्नर रमेश राघव ने सुरक्षा कारणों से गुपचुप तरीके से 40–45 पन्नों की यह रिपोर्ट सिविल जज आदित्य सिंह की अदालत में दाखिल की। शाही जामा मस्जिद में श्री हरिहर मंदिर होने का दावा पेश किए जाने के बाद नियुक्त किए गए एडवोकेट कमिश्नर द्वारा दो चरणों में किए गए सर्वे की 45 पेज की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में पेश की गई है। इस दौरान दोनों पक्षों के अधिवक्ता मौजूद रहे। इससे पहले बुधवार को जामा मस्जिद की इंतजामिया कमेटी की ओर से अदालत में सर्वे रिपोर्ट जल्द पेश किए जाने का अनुरोध करते हुए प्रार्थना पत्र दिया गया था।
यह है पूरा मामला
19 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने 8 लोगों की ओर से सिविल जज सीनियर डिवीजन चंदौसी की अदालत में दावा पेश किया था जिसमें संभल की शाही जामा मस्जिद में श्री हरिहर मंदिर (Shri Harihar Temple Sambhal) होने की बात कही गई थी। अदालत ने दावा स्वीकार करते हुए उसी दिन सर्वे कराने के आदेश भी कर दिए थे। सर्वे के लिए अधिवक्ता रमेश सिंह राघव को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया गया था।
19 नवंबर की शाम को ही एडवोकेट कमिश्नर के साथ दोनों पक्षों के लोग जामा मस्जिद पहुंच गए और डेढ़ घंटे तक मस्जिद के अंदर फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कराई थी। करीब डेढ़ घंटे तक सर्वे हुआ लेकिन बढ़ती भीड़ और अंधेरा होने के कारण सर्वे कार्य रोक दिया गया था। 24 नवंबर की सुबह फिर से सर्वे करने के लिए एडवोकेट कमिश्नर जामा मस्जिद पहुंचे तो भीड़ ने विरोध किया। स्थिति यह हो गई कि तीन घंटे तक चले सर्वे के दौरान ही हिंसा भड़क उठी। पथराव, फायरिंग, तोड़फोड़ और आगजनी की गई। हिंसा में 4 लोगों की मौत हो गई थी।
रिपोर्ट पेश करने में इसलिए लगा समय
इसके बाद अदालत में सुनवाई के लिए 29 नवंबर 2024 की तारीख दी गई थी लेकिन एडवोकेट कमिश्नर स्वास्थ्य ठीक न होने का हवाला देते हुए सर्वे रिपोर्ट पेश करने के लिए दस दिन का समय मांग लिया था। इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश किया था कि 6 जनवरी 2025 तक निचली अदालत इस मामले में कोई आदेश नहीं करेगी। शाही जामा मस्जिद कमेटी को भी हाई कोर्ट में अपनी अपील पेश करने के लिए कहा गया था। साथ ही यह भी कहा था कि हाई कोर्ट तीन दिन के अंदर मामले में सुनवाई करे।
सिविल जज की अदालत में सुनवाई के लिए 8 जनवरी 2025 मुकर्रर की गई थी। जब सर्वे रिपोर्ट पेश करने के लिए एडवोकेट कमिश्नर द्वारा मांगा गया समय पूरा हो गया तो उन्होंने फिर से अपना स्वास्थ्य खराब होने का हवाला देते हुए 15 दिन का समय रिपोर्ट पेश करने के लिए अदालत से मांगा। इस दरम्यान भी रिपोर्ट पेश नहीं हुई।
गुरुवार को 45 पेज की सर्वे रिपोर्ट के साथ ही वीडियो फुटेज और फोटोग्राफ सीलबंद लिफाफे में कोर्ट में पेश कर दिए गए। इस दौरान जामा मस्जिद कमेटी की ओर से अधिवक्ता शकील वारसी के साथ ही दोनों पक्षों के अन्य अधिवक्ता भी मौजूद रहे।
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