News Havel, संभल। (Sambhal riot file will be opened again) उत्तर प्रदेश के संभल में वर्ष 1978 में हुए भीषण दंगे की फाइल (Sambhal riot file) फिर से खुलेगी। प्रदेश सरकार ने 7 दिनों में रिपोर्ट मांगी है। संभल प्रशासन और पुलिस मामले की जांच करेंगे। दिसंबर 2024 में विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संभल दंगे पर वक्तव्य दिया था जिसके बाद से इस दिशा में काम तेज हो गया था।
संभल में 1978 में हुए दंगों में मौत का आधिकारिक आंकड़ा 24 था जबकि स्थानीय निवासियों का दावा था कि दंगे में आधिकारिक आंकड़ों से कई ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले महीने बयान दिया था कि संभल में 1978 में हुए दंगों में 184 लोग मारे गए थे और कई बेघर हुए थे।
संभल के पुलिस कप्तान ने जिलाधिकारी को लिखा पत्र
बीती 7 जनवरी को संभल के एसपी केके बिश्नोई ने संभल के जिला अधिकारी डॉ राजेंद्र पैंसिया को पत्र लिखा है और जानकारी दी कि उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य श्रीचंद्र शर्मा ने फिर से संभल में 1978 में हुए दंगों की जांच की मांग की थी। इस पर उन्हें यूपी के उप सचिव गृह और पुलिस अधीक्षक (मानवाधिकार) का पत्र प्राप्त हुआ है। ऐसे में पुलिस की तरफ से जांच में संभल के एएसपी श्रीचंद्र रहेंगे। पुलिस कप्तान ने अपने पत्र में डीएम से मांग की है कि संयुक्त प्रशासनिक जांच के लिए वह प्रशासन से किसी अधिकारी को नामित करे जिससे पुलिस और प्रशासन संयुक्त रूप से जांच करके जांच रिपोर्ट सौंप सकें।
मुख्यमंत्री ने विधानसभा में दिया वक्तव्य
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में कहा था कि 1947 से लेकर अभी तक संभल में 209 हिंदुओं की जान दंगों के चलते गई है। संभल में 29 मार्च 1978 को दंगे के दौरान आगजनी की घटनाएं हुई थीं। इस घटना में कई हिंदू मारे गए थे। भय के चलते 40 रस्तोगी परिवारों को घर छोड़कर भागना पड़ा। पलायन के गवाह अभी मौजूद हैं। मंदिर में कोई पूजा करने वाला नहीं बचा था। संभल के इस दंगे (Sambhal riot को 46 साल हो गए पर आज तक किसी को सजा तक नहीं मिली है। प्रशासन और स्थानीय लोगों की सक्रियता से 46 साल से बंद मंदिर के पट अवश्य खुले। इसके बाद से अधिकारी संभल दंगों से जुड़ी फाइलों को खंगाल रहे हैं।
दो महीने लगा रहा था कर्फ्य
संभल (Sambhal riot 1978) में वर्ष 1978 का दंगा 29 मार्च को शुरू हुआ था और देखते ही देखते पूरा शहर जल उठा था। हालात को संभालने के लिए प्रशासन ने कर्फ्यू लगा दिया। फिर भी शहर में दोनों समुदायों के बीच तनावपूर्ण स्थिति बनी रही। ऐसी स्थिति में कर्फ्यू का अंतराल बढ़ता गया। नगर में दो महीने तक तक कर्फ्यू लगा रहा।
दुकान बंद कराने के दौरान बवाल ने ले लिया था दंगे का रूप
संभल में मस्जिद के इमाम की हत्या के बाद बवाल हो गया था। उस समय पुलिस और प्रशासन ने हालात को काबू कर लिया था लेकिन शहर में तनाव बरकरार था। राजनीतिक महत्वकांक्षी को लेकर मुस्लिम लीग के एक नेता ने बाजार में दुकानों को बंद करना शुरू किया था। दूसरे समुदाय के व्यापारियों ने इसका विरोध किया। मारपीट के हालात बनने पर नेता के साथी उन्हें छोड़कर मौके से भाग निकले। इन्हीं साथियों ने नेता के मारे जाने की अफवाह फैला दी। इसके बाद दंगा भड़क गया। दुकानों में लूटपाट, पथराव, आगजनी शुरू हो गई। देखते ही देखते पूरा शहर जल उठा था। कई लोग मारे गए थे। इस दंगे में करीब 169 मुकदमे दर्ज किए गए थे। इसमें 3 एफआईआर पुलिस की ओर से दर्ज कराई गई थीं।