News Havel, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार को मार्ग दुर्घटनाओं (Road Accidents) के शिकार लोगों का तुरंत इलाज सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि इसके लिए “गोल्डन ऑवर” (दुर्घटना के बाद का पहला घंटा जब त्वरित इलाज से मृत्यु दर कम की जा सकती है) के दौरान कैशलेस इलाज की योजना बनाई जाए। “गोल्डन ऑवर” (Golder Hour) के दौरान कैशलेस इलाज की योजना बनाना न केवल संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार की रक्षा करता है, बल्कि यह मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 162 के तहत केंद्र सरकार का वैधानिक दायित्व भी है। मामले की अगली सुनवाई 24 मार्च 2025 को होगी।
यह आदेश डॉक्टर एस राजसीकरण द्वारा दाखिल एक याचिका पर दिया गया जिसमें सड़क दुर्घटनाओं में मौतों और देरी से इलाज से संबंधित मुद्दों को उठाया गया है। न्यायमूर्ति ए एस ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह आदेश दिया है। पीठ ने कहा है कि केंद्र सरकार मार्ग दुर्घटनाओं के शिकार लोगों को “गोल्डन ऑवर” के दौरान कैशलेस इलाज सुनिश्चित करने के लिए एक योजना तैयार करे। यह योजना 14 मार्च 2025 तक तैयार कर लागू की जाए।
मोटर वाहन अधिनियम में है प्रावधान
सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 2(12ए) के अंतर्गत “गोल्डन ऑवर” वह समय होता है जब त्वरित चिकित्सा से जान बचाने की सबसे अधिक संभावना होती है। अधिनियम की धारा-162 प्रावधान करता है कि केंद्र सरकार एक योजना तैयार करे जिसमें कैशलेस इलाज और एक कोष (Motor Vehicle Accident Fund) बनाया जाए। धारा-164 बी कहता है कि मोटर वाहन दुर्घटना कोष का उपयोग सड़क उपयोगकर्ताओं को बीमा कवरेज देने और दुर्घटना पीड़ितों के इलाज के लिए किया जाता है।
पुराने कवरेज पर दोबारा विचार करे केंद्र : सुप्रीम कोर्ट
शीर्ष अदालत ने कहा कि 1 अप्रैल 2022 से धारा 162 लागू होने के बावजूद योजना अब तक तैयार नहीं हुई है। केंद्र सरकार ने 5 अप्रैल 2024 को योजना का एक ड्राफ्ट पेश किया था जिसमें अधिकतम 1,50,000 तक के इलाज और सात दिनों तक के कवरेज का उल्लेख था। सुप्रीम कोर्ट ने इन सीमाओं पर दोबारा विचार करने को कहा है।अदालत ने कहा कि 2022 में 67,387 हिट एंड रन मामलों में केवल 205 दावे दर्ज हुए जिनमें से 95 का निपटान हुआ।
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पीड़ितों को योजना की जानकारी देना अनिवार्य
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि पुलिस को पीड़ितों को योजना की जानकारी देना अनिवार्य है। साथ ही मुआवजा राशि बढ़ाने और सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने का सुझाव दिया। अभी हिट रन केस में मौत की स्थिति में 2 लाख रुपये मुआवजा और घायलों को 50 हजार रुपये मुआवजे का प्रावधान है।
इंश्योरेंस काउंसिल बनाए डिजिटल पोर्टल
सुप्रीम कोर्ट ने जनरल इंश्योरेंस काउंसिल (GIC) को 14 मार्च 2025 तक एक पोर्टल विकसित करने का निर्देश दिया। यह पोर्टल दावा प्रक्रिया को तेज करने और राज्यों को दस्तावेज़ीय कमियों के बारे में सूचित करने में मदद करेगा। केंद्र सरकार को 14 मार्च 2025 तक योजना का मसौदा तैयार करना होगा और 21 मार्च 2025 तक सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट के साथ देना होगा।
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