शक्तिकांत दास ने कहा कि वैश्विक उतार-चढ़ाव के बावजूद मौद्रिक नीति महंगाई को काबू में रखने और आर्थिक वृद्धि को गति देने में सफल रही है।
नई दिल्ली। (RBI MPC Meet 2024) भारतीय रिजर्व बैंक (RBI ) की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) ने रेपो रेट में एक बार फिर कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है। यह लगातार दसवां मौका है जब एमपीसी ने नीतिगत दरों को यथावत रखा है। छह सदस्यीय मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक बीते 7 अक्टूबर को शुरू हुई थी और इसमें लिये गए फैसलों का ऐलान गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने आज बुधवार को किया। उन्होंने कहा कि रेपो रेट को एक बार फिर 6.5% पर बरकरार रखने का फैसला लिया गया है। समिति के 6 में से पांच सदस्यों ने रेपो रेट को यथावत रखने के पक्ष में वोट दिया। रेपो रेट के यथावत रहने का मतलब है कि आपके लोन की किस्त में कोई बदलाव नहीं होगा।
इसके साथ ही आरबीआई गवर्नर ने कहा कि पॉलिसी का रुख विद्ड्रॉल ऑफ अकमॉन्डेशन से चेंज करते हुए अब Neutral कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर बने उतार-चढ़ाव भरे हालात के बावजूद देश में महंगाई (Inflation) को काबू में रखने में हम कामयाब रहे हैं और इसके साथ ही आर्थिक विकास (Economic Growth) को भी गति मिली है।
महंगाई में कमी आने की उम्मीद
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वैश्विक उतार-चढ़ाव के बावजूद मौद्रिक नीति महंगाई को काबू में रखने और आर्थिक वृद्धि को गति देने में सफल रही है। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने रुख को बदलकर तटस्थ करने का फैसला किया है। बेहतर मॉनसून, पर्याप्त बफर स्टॉक की वजह से इस साल आगे खाद्य महंगाई में कमी आएगी। महत्वपूर्ण आर्थिक आंकड़े अर्थव्यवस्था में मजबूत गतिविधियों के संकेत दे रहे हैं। इसकी बुनियाद मजबूत बनी हुई है। उन्होंने कहा कि लचीले मौद्रिक नीति ढांचे को आठ साल पूरे हो गए हैं।
जीडीपी की रफ्तार
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। सकल घरेलू उत्पाद में निवेश का हिस्सा 2012-13 के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर है। घरेलू मांग में सुधार, कच्चे माल की कम लागत और सरकारी नीतियों से विनिर्माण क्षेत्र में तेजी आ रही है। सामान्य मॉनसून के मद्देनजर वित्त वर्ष 2024-25 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत रहने का अपना अनुमान है। प्रतिकूल आधार प्रभाव और खाद्य कीमतों में तेजी के कारण सितंबर में खुदरा महंगाई बढ़ने की आशंका है।
कब मिलेगी राहत
हालांकि माना जा रहा था कि आरबीआई की एमपीसी की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में प्रमुख ब्याज दर रेपो में कटौती की संभावना नहीं है। विशेषज्ञों का कहना था कि खुदरा महंगाई अब भी चिंता का विषय बनी हुई है। पश्चिम एशिया संकट के और बिगड़ने की संभावना है। इसका असर कच्चे तेल और जिंस कीमतों पर पड़ेगा। इससे महंगाई के फिर से सिर उठाने की आशंका बढ़ गई है। सरकार ने केंद्रीय बैंक को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि सीपीआई आधारित खुदरा महंगाई 4% (2% ऊपर या नीचे) पर बनी रहे।
इस महीने की शुरुआत में सरकार ने आरबीआई की एमपीसी का पुनर्गठन किया था। इसमें तीन नए बाहरी सदस्य नियुक्त किए गए थे। इस नियुक्ति के बाद एमपीसी की यह पहली बैठक थी। अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने हाल में बेंचमार्क दरों में 0.5 फीसदी कटौती की थी। साथ ही कुछ अन्य देशों के केंद्रीय बैंकों ने भी ब्याज दरों में कटौती की थी। लेकिन, आरबीआई ने उनका अनुसरण नहीं किया और ब्याज दरों को यथावत बनाए रखा। विशेषज्ञों का मानना है कि दिसंबर रेपो रेट में कुछ ढील की गुंजाइश है।
क्या होती है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई बैंकों को लोन देता है। इसके कम होने से आपके होम लोन, पर्सनल लोन और कार लोन की किस्त कम होती है। आरबीआई ने रेपो रेट आखिरी बार बदलाव पिछले साल फरवरी में किया था। तब इसे 0.25% बढ़ाकर 6.5% किया गया था।
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