राम मंदिर निर्माण समिति की बैठक के पहले दिन गुरुवार को यह निर्णय लिया गया। समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने स्वयं यह जानकारी दी।
अयोध्या। राम मंदिर के प्रथम तल में लगाए गए पत्थरों में से कुछ की मोटाई और गुणवत्ता कम पाई गई है। ये पुराने पत्थर काफी कमजोर हैं। ऐसे पत्थरों को निकाल कर इनके स्थान पर मकराना के पत्थर लगाए जाएंगे। राम मंदिर निर्माण समिति की बैठक के पहले दिन गुरुवार को यह निर्णय लिया गया। समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने स्वयं यह जानकारी दी। (Ram Temple: Weak stones on the first floor will be replaced)
नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि राम मंदिर के 800 मीटर लंबे परकोटे में रामकथा आधारित 80 भित्ति चित्र (Mural ) बनाए जाएंगे। ये सभी भित्ति चित्र कांसे की प्लेटों पर उकेरे जाएंगे। इन्हें पत्थरों पर चिपकाया जाएगा। इनमें से 10 भित्ति चित्र तैयार हो गए हैं जिनमें से एक को लगा भी दिया गया है। बैठक में इस पर भी चर्चा हुई कि भित्ति चित्र लगाने में क्या-क्या सावधानियां बरतनी होंगी।
राम मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को लंबी दूरी तक नंगे पांव पैदल न चलने पड़े, इसके लिए मुख्य मंदिर के निकट ही एक ऐसा भवन निर्मित किया जा रहा है, जहां श्रद्धालु अपने जूता-चप्पल जमा कर सकेंगे। इस भवन की क्षमता एक बार में 6 से 10 हजार जोड़ी जूते-चप्पल जमा करने की होगी। मुख्य मंदिर में दर्शन करने के बाद बाहर निकलते ही श्रद्धालु जूते-चप्पल पहनकर कुबेर टीला और परिसर में बने अन्य मंदिरों तक जा सकेंगे।
नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि राम मंदिर परिसर में सप्त ऋषि मंदिर बनाए जा रहे हैं। राम मंदिर के पहले महर्षि वाल्मीकि का मंदिर होगा। प्रवेश करते ही श्रद्धालु महर्षि वाल्मीकि के दर्शन करेंगे। महर्षि वाल्मीकि मंदिर के ठीक सामने सातवां मंदिर अगस्त्य मुनि का होगा।
राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा हर महीने अयोध्या में बैठक करते हैं। इसमें वह राम जन्मभूमि पर चल रहे मंदिर निर्माण कार्य की समीक्षा करते हैं। बैठक में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, ट्रस्टी डॉ अनिल मिश्र, मंदिर निर्माण प्रभारी गोपाल राव, मंदिर के वास्तुकार आशीष सोमपुरा और कार्यदाई संस्थाओं के अभियंता मौजूद रहे।