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Devarshi NaradDevarshi Narad

Narad Purana: नारद पुराण में इसमें शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, गणित और छन्द-शास्त्र के विशद वर्णन के अलावा लोक-परलोक, व्रत-त्योहार, लोकाचार और गृहस्थ जीवन के नियम बताए गये हैं। इसमें कहा गया है कि गृहस्थों को कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि कुछ ऐसी चीजें अथवा कार्य हैं जिन्हें देखकर देवता अप्रसन्न होते हैं और देवी लक्ष्मी रूठकर घर से चली जाती हैं।

न्यूज हवेली डेस्क

गवान विष्णु के अनन्य भक्त नारद मुनि ब्रह्मा जी के मानस पुत्र हैं। वे तीनों लोकों में धर्म का प्रचार-प्रसार करते हुए विचरण किया करते थे। उनके ज्ञान और बुद्धि के कारण देवता, असुरसभी उनका सम्मान करते थे। उन्होंने लोक कल्याण के लिए नारद पुराण (Narad Purana) की रचना की। इसमें शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, गणित और छन्द-शास्त्र के विशद वर्णन के अलावा लोक-परलोक, व्रत-त्योहार, लोकाचार और गृहस्थ जीवन के नियम बताए गये हैं। इसमें कहा गया है कि गृहस्थों को कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि कुछ ऐसी चीजें अथवा कार्य हैं जिन्हें देखकर देवता अप्रसन्न होते हैं और देवी लक्ष्मी (Goddess Lakshmi) रूठ कर घर से चली जाती हैं।

इन आठ कारणों से रूठ जाती हैं देवी लक्ष्मी (Goddess Lakshmi gets angry due to these eight reasons)

-मनुष्य को दिन के समय नहीं सोना चाहिए। ऐसा करने वाला मनुष्य रोगी होता है और उसकी आयु कम हो जाती है। धन की भी कमी का सामना करना पड़ता है।

-सिर पर तेल लगाने के बाद बचे हुए तेल को कभी भी शरीर पर नहीं लगाना चाहिए। ऐसा करने से शरीर अशुद्ध हो जाता है। स्वास्थ्य की हानि और धन का नुकसान होता है।

-सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सोना भी सही नहीं माना जाता। यह समय भगवान की आराधना का होता है इसलिए इस समय सोने सेदेवता नाराज हो सकते हैं।

-किसी भी मनुष्य को अपने दोनों हाथों से सिर नहीं खुजाना चाहिए। सिर को खुजाने के बाद शरीर का स्पर्श करना अशुभ फलदायी होता है।

-नाखून और बालों को दांतों से चबाना नहीं चाहिए। इससे शरीर अशुद्ध और रोगी होता है। माना जाता है कि जो व्यक्ति ऐसा करता है उसे न केवल रोग घेर लेते हैं बल्कि जीवन के सुखों पर भी गलत प्रभाव पड़ता है। हिंदू धर्म में बालों की पवित्रता को बहुत महत्व दिया गया है। इनको अपवित्र करने वालों से देवी लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं।

-अपने एक पैर से दूसरे पैर को दबाकर बैठना या सोना नहीं चाहिए। इससे आयु और धन दोनों की हानि होती है। पुराणों में इस संदर्भ में कथा है कि एक हाथी अपने पैर पर पैर चढ़ाकर बैठा था। इसे देखकर भगवान विष्णु समझ गये कि उसकी आयु खत्म होने वाली है। भगवान ने सुदर्शन चक्र से उसका सिर काट दिया। हाथी का वही सिर भगवान गणेश के कटे सिर के स्थान पर लगा दिया गया।

-निर्वस्त्र होकर सोने से देवता और पितृ दोनों का अपमान होता है। इससे देवी लक्ष्मी (Goddess Lakshmi) रुष्ट होती हैं।

-अपना भला चाहने वाले को बाएं हाथ से भोजन और जल ग्रहण नहीं करना चाहिए। भोजन और पानी दोनों को शास्त्रों में देवतुल्य माना गया है। अन्न की देवी अन्नपूर्णा हैं जबकि जल को वरुण देव माना गया है। इसलिए भोजन और पानी ग्रहण करना एक प्रकार का यज्ञ माना गया है। बायां हाथ अशुद्ध माना जाता है इसलिए कोई भी शुभ काम बाएं हाथ से नहीं करने का विधान है।

-कभी भी दूसरों के अन्न पर ध्यान नहीं लगाना चाहिए। जो व्यक्ति चालाकी से या ठगी कर भोजन करता है, उसके घर में कभी बरकत नहीं होती है। जो व्यक्ति अपने भोजन और धन से संतुष्ट रहता है, उसके घर में सदा लक्ष्मी का वास रहता है और प्रगति होती है।

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