Wed. Oct 29th, 2025
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News Havel, नई दिल्ली। भारत के चुनाव से जुड़ी मार्क जुकरबर्ग (Mark Zuckerberg) की टिप्पणी को लेकर मेटा (फेसबुक की पेरेंट या मूल कंपनी) मुश्किलों में फंसती दिख रही है। संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी संसदीय स्थायी समिति का पैनल मेटा (Meta) के खिलाफ समन जारी कर सकती है। समिति के अध्यक्ष और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) ने कहा कि मेटा को गलत सूचना फैलाने के लिए माफी मांगनी होगी। उनकी समिति इस गलत जानकारी के लिए मेटा को बुलाएगी। किसी भी लोकतांत्रिक देश की गलत जानकारी देश की छवि को धूमिल करती है। इस गलती के लिए भारतीय संसद से और यहां की जनता से उस संस्था को माफी मांगनी पड़ेगी।

समन करने की समाचार ऐसे सामने आया है, जब एक दिन पहले ही (सोमवार) को केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnav) ने फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग पर पलटवार किया था। दरअसल, मार्क जुकरबर्ग ने दावा किया था कि कोविड-19 महामारी के बाद भारत समेत ज्यादातर देशों की तत्कालीन सरकारों को 2024 में चुनावी हार का सामना करना पड़ा। अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि जुकरबर्ग का बयान तथ्यात्मक रूप से गलत है।

अश्विनी वैष्णव ने क्या कहा था?

अश्विनी वैष्णव ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत ने 2024 के आम चुनाव का आयोजन कराया। इसमें 64 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने हिस्सा लिया। देश के लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन पर भरोसा जताया और लगातार तीसरी बार सत्ता में बैठाया। सूचना और प्रसारण मंत्री ने कहा कि जुकरबर्ग का यह दावा कि 2024 के चुनावों में भारत सहित अधिकतक तत्कालीन सरकारों को कोविड महामारी के बाद हार का सामना करना पड़ा, तथ्यात्मक रूप से गलत है।

जुकरबर्ग की ओर से गलत सूचना प्रसारित करना निराशाजनक

अश्विनी वैष्णव ने कहा कि 80 करोड़ लोगों को मुफ्त भोजन, 2.2 अरब टीके और कोविड-19 के दौरान दुनियाभर के देशों को सहायता देने से लेकर भारत को सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में नेतृत्व करने तक, तीसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निर्णायक जीत सुशासन और जनता के विश्वास का प्रमाण है। मेटा को टैग करते हुए उन्होंने कहा कि खुद जुकरबर्ग की ओर से गलत सूचना प्रसारित करना निराशाजनक है। उन्हें तथ्यों और विश्वसनीयता को बरकरार रखने के लिए काम करना चाहिए।

 

 

112 thought on “जुकरबर्ग की टिप्पणी से मुश्किल में मेटा, संसदीय समिति भेजेगी समन”
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