News Haveli, प्रयागराज। (Investigation of Mahakumbh Stampede) महाकुंभ 2025 में भगदड़ की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने न्यायिक आयोग का गठन किया है। इसके साथ ही जांच एजेंसियां इस भगदड़ को दुर्घटना न मानकर साजिश के एंगल से जांच कर रही हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA), स्पेशल टास्क फोर्स (STF), आतंकवाद निरोधी दस्ता (ATS) और लोकल इंटेलीजेंस यूनिट (LIU) के रडार पर करीब 10 हजार संदिग्ध हैं। इनमें समान नागरिक संहित (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) के विरोध में प्रदर्शन करने वाले भी शामिल हैं जिनके महाकुंभ क्षेत्र में आवागमन (Movemen) के सबूत मिले हैं।
मौनी अमावस्या के दिन 29 और 30 जनवरी की दरमियानी रात डेढ़ बजे के करीब प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़ मची थी। इस घटना के करीब 16 घंटे बाद महाकुंभ प्रशासन ने 30 श्रद्धालुओं की मौत और 60 लोगों के घायल होने की पुष्टि की थी।
जेल में बंद पीएफआई के 18 सदस्यों से भी पूछताछ
जांच एंजेसियां ऐसे गैर हिंदुओं की महाकुंभ भगदड़ में भूमिका तलाश रही हैं जिन्होंने सोशल मीडिया अकाउंट पर महाकुंभ को लेकर निगेटिव कमेंट किए या फिर गूगल और यूट्यूब पर महाकुंभ को बहुत ज्यादा सर्च किया। इसके अलावा जेल में बंद पीएफआई (PFI) के 18 सदस्यों से भी पूछताछ हो रही है।
खुफिया एजेंसियों ने कराया था यूपी के 1 लाख से ज्यादा लोगों का वेरिफिकेशन
एसटीएफ के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया महाकुंभ (Mahakumbh) में 40 करोड़ से ज्यादा लोगों के आने का अनुमान लगाया गया था। इस कारण खुफिया एजेंसियां कई महीनों से सक्रिय थीं। इंटेलिजेंस ने सीएए और एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन करने वालों, आपराधिक पृष्ठभूमि के लोगों तथा राज्य सरकार के खिलाफ बड़े प्रदर्शन करने वाले लोगों को लेकर इनपुट दिए थे। इसके आधार पर उत्तर प्रदेश के 1 लाख से ज्यादा लोगों का वेरिफिकेशन कराया गया। इनमें से ज्यादातर लोग वारणसी और उसके आसपास के 10 जिलों के थे। उनसे कहा गया था कि महाकुंभ के दौरान प्रयागराज न आएं। इसके बावजूद इनमें से 50 से ज्यादा लोगों के महाकुंभ क्षेत्र में आने के सबूत अब तक की जांच में मिले हैं। पूछताछ में इन लोगों ने महाकुंभ क्षेत्र में आने के अलग अलग कारण बताए हैं। ये सभी संदिग्ध गैर हिंदू हैं।
ऐसे आगे बढ़ रही जांच
महाकुंभ (Mahakumbh 2025) में भगदड़ की जांच कर रही एजेंसियों ने महाकुंभ क्षेत्र में लगे 600 सीसीटीवी की फुटेज की जांच कर उन्हें फिल्टर किया है। फेस रिकग्निशन सिस्टम और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट देखकर संदिग्धों की पहचान हुई। इसके बाद जांच एजेंसियां ने 10 हजार से ज्यादा लोगों को चिन्हित किया। जांच एजेंसियों के पास इन संदिग्धों के मोबाइल फोन नंबर और सोशल मीडिया अकाउंट के एड्रेस भी मौजूद हैं। इनको नोटिस भेजना शुरू कर दिया गया है। इनमें 30 प्रतिशत लोग गैर हिंदू हैं। एटीएस ने उत्तर प्रदेश के बाहर के संदिग्धों का डेटा मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, पश्चिम बंगाल और असम समेत 9 राज्यों की पुलिस को भेजा है।