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Mahakaleshwar Jyotirlinga : स्वयंभू, भव्य और दक्षिणमुखी होने के कारण महाकालेश्वर महादेव (Mahakaleshwar Mahadev) की अत्यन्त पुण्यदायी महत्ता है। ऐसी मान्यता है कि इनके दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। गर्भगृह के पश्चिम, उत्तर और पूर्व में गणेश, पार्वती और कार्तिकेय के चित्र स्थापित हैं। दक्षिण में नन्दी की प्रतिमा है।

न्यूज हवेली नेटवर्क

ध्य प्रदेश के उज्जैन (अवंतिका) में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थापित है भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर (Mahakaleshwar Jyotirlinga)। इस मन्दिर की स्थापना द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के पालनहार नन्दजी की आठ पीढ़ी पूर्व हुई थी। यहां बाबा महाकाल दक्षिणमुखी होकर विराजमान हैं। मन्दिर के शिखर के ठीक ऊपर से कर्क रेखा गुजरती है, इसलिए इसे पृथ्वी का नाभिस्थल भी माना जाता है।

एक पौराणिक कथा है कि भगवान शिव की अत्यंत प्रिय नगरी अवंतिका में उनके कई भक्त रहते थे। रत्नमाल पर्वत पर रहने वाला दूषण नाम का राक्षस उनके यज्ञ-पूजन आदि में विघ्न डालता था। उससे परेशान होकर ब्राह्मणों ने भगवान शिव की प्रार्थना की। इससे प्रसन्न होकर वह धरती फाड़ कर महाकाल के रूप में प्रकट हुए और दूषण का वध कर नगर की रक्षा की। ब्राह्मणों ने भगवान शिव से वहीं रुकने का आग्रह किया। इससे अभीभूत होकर होकर वह वहीं विराजमान हो गये।

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ईसवी पूर्व छठी शताब्दी से धर्म ग्रन्थों में महाकाल मन्दिर (Mahakaleshwar Temple) का उल्लेख मिलता है। उज्जैन के राजा प्रद्योत के काल से लेकर ईसवी पूर्व दूसरी शताब्दी तक महाकाल मन्दिर के अवशेष प्राप्त होते हैं। महाकालेश्वर मंदिर के प्राप्त संदर्भों के अनुसार ईसवी पूर्व छठी सदी में उज्जैन के राजा चन्द्रप्रद्योत ने महाकाल परिसर की व्यवस्था के लिए अपने पुत्र कुमार सम्भव को नियुक्त किया था। 11वीं सदी के उत्तरार्ध और 12वीं सदी के पूर्वार्ध में उदयादित्य एवं नरवर्मा के शासनकाल में मन्दिर का पुनर्निमाण हुआ। 123४-35 में सुल्तान इल्तुमिश ने इस मन्दिर को ध्वस्त कर दिया।18वीं सदी के चौथे-पांचवें दशक में पेशवा बाजीराव प्रथम के विश्वस्त सरदार राणौजी शिन्दे ने मन्दिर का पुनर्निर्माण करवाया। इसके 118 शिखर स्वर्ण मण्डित हैं।  वर्तमान में महाकाल ज्योतिर्लिंग मन्दिर के सबसे नीचे के भाग में प्रतिष्ठित है।

महाकालेश्वर की विशेषता (Specialty of Mahakaleshwar)

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग

महाकालेश्वर (Mahakaleshwar) की मूर्ति दक्षिणमुखी होने के कारण दक्षिणामूर्ति मानी जाती है। यह एक अनूठी विशेषता है जिसे तांत्रिक परम्परा अन्तर्गत 12 ज्योतिर्लिंगों में से केवल महाकालेश्वर में पाया जाता है। महाकाल मन्दिर के ऊपर गर्भगृह में ओंकारेश्वर शिव की मूर्ति प्रतिष्ठित है। स्वयंभू, भव्य और दक्षिणमुखी होने के कारण महाकालेश्वर महादेव (Mahakaleshwar Mahadev) की अत्यन्त पुण्यदायी महत्ता है। ऐसी मान्यता है कि इनके दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। गर्भगृह के पश्चिम, उत्तर और पूर्व में गणेश, पार्वती और कार्तिकेय के चित्र स्थापित हैं। दक्षिण में नन्दी की प्रतिमा है। तीसरी मंजिल पर स्थित नागचन्द्रेश्वर की प्रतिमा केवल नागपंचमी के दिन दर्शन के लिए खुलती है।

 ऐसे पहुंचें उज्जैन (How to reach Ujjain)

वायु मार्ग  : उज्जैन में हवाई पट्टी है। इन्दौर का देवी अहिल्याबाई होल्कर इण्टरनेशनल एयरपोर्ट यहां से करीब 56 किलोमीटर दूर है।

रेल मार्ग : उज्जैन के लिए देश के सभी प्रमुख नगरों से सीधी अथवा कनेक्टिंग ट्रेन मिलती है। यहां नौ रेलवे स्टेशन हैं- उज्जैन जंक्शन, नाखेरी, ताजपुर, उन्दासा मधाव्यू, विक्रमनगर, करछा, उज्जैन सी केबिन, गंभीर ब्रिज और क्षिप्रा।

सड़क मार्ग : इन्दौर, भोपाल, रतलाम, ग्वालियर, माण्डू, धार, कोटा, ओंकारेश्वर आदि से उज्जैन के लिए नियमित रूप से बस सेवा उपलब्ध है। यहां से दिल्ली करीब 825 किलोमीटर, अहमदाबाद 402, भोपाल183, मुंबई 655 और इंदौर 53 किलोमीटर है।

One thought on “महाकालेश्वर : यहां दक्षिणमुखी होकर विराजमान हैं कैलासपति”

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