पारिस्थितिक स्थिति और जैवविविधता मूल्यों को ध्यान में रखते हुए लोकताक झील (मणिपुरी भाषा में लोकताक पाट) को वर्ष 1990 में रामसर अभिसमय के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि के रूप में नामित किया गया था।
न्यूज हवेली नेटवर्क
क्या किसी झील में भूलभुलैया जैसे रास्ते, तैरते हुए द्वीप और राष्ट्रीय उद्यान हो सकते हैं? इसका जवाब है लोकताक (लोकटक) झील (Loktak Lake)। भारत के पूर्वोत्तर भाग में स्थित मणिपुर राज्य के विष्णुपुर जिले में स्थित यह झील अपनी सतह पर तैरते हुई वनस्पतियों और मिट्टी से बने तैरते वृत्ताकार दलदलों (स्वैम्प्स) के लिए जानी जाती है जिन्हें स्थानीय भाषा में फुमडी कहा जाता है। फुमडी मणिपुरी भाषा का एक शब्द है जिसका अर्थ है “मिट्टी और वनस्पति की तैरती हुई चटाई”। (Loktak: This lake has floating islands, national park and maze like paths)
लोकताक झील (Loktak Lake) में थंगा, इथिंग और सेन्द्रा समेत कई तैरते हुए द्वीप हैं जिनमें केइबुल लामजाओ सबसे बड़ा है। केइबुल लामजाओ को राष्ट्रीय उद्यान के रूप में संरक्षित घोषित किया गया है। अधिकतम 35 किलोमीटर लम्बी और 13 किमी चौड़ी यह झील करीब 287 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई है। यह पूर्वोत्तर भारत की सबसे बड़ी प्राकृतिक मीठे पानी की झील है।
मणिपुर की अर्थव्यवस्था में लोकताक झील (Loktak Lake) की महत्वपूर्ण भूमिका है। स्थानीय लोगों के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन में इसके महत्व के कारण इसे यहां की “जीवन रेखा” माना जाता है। इसके अलावा यह जल विद्युत् उत्पादन, पेयजल की आपूर्ति और सिंचाई के लिए पानी के स्रोत का कार्य करती है। पारिस्थितिक स्थिति और जैवविविधता मूल्यों को ध्यान में रखते हुए लोकताक झील (मणिपुरी भाषा में लोकताक पाट) को वर्ष 1990 में रामसर अभिसमय के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि के रूप में नामित किया गया था। वर्ष 1993 में इसे मॉन्ट्रेक्स रिकॉर्ड के तहत भी सूचीबद्ध किया गया।
दुनिया का एकमात्र तैरता हुआ राष्ट्रीय उद्यान
लोकताक झील (Loktak Lake) की खास बात यह है कि इसमें दुनिया का एकमात्र तैरता हुआ नेशनल पार्क है। इस कारण इसे “तैरती हुई झील” के नाम से भी जाना जाता है। इस पार्क का नाम है- केइबुल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान जो 40 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत है। इसे 1977 में राष्ट्रीय रिजर्व घोषित किया गया था। इस खूबसूरत पार्क में 450 से अधिक किस्मों के ऑर्किड और जलीय वनस्पतियों की 230 प्रजातियां मिलती हैं। यहां हिमालयी चितकबरे किंगफिशर, ब्लैक बत्तख, सांभर, अजगर आदि की कई प्रजातियां भी पाई जाती हैं। यह उद्यान विलुप्तप्राय प्रजाति के सांगई हिरण का एकमात्र घर है। यह डांसिंग डियर मणिपुर का राज्य पशु भी है।
इन नदियों से मिलता है पानी
मणिपुरी भाषा में “लोक” का अर्थ “नदी या झरना” और “ताक” का अर्थ “अन्त” होता है। इस झील को मुख्य रूप से आठ मुख्य नदियों से पानी मिलता है- इम्फाल, इरिल, थौबल, कोंगबा, हिरोक, सेकमाई, नम्बुल और खुगा। पश्चिमी उप-जलग्रहण क्षेत्र से आने वाली कई छोटी नदियां भी इस झील में मिलती हैं।
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लोकताक झील में करने योग्य गतिविधियां
हम कहीं भी घूमने जाने से पहले उसके बारे में यह जरूर सर्च करते हैं की वहां घूमने के साथ-साथ और किन-किन गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं। विशाल और सुरम्य लोकताक झील में आप ऐसी कई गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं जो आपकी ट्रिप को काफी रोमांचक और खास बना देंगी।
नौका विहार : नौका विहार लोकतक झील (Loktak Lake) घूमने आने वालों की सबसे खास और पसंदीदा गतिविधि है। नौका में बैठकर आप झील में तैरते हरे-भरे रास्तों में घूम सकते हैं। ये रास्ते कई बार भूलभुलैया जैसे प्रतीत होते हैं। नौकाविहार के दौरान आपको प्रकृति की ऐसे-ऐसे परिदृश्य (लैण्डस्केप) देखने को मिलते हैं कि कई बार लगता है कि हम इस धरती पर न होकर किसी और ही दुनिया में घूम रहे हैं।
बर्ड वाचिंग : यह झील पक्षियों को देखने के लिए बेहद खास लोकेशन है। यह बर्मीस पाइद मैना, नॉर्थ इण्डियन ब्लैक ड्रोंगोस लीयर, स्काईलार्क, नॉर्दर्न हिल मैना, जंगली कौवा, येलो हेडेड वैगेटल, विभिन्न प्रकार की बत्तख, क्रेन और कठफोड़वा जैसे पक्षियों की कई प्रजातियों का घर है। घास से भरी हरी-भऱी और शान्त झील में घूमते हुए इन दुर्लभ पक्षियों को निहारने का एक अलग ही आनन्द है।
फिशिंग : प्राकृतिक सौन्दर्य का आनन्द उठाने के साथ ही मछली का शिकार भी करना चाहते हैं तो लोकताक झील एक आदर्श गंतव्य है। यहां मनुष्यों के खाने योग्य कई प्रजातियों की मछलियां मिलती हैं जो स्थानीय लोगों के आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
आसपास की प्रमुख पर्यटन स्थल
इस झील के आसपास घूमने योग्य कई स्थान तो हैं ही, मणिपुर की राजधानी इम्फाल भी यहां से ज्यादा दूर नहीं हैं। इम्फाल स्वयं एक लोकप्रिय हिल स्टेशन है जहां घूमने-देखने योग्य कई स्थान हैं। आप इस झील में कुछ समय बिताने के साथ ही कंगला फोर्ट, तारों गुफा, सिंगड़ा डेम, मणिपुर जूलॉजिकल गार्डन, श्री गोविन्दजी मन्दिर, मणिपुर स्टेट म्यूजियम, लंगथबल आदि जा सकते हैं। मोइरांग विष्णुपुर जिले का सबसे पवित्र और आदरणीय स्थल है। यहां हिन्दू देवता भगवान थाङजिङ का एक प्राचीन मन्दिर है। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय यह आजाद हिन्द फौज का मुख्यालय था। भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए) के कर्नल शौकत मलिक द्वारा 14 अप्रैल 1944 को मोइरांग में पहली बार भारतीय ध्वज फहराया गया था।
घूमने का सबसे अच्छा समय
मणिपुर में जलवायु काफी हद तक उष्णकटिबंधीय है और तापमान सामान्य दिनों में 24-35 डिग्री रहता है। इसका अर्थ है कि आप वर्ष में किसी भी समय इस झील की यात्रा कर सकते हैं। चूंकि मणिपुर एक पहाड़ी क्षेत्र है, इसलिए यहां सुबह-शाम ठण्ड महसूस हो सकती है। पर्यटक सप्ताह के सभी दिनों में सुबह नौ से सायं बजे के बीच इस झील की सैर कर सकते हैं।
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ऐसे पहुंचें लोकताक झील
वायु मार्ग : निकटतम हवाईअड्डा इम्फाल का बीर टिकेनिद्रजीत इण्टरनेशनल एयरपोर्ट यहां से करीब 44 किलोमीटर पड़ता है। एयरपोर्ट से झील तक पहुंचने के लिए टैक्सी मिलती हैं।
रेल मार्ग : लोकताक झील से करीब 250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नागालैण्ड का दीमापुर रेलवे स्टेशन इसका सबसे नजदीकी रेल हेड है। इम्फाल तक बिछाए जा रहे रेल ट्रैक पर वर्ष 2023 के अन्त तक ट्रेनों का संचालन शुरू होने की उम्मीद है।
सड़क मार्ग : इम्फाल उत्तर पूर्व के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। दीमापुर, सिलचर, कोहिमा, आइजोल, ईटानगर, अगरतला और शिलांग से यहां के लिए नियमित बस सेवा के साथ ही टैक्सी भी चलती हैं। इम्फाल पहुंचने के बाद झील तक जाने के लिए टैक्सी बुक कर सकते हैं।
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