बंगलुरु। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ जमीन घोटाले से जुड़े मामले में मुकदमा चलेगा। कर्नाटक हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति ने एम. नागप्रसन्ना ने मंगलवार को कहा, “याचिका में जिन बातों का जिक्र है, उनकी जांच जरूरी है। मामले में मुख्यमंत्री का परिवार शामिल है, इसलिए याचिका खारिज की जाती है।”
हाईकोर्ट ने मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) जमीन घोटाला मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्यपाल कानून के हिसाब से केस चला सकते हैं। राज्यपाल स्वतंत्र निर्णय ले सकते हैं और राज्यपाल गहलोत ने अपने दिमाग का पूरी तरह से इस्तेमाल किया है। इसलिए जहां तक आदेश का सवाल है राज्यपाल के एक्शन में कोई खामी नहीं है।
राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने इसी साल 16 अगस्त को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 की धारा 218 के तहत सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी थी। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने राज्यपाल के आदेश को 19 अगस्त को हाई कोर्ट में चुनौती दी।

मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) घोटाले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उनकी पत्नी, साले और कुछ अधिकारियों के खिलाफ शिकायत की गई है। एक्टिविस्ट टी. जे. अब्राहम, प्रदीप और स्नेहमयी कृष्णा का आरोप है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अधिकारियों के साथ मिलकर महंगी साइट्स को धोखाधड़ी से हासिल किया।
सिद्धारमैया की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी और प्रो. रविवर्मा कुमार पेश हुए जबकि राज्यपाल की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पैरवी की। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता शशि किरण शेट्टी ने अपनी दलीलें रखीं। मनिंदर सिंह, प्रभुलिंग के. नवदगी, लक्ष्मी अयंगर, रंगनाथ रेड्डी, के.जी. राघवन सहित अन्य ने शिकायतकर्ताओं की ओर से दलीलें पेश कीं।
क्य है MUDA मामला
वर्ष1992 में अर्बन डेवलपमेंट संस्थान मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) ने रिहायशी इलाके में विकसित करने के लिए किसानों से कुछ जमीन ली थी। इसके बदले MUDA की इंसेंटिव 50:50 स्कीम के तहत अधिगृहीत भूमि के मालिकों को विकसित भूमि में 50% साइट या एक वैकल्पिक साइट दी गई। 1992 में MUDA ने इस जमीन को डीनोटिफाई कर कृषि भूमि से अलग किया था। 1998 में MUDA ने अधिगृहीत भूमि का एक हिस्सा किसानों को डेनोटिफाई कर वापस कर दिया। यानी एक बार फिर ये जमीन कृषि की जमीन बन गई।
दरअसल, सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती के पास मैसुरु जिले के केसारे गांव में 3 एकड़ और 16 गुंटा जमीन थी। यह जमीन पार्वती के भाई मल्लिकार्जुन ने उन्हें 2010 में उपहार में दी थी। MUDA ने इस जमीन का अधिग्रहण किए बिना ही देवनूर स्टेज 3 लेआउट विकास किया था। हालांकि इस जमीन के बदले 2022 में बसवराज बोम्मई सरकार ने पार्वती को साउथ मैसुरु के पॉश इलाके में 14 साइट्स दिए थे। इनका 50:50 अनुपात योजना के तहत कुल 38,283 वर्ग फीट एरिया था। सबसे गंभीर आरोपों में से एक यह है कि सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को MUDA की ओर से मुआवजे के तौर पर मिले विजयनगर के प्लॉट की कीमत केसारे गांव की उनकी जमीन से बहुत ज्यादा है।