विटामिन सी और आयरन से भरपूर जामुन शरीर में न केवल हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाता है बल्कि पेट दर्द, डायबिटीज, गठिया, पेचिस और पाचन संबंधी कई अन्य समस्याओं को ठीक करने में अत्यंत उपयोगी है।
न्यूज हवेली डेस्क
वृक्षों को धरती का श्रृंगार कहा जाता है। ये हम सबके जीवन की समृद्धि का आधार हैं। इनसे हमें तमाम तरह की जड़ी-बूटियां मिलती हैं जो हमें स्वस्थ रखती हैं। भारत में इनका धार्मिक महत्व भी है। मान्यता है कि पीपल का पेड़ लगाने से मनुष्य धनी होता है। अशोक शोक का नाश करनेवाला है। पाकड़ यज्ञ का फल देनेवाला बताया गया है। नीम का वृक्ष आयु प्रदान करने वाला माना गया है। अनार का वृक्ष पत्नी प्रदान करता है। पीपल रोग नाशक और पलाश ब्रह्मतेज प्रदान करने वाला है। आज हम बात कर रहे हैं औषधीय गुणों से भरपूर जामुन के वृक्ष के बारे में जिसे कन्या यानी लक्ष्मी दिलाने वाला माना गया है। जामुन के वृक्ष के विभिन्न हिस्सों का उपयोग कई बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार, जामुन के पेड़ के सभी भाग उपयोगी होते हैं। इसके पत्ते, फल, गुठली या बीज, तना, छाल और टहनियां सभी उपयोगी होते हैं और इन सभी का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता है। जामुन का वृक्ष पांच से य़ह साल में फल देना शुरू कर देता है। ज्योतिष शास्त्र में जामुन के वृक्ष को रोहिणी नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है। अगर जामुन की मोटी लकड़ी का टुकडा पानी की टंकी में रख दें तो टंकी में शैवाल और हरी काई नहीं जमेगी तथा पानी सड़ेगा भी नहीं।
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जामुन की इस खूबी के कारण इसका इस्तेमाल नाव बनाने में बड़ा पैमाने पर होता है। पहले के जमाने में गांवो में जब कुएं की खोदाई होती थी तो उसकी तलहटी में जामुन की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है जिसे जमोट कहते थे। उत्तर भारत में आज भी ऐसे कुएं मौजूद हैं।
दिल्ली की निजामुद्दीन बावड़ी के जीर्णोद्धार कार्य के दौरान ज्ञात हुआ 700 वर्षों के बाद भी गाद या अन्य अवरोधों की वजह से यहां जल के स्तोत्र बंद नहीं हुए हैं। पुरातत्वविद् केएन श्रीवास्तव के अनुसार, इस बावड़ी की अनोखी बात यह है कि आज भी यहां लकड़ी की वह तख्ती साबुत है जिसके ऊपर यह बावड़ी बनायी गयी थी। श्रीवास्तव के अनुसार, उत्तर भारत के अधिकतर कुंओं एवं बावड़ियों की तली में जामुन की लकड़ी का इस्तेमाल आधार के रूप में किया जाता था।
अनेक रोगों की एक दवा है जामुन
स्वास्थ्य की दृष्टि से विटामिन सी और आयरन से भरपूर जामुन शरीर में न केवल हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाता है बल्कि पेट दर्द, डायबिटीज, गठिया, पेचिस और पाचन संबंधी कई अन्य समस्याओं को ठीक करने में अत्यंत उपयोगी है। एक रिसर्च के मुताबिक, जामुन के पत्तियों में एंटी डायबिटिक गुण पाए जाते हैं जो रक्त शुगर को नियंत्रित करने करती है। ऐसे में जामुन की पत्तियों से तैयार का काढ़े का सेवन करने से डायबिटीज के मरीजों को काफी लाभ मिलेगा। इसके लिए सबसे पहले आप एक कप पानी लें। अब इस पानी को तपेली में डालकर अच्छे से उबाल लें। इसके बाद इसमें जामुन की कुछ पत्तियों को धो कर डाल दें। अगर आपके पास जामुन की पत्तियों का पाउडर है, तो आप इस पाउडर को एर चम्मच पानी में डालकर उबाल सकते हैं। जब पानी अच्छे से उबल जाए तो इसे कप में छान लें। अब इसमें आप शहद या फिर नींबू के रस की कुछ बूंदे मिलाकर करके पी सकते हैं।
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जामुन की पत्तियों में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं। इसका सेवन मसूड़ों से निकलने वाले खून को रोकने के साथ ही संक्रमण को फैलने से रोकता है। जामुन की पत्तियों को सुखाकर टूथ पाउडर के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। इसमें एस्ट्रिंजेंट गुण होते हैं जो मुंह के छालों को ठीक करने में मदद करते हैं। मुंह के छालों में जामुन की छाल के काढ़े का इस्तेमाल करने से फायदा मिलता है। जामुन में मौजूद आयरन खून को शुद्ध करने में मदद करता है। जामुन की लकड़ी न केवल एक अच्छी दातुन है अपितु पानी चखने वाले (जलसूंघा) भी पानी को सूंघने के लिए इसकी लकड़ी का इस्तेमाल करते हैं।