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गुजराती थाली

व्यापार के बाद गुजरातियों के दो सबसे बड़े शौक हैं- घूमना और खाना। भोजन के मामले में देसी अंदाज में नये-नये प्रयोग करना इनका शगल है जिसके चलते यहां की पाककला लगातार समृद्ध होती रही है।

न्यूज हवेली नेटवर्क

भारत के पश्चिमी हिस्से में स्थित गुजरात राज्य का नाम आते ही लोगों के दिमाग में डांडिया और गरबा जैसे लोकनृत्य कौंधने लगते हैं। और जब बात चलती है यहां के भोजन की तो अक्सर खमन ढोकला और खांडवी पर आकर खत्म हो जाती है। लेकिन, गुजरात सिर्फ इतना भर नहीं है। प्रकृति ने इसे समुद्र, रेगिस्तान, मैदान और पहाड़ की दौलत दी है। सोमनाथ और द्वारका की धरती गुजरात की भोजन परम्परा इसकी सांस्कृतिक विरासत की तरह ही समृद्ध है। व्यापार के बाद गुजरातियों के दो सबसे बड़े शौक हैं- घूमना और खाना। भोजन के मामले में देसी अंदाज में नये-नये प्रयोग करना इनका शगल है जिसके चलते यहां की पाककला लगातार समृद्ध होती रही है। गुजरात के व्यंजन उत्तर भारत में भी इतने लोकप्रिय हैं कि ऑनलाइन फूड डिलीवरी करने वाली कम्पनियों को मिलने वाले शाकाहारी भोजन के ऑर्डर में सबसे बड़ा हिस्सा इनका ही होता है।

खमन ढोकला : प्रायः ढोकला कहा जाने वाला यह व्यंजन गुजरातियों का पसंदीदा भोजन है। वे इसे सुबह, दोपहर, शाम किसी भी समय खाने को तैयार रहते हैं। साथ ही यह दुनिया में सबसे अधिक खाये जाने वाले व्यंजनों में शामिल है। चने के बेसन से तैयार होने वाले ढोकले को भाप में पकाया जाता है। इस कारण इसमें इसमें बहुत ही कम तेल का इस्तेमाल होता है। आमतौर पर रेस्तरां में इसके साथ हल्के पीले रंग की चटनी परोसी जाती है लेकिन असली गुजराती इसे हरी चटनी (धनिया या पुदीना से बनी) या मीठी चटनी (खजूर और इमली से तैयार) के साथ खाना पसंद करता है।

खांडवी : गुजरातियों की नाश्ते की थाली का एक अहम हिस्सा है खांडवी। हल्की, नर्म और अत्यंत स्वादिष्ट यह गुजरती डिश भी खमन ढोकला की तरह लोकप्रियता की विश्व-यात्रा पर है। बेसन, नमक और चीनी के घोल से तैयार होने वाले इस व्यंजन में एक अनूठा मीठा और नमकीन स्वाद होता है। भाप में पकाये जाने की वजह से इसमें कैलोरीज काफी कम होती हैं। इस कारण फिटनेस फ्रीक लोग इसे मजे से खा सकते हैं। इसे हरी या मीठी चटनी के साथ खाया जाता है।

हांडवो : यह एक खास तरह का गुजराती केक है जिसको खाते समय मीठा और नमकीन स्वाद एक साथ मिलता है। चावल, चना दाल, अरहर दाल और उड़द दाल के पेस्ट से तैयार किये जाने वाले हांडवो पर सफेद तिल की गार्निशिंग की जाती है। खांटी गुजराती लोग तेल, जीरा, सरसों और करी पत्ते का तड़का लगाने के बाद हांडवो बनाने के लिए एक अलग तरह के प्रेशर कुकर का इस्तेमाल करते हैं।

थेपला : थेपला एक फ्लैटब्रेड है जिसे मेथी के पत्तों, गेहूं के आटे और रसोई में आसानी से मिल जाने वाले मसालों से तैयार किया जाता है। इसे दही और चुंडा के साथ ठंडा या गर्म खा सकते हैं। यह जल्दी खराब नहीं होता। इस कारण पुराने समय में लोग इसे लम्बी यात्रा पर साथ ले जाते थे।

फाफड़ा : यह लम्बी-छरहरी गुजराती डिश बेसन की मसालेदार लोई से तैयार की जाती है। तमाम गुजरातियों की सुबह की शुरुआत इसी के नाश्ते से होती है। इसे चटनी के साथ खाया जाता है। इसके साथ यदि जलेबियों मिल जायें तो सुबह की शानदार शुरुआत समझिये! पूरे गुजरात में यह सुबह-सबह भले ही स्ट्रीट फूड की तरह बिकता हो पर मकर संक्रान्ति पर इसे खास व्यंजन की तरह घर की रसोई में तैयार किया जाता है।

खाखरा : इसे गेहूं के आटे और बेसन में हल्दी, तेल, मेथी के पत्ते और मसाले मिलाकर तैयार किया जाता है। गुंथे हुए आटे-बेसन की लोई को पापड की तरह पतला बेलकर तवे पर कपड़े से दबा-दबाकर सेंक लिया जाता है। लोग इसे चाय के साथ स्नैक्स की तरह भी खाना पसंद करते हैं।

उंधियू : कई तरह की सब्जियों से तैयार की जाने वाली इस डिश की उत्पत्ति हीरों के शहर गुजरात में हुई। इस पकवान का नाम गुजराती शब्ध “उन्धु” से लिया गया है, जिसका अर्थ है उल्टा। बैंगन, तले हुए चने के आटे की पकौड़ी (मुठिया), केले, बीन्स, आलू, हरी मटर, छाछ, नारियल और मसालों से बनाये जाने वाले इस व्यंजन को मिट्टी के बर्तन में धीमी आंच से पकाया जाता है।

मेथी मुठिया : यह मुट्ठी के आकार का डीफ प्राई स्नैक्स है। इसे गेहूं और बाजरे के आटे, चने के बेसन, हरी मेथी, चीनी, तिल, दही, नींबू के रस और मसालों से बनाया जाता है। हालांकि अब इसे स्टीम कर बनाया जाने लगा है। ऐसे में इस पर खमन ढोकला की तरह ऊपर से राई, करी पत्ता, हरी मिर्च और तेल का बघार डाला जाता है।

सेव तामेटा नू शाक : इसे बेसन के महीन सेव और टमाटर से तैयार किया जाता है। गुजराती इसे चावल और रोटी दोनों के साथ चाव से खाते हैं।

पतरोड़े : इसे अरबी (घुइयां) के पत्तों, भिगो कर पीसी हुई चने की दाल, मसालों और प्याज—लहसुन के पेस्ट से तैयार कर सरसों के तेल में तला जाता है।

बासुंदी : भारत में ज्यादातर मीठे व्यंजनों या मिठाइयों को बनाने में दूध का किसी न किसी रूप में इस्तेमाल किया जाता है। बासुंदी भी इसका अपवाद नहीं है। उबाल कर गाढ़ा किए गये दूध से तैयार की जाने वाली इस डिश को कस्टर्ड, सेब और अंगूर जैसे कई स्वादों में बनाया जाता है। केसर इसके स्वाद को कई गुना बढा देता है। काली चौदस और भौबीज जैसे शुभ अवसरों और त्योहारों पर गुजरात की हर रसोई में इसकी सुगंध भर जाती है।

घुघरा : कुरकुरा, मीठा और सुगंधित घुघरा गुजरात का एक लोकप्रिय  स्ट्रीट-फूड है जिसको डीप फ्राई किया जाता है। मैदा, मावा, बूरा और मेवों से तैयार होने वाला यह मीठा व्यंजन बाजार में तो कभी भी मिल जाता है पर गुजराती घरों में इसे प्रायः होली और दिवाली पर तैयार किया जाता है। उत्तर भारत में इसे गुझिया के नाम से जाना जाता है। इसमें कैलोरीज बहुत अधिक होती है। इस कारण बहुत से लोग इसे घी में तलने के बजाय बेक करते हैं।

मोहनथाल :  यह गुजरात की लोकप्रिय मिठाई है जिसे बेसन, देसी घी और सूखे मेवों से बनाया जाता है। यह लज्जतदार बर्फी कई दिनों तक खराब नहीं होती है। इस कारण लम्बी यात्रा पर निकलने वाले गुजराती इसे अपने साथ ले जाना नहीं भूलते।

 

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