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नई दिल्ली। (Farmer suicide at Shambhu border) शंभू बॉर्डर पर अपने साथियों के साथ धरना दे रहे किसान मजदूर संघर्ष समिति (Kisan Mazdoor Sangharsh Samiti) के सदस्य रेशम सिंह (Resham Singh) ने गुरुवार को सल्फास की गोलियां खा लीं। हालत गंभीर होने पर उनको राजपुरा के सिविल अस्पताल ले जाया जहां 11 बजे उनको मृत घोषित कर दिया गया। रेशम सिंह की मौत की खबर मिलते ही शंभू मोर्चे पर माहौल शोकमय हो गया। किसानों का आरोप है कि रेशम सिंह ने केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की नीतियों से आहत होकर सल्फास खाकर आत्महत्या की है। रेशम सिंह तरणतारन जिले के गांव पहुविंड के रहने वाले थे और पिछले कई दिनों से शंभू बॉर्डर (Shambhu Border) पर किसान आंदोलन में शामिल थे।

रेशम सिंह की पत्नी दविंदर कौर ने बताया कि उनका परिवार पूरी तरह से किसानी आंदोलन को समर्पित रहा है। दिल्ली आंदोलन के दौरान भी रेशम सिंह गांव से किसानों का जत्था लेकर कई दिन वहां डटे रहे थे।

नहीं करेंगे अंतिम संस्कार

रेशम सिंह की पत्नी दविंदर कौर, बेटे इंद्रजीत सिंह ने कहा कि शंभू व खनौरी बॉर्डर पर हजारों किसान धरना दे रहे हैं। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन 45वें दिन भी जारी है। उनकी हालत दिन-प्रतिदिन नाजुक हो रही है लेकिन केंद्र सरकार किसानों की मांगें नहीं मान रही। परिवार ने फैसला किया है कि जब तक किसानों की मांगें पूरी नहीं होती तब तक रेशम सिंह का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा।

  13 फरवरी 2024 से धरना दे रहे हैं किसान

सुरक्षा बलों द्वारा दिल्ली की ओर मार्च रोके जाने के बाद पिछले साल 13 फरवरी से किसान पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले हुए हैं। किसानों ने इससे पहले 13 फरवरी और 21 फरवरी को दिल्ली की ओर मार्च करने का प्रयास किया था लेकिन सीमा बिंदुओं पर तैनात सुरक्षा बलों ने उन्हें रोक दिया था। इसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले 101 किसानों के जत्थे ने 6 और 8 दिसंबर 2025 को पैदल दिल्ली जाने की दो कोशिशें की थीं लेकिन हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया। इस दौरान किसानों और सुरक्षाबलों के बीच टकराव जैसी स्थिति बनी जिसके बाद किसानो को पीछे धकेलने के लिए आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल किया गया। इस दौरान कई किसान घायल भी हुए।   

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