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rajiv ranjan

कांग्रेस के शासन काल में पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर मनमोहन सिंह तक संविधान के अनुच्छेद 356 का 87 बार इस्तेमाल कर राष्ट्रपति शासन लगाया गया।

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नई दिल्ली। संविधान दिवस के मौके (शुक्रवार) पर लोकसभा में चर्चा के दौरान मुंगेर से जेडीयू सांसद और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन ऊर्फ ललन सिंह ने संविधान के कथित दुरुपयोग को लेकर कांग्रेस के आरोपों पर ऐसा पलटवार किया जिसकी धमक आने वाले काफी समय तक सुनी जाएगी। संविधान की जिस अनुच्छेद 356 को लेकर बावेला मचा है, ललन सिंह का भाषण मुख्यतः कांग्रेस द्वारा किए गए उसी के दुरुपयोग पर केन्द्रित रहा। ललन सिंह ने कहा कि इन्होंने (कांग्रेस ने) अपनी सुविधा के लिए संविधान में धारा 356 का प्रावधान किया। धारा 356 के प्रावधान को भीमराव अंबेडकर ने संविधान के “मित्रपत्र” की संज्ञा दी। मतलब इसका इस्तेमाल विशेष परिस्थिति में ही किया जाना चाहिए जबकि कांग्रेस ने बार-बार राष्ट्रपति शासन लगाकर इसका सर्वाधिक दुरुपयोग किया।

ललन सिंह ने कहा कि इतिहास है कि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 7 बार अनुच्छेद 356 का इस्तेमाल किया। इंदिरा गांधी ने 51 बार 356 का इस्तेमाल किया। राजीव गांधी के समय में 6 बार इसका इस्तेमाल हुआ। पीवी नरसिम्हा राव के वक्त अनुच्छेद 356 11 बार इस्तेमाल हुआ और मनमोहन सिंह की सरकार में 12 बार अनुच्छेद 356 का इस्तेमाल हुआ। मनमोहन सिंह की सरकार ने 2005 में बिहार में जो किया वह तो अभूतपूर्व है। इन्होंने संविधान के डर से ऐसे फैसले लिये जो रात के अंधेरे में किए गए। जब सूर्योदय हुआ तो बिहार में राष्ट्रपति शासन लगा दिया। देश में आपातकाल भी रात के अंधेरे में लगाया गया। इन्होंने संविधान की आत्मा को कलंकित करने का काम किया।

केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस पार्टी को जमकर निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि जब हमारे संविधान निर्माताओं ने संविधान का निर्माण किया तब उसमें दो पहलू की बात कही गई। संविधान का एक पहलू यह है जो इस समाज के सभी वर्गों के लिए सामाजिक और आर्थिक उन्नति का रास्ता प्रशस्त करता है। दूसरी तरफ संविधान के साथ छेड़छाड़ करने वालों के लिए उसी में प्रावधान है कि उनको कहां जगह मिले।

ललन सिंह ने आगे कहा कि इस देश में कई लोगों ने बहुत लंबा शासन किया है। नरेंद्र मोदी ने पिछले 10 साल में इस देश में जो भी अच्छे काम किए हैं उसे राजनाथ सिंह ने विस्तार से बताया है। उन कामों में एक मूलमंत्र जो इसी संविधान से निकला है जो है- “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास। यही हमारे संविधान का मूलमंत्र है। यह बात इनको (विपक्ष) को कहां समझ में आएगा।”

उन्होंने कहा कि इन लोगों (कांग्रेस) ने लंबे समय तक देश में राज किया। इस दौरान इन्होंने सैकड़ों बार संविधान की धज्जियां उड़ाईं। यही कारण है कि आज संविधान ने इन्हें वहां बैठा दिया जहां 15 साल से टहल रहे हैं।

अपने पूर्वजों का इतिहास पढ़ें प्रियंकाः ललन सिंह

प्रियंका गांधी का नाम लिये बगैर ललन सिंह ने कहा कि कांग्रेस की महिला सांसद ने अपने पहले भाषण में बेहद चुटीले और व्यंगात्मक अंदाज में इस सरकार और प्रधानमंत्री पर निशाना साधा। ललन सिंह ने प्रियंका गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, “अरे आपको ज्ञान नहीं है जरा अपने पूर्वजों ने इस देश पर जो शासन किया है उनका भी इतिहास पढ़ लेती। हमारे यहां एक कहावत है, सौ चूहे खाकर, बिल्ली चली हज को।” ललन सिंह ने कहा कि जो संविधान के भक्षक हैं वे ही आजकल संविधान की कॉपी लेकर ऐसे घूम रहे हैं जैसे संविधान के कितने रक्षक हैं। राहुल गांधी का नाम लिये बगैर ललन सिंह ने कहा कि जो संविधान के भक्षक हैं वह संविधान के रक्षक नहीं हो सकते। जब आप संविधान की प्रति लेकर घूमते हैं तो जनता आप पर हंसती है। कम से कम महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव से आपको सबक ले लेना चाहिए था। कुछ सुधर जाइएगा तो आगे ठीक रहेगा।

क्या है संविधान का अनुच्छेद 356

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत, किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश पर राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है. इसे राष्ट्रपति शासन के नाम से भी जाना जाता है. इस अनुच्छेद के तहत, केंद्र सरकार को राज्य मशीनरी पर नियंत्रण करने का अधिकार मिलता है।

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