अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) के दिन सोना-चांदी खरीदना काफी शुभ माना जाता है। भविष्य पुराण के अनुसार, इस तिथि की युगादि तिथियों में गणना होती है, सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ था। भगवान विष्णु के 24 अवतारों में भगवान परशुराम, नर-नारायण और हयग्रीव अक्षय तृतीया के दिन ही पृथ्वी पर अवतरित हुए।
Akshaya Tritiya : अक्षय तृतीया (आखातीज) को अनंत-अक्षय-अक्षुण्ण फलदायक कहा जा है। जिसका कभी क्षय नहीं होता उसे अक्षय कहते हैं। इस शुभ दिन माता लक्ष्मी की उपासना करने से जीवन में उन्नति होती है। अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) के दिन सोना-चांदी खरीदना काफी शुभ माना जाता है। भविष्य पुराण के अनुसार, इस तिथि की युगादि तिथियों में गणना होती है, सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ था। भगवान विष्णु के 24 अवतारों में भगवान परशुराम, नर-नारायण और हयग्रीव अक्षय तृतीया के दिन ही पृथ्वी पर अवतरित हुए।
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, अक्षय़ तृतीया के दिन किए गए पूजा-पाठ, जप और दान-पुण्य का अक्षय फल प्राप्त होता है। इस दिन गंगा स्नान का भी बहुत महत्व है। इस दिन देवी लक्ष्मी की विधिवत पूजा-अर्चना करने पर वह भक्तों पर अपार कृपा करती हैं।
वर्ष 2024 में इस दिन मनाई जाएगी अक्षय तृतीया
अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनायी जाती है। अक्षय तृतीया तिथि को अबूझ मुहूर्त माना गया है। इस बार अक्षय तृतीया शुक्रवार, 10 मई को है। इस दिन एक साथ कई महायोग भी रहने वाले हैं। इस दिन किसी भी तरह के शुभ कार्य को संपन्न करने के लिए वैसे तो मुहूर्त की जरूरत नहीं होती हैं क्योंकि पूरे दिन सर्वोत्तम मुहूर्त रहता है लेकिन, आगे हम कुछ मुहूर्तों के बारे में जानकारी दे रहे हैं जिन पर पूजा-पाठ एवं खरीदारी करने से आपको दोगुना फल मिलेगा। इस बार अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) पर रवि योग, धन योग, शुक्रादित्य योग, गजकेसरी योग और शश योग का शुभ संयोग भी रहने वाला है।(Coincidence of many auspicious yogas on Akshaya Tritiya, it is best to do worship and shopping during these auspicious times)
अक्षय तृतीया खरीदारी और पूजा का शुभ मुहूर्त
- लाभ चौघड़िया प्रातः 7 बजकर 14 मिनट पर।
- अमृत चौघड़िया प्रातः 8 बजकर 55 मिनट पर ।
- शुभ चौघड़िया अपराह्न 12 बजकर 17 मिनट पर।
- चल चौघड़िया सायंकाल में 5 बजकर 20 मिनट पर।
अक्षय तृतीया पूजा-अर्चना विधि
– अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। संभव हो तो लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनें।
– पूजा करने के स्थान को गंगाजल डालकर अच्छे से साफ कर लें और एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। इसपर माता लक्ष्मी एवं भगवान विष्णु की मूर्तियां स्थापित करें।
-सबसे पहले भगवान विष्णु को गोपी चंदन और इसके पश्चात माता लक्ष्मी को कुमकुम से तिलक करें।
– इस दिन लक्ष्मी-नारायण की पूजा श्वेत कमल अथवा श्वेत पाटल (गुलाब) व पीले पाटल से करनी चाहिए। (सर्वत्र शुक्ल पुष्पाणि प्रशस्तानि सदार्चने। दानकाले च सर्वत्र मन्त्र मेत मुदीरयेत्॥)
-अंत में मखाने की खीर और पंचामृत का भोग लगाएं।
दान-पुण्य को लेकर लोक विश्वास
उत्तर भारत के कई क्षेत्रों में मान्यता है कि अक्षय़ तृतीया (Akshaya Tritiya) के दिन सत्तू अवश्य खाना चाहिए तथा नये वस्त्र और आभूषण पहनने चाहिए। गौ, भूमि, स्वर्ण पात्र आदि का दान भी इस दिन किया जाता है। जल से भरे घड़े, कुल्हड, सकोरे, पंखे, खडाऊँ, छाता, चावल, नमक, घी, खरबूजा, ककड़ी, शक्कर, साग, इमली, सत्तू आदि गर्मी के मौसम में लाभकारी वस्तुओं का दान भी पुण्यकारी माना गया है। लोक विश्वास है कि इस दिन जिन-जिन वस्तुओं का दान किया जाएगा, वे समस्त वस्तुए स्वर्ग व अगले जन्म में प्राप्त होंगी।
भगवान परशुराम की भी होती है पूजा
स्कंद पुराण और भविष्य पुराण में उल्लेख है कि वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को माता रेणुका के गर्भ से भगवान विष्णु ने परशुराम रूप में जन्म लिया। दक्षिण भारत में परशुराम जयन्ती को विशेष महत्त्व दिया जाता है। कोंकण और चिप्लून के परशुराम मंदिरों में इस तिथि को परशुराम जयन्ती धूमधाम से मनाई जाती है। परशुराम जयन्ती होने के कारण इस तिथि में भगवान परशुराम के आविर्भाव की कथा भी सुनी जाती है। इस दिन भगवान परशुराम की पूजा करके उन्हें अर्घ्य देने का बड़ा माहात्म्य माना गया है। सौभाग्यवती स्त्रियां और कुंवारी कन्याए इस दिन गौरी-पूजा की पूजा करके धातु या मिट्टी के कलश में जल, फल, फूल, तिल, अन्न आदि लेकर दान करती हैं तथा मिठाई, फल और भीगे हुए चने का प्रसाद बांटती हैं।