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Chennakeshava Temple Somnathpura: कावेरी नदी के तट पर स्थित प्रसन्ना चेन्नाकेशव मन्दिर मुख्य सड़क से करीब छह किलोमीटर दूर है। यह होयसल शासनकाल के सबसे अच्छी तरह से संरक्षित मन्दिरों में से एक है। मन्दिर के बाहर लगे एक शिलालेख के मुताबिक, इसका निर्माण 1254-1291 ईसवी के दौरान किया गया था। होयसल राजवंश ने 1006 से लगभग 1346 ईसवी तक दक्षिणी दक्कन में और कुछ समय तक कावेरी नदी घाटी में शासन किया था।

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न्यूज हवेली नेटटवर्क

नवरी, 2024 की एक शाम बातों-बातों में बंगलुरु में सॉफ्टवेयर इन्जीनियर अपनी बेटी से मैसूर व उसके आसपास के सबसे दर्शनीय स्थानों के बारे में पूछा तो उसने पांच नाम गिनाए- मैसूर पैलेस, जगनमोहन पैलेस, प्रसन्ना चेन्नाकेशव मन्दिर सोमनाथपुरा, चामुण्डेश्वरी देवी मन्दिर और वृन्दावन गार्डन। उसने खासतौर पर सलाह दी कि हमें सोमनाथपुरा के चेन्नाकेशव मन्दिर (Chennakeshava Temple Somnathpura) अवश्य जाना चाहिए जो होयसल वास्तुकला (Hoysala architecture) का उत्कृष्ट नमूना है।

बंगलुरु के यशवन्तपुर जंक्शन से सायंकाल छह बजे रवाना हुई मैसूर सुपर फास्ट एक्सप्रेस ने रात ठीक दस बजे हमें मैसूर जंक्शन पहुंचा दिया। अगले दिन सवेरे मैसूर घूमने की शुरुआत चमुण्डेश्वर मन्दिर से हुई। इसके बाद हम मैसूर से करीब 35 किलोमीटर दूर सोमनाथपुरा के लिए रवाना हो गये। टैक्सी ने हमें पौन घण्टे में ही प्रसन्ना चेन्नाकेशव मन्दिर (Prasanna Chennakeshava Temple) पहुंचा दिया जो होयसला वास्तुकला के तीन प्रसिद्ध और बेहतरीन प्रतिनिधित्वों में से एक है। अन्य दो हैं बेलुरु का चेन्नाकेशव मन्दिर और हेलीबीडु का होयसलेश्वर मन्दिर। होयसल मन्दिर सूक्ष्म-जटिल नक्काशी और धातु जैसी पॉलिश वाली मूर्तियों के लिए जाने जाते हैं।

चेनानकेशव मन्दिर, सोमनाथपुरा
चेनानकेशव मन्दिर, सोमनाथपुरा

कावेरी नदी के तट पर स्थित प्रसन्ना चेन्नाकेशव मन्दिर (Chennakeshava Temple Somnathpura) मुख्य सड़क से करीब छह किलोमीटर दूर है। यह होयसल शासनकाल के सबसे अच्छी तरह से संरक्षित मन्दिरों में से एक है। मन्दिर के बाहर लगे एक शिलालेख के मुताबिक,  इसका निर्माण 1254-1291 ईसवी के दौरान किया गया था। वहीं कुछ लोगों का कहना था कि इस मन्दिर का निर्माण 1568 में राजा नरसिम्हा तृतीय के सेनापति सोमनाथ दण्डनायक द्वारा कराया गया। भगवान विष्णु को समर्पित यह मन्दिर अपनी जटिल और सूक्ष्म नक्काशी, आश्चर्यजनक वास्तुकला और सुन्दर मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है। यह भी बाकी होयसल मन्दिरों तरह एक ऊंचे मंच पर बना है। इसके परिसर में तीन मन्दिर हैं। इन तीन मन्दिरों में केशव, जनार्दन और वेणुगोपाला भगवान की मूर्तियां थीं। भगवान केशव की मूर्ति गायब होने के बाद अब यहां दो ही मूर्तियां रह गयी हैं।

चेन्नाकेशव मन्दिर सोमनाथपुरा का इतिहास (History of Chennakeshava Temple Somnathpura)

चेनानकेशव मन्दिर सोमनाथपुरा
चेनानकेशव मन्दिर सोमनाथपुरा


होयसल राजवंश ने भारत में लगभग 1006 से लगभग 1346 ईसवी तक दक्षिणी दक्कन में और कुछ समय तक कावेरी नदी घाटी में शासन किया था। इस राजवंश के राजा नरसिम्हा तृतीय के सेनापति सोमनाथ दण्डनायक के नाम पर इस स्थान का नाम सोमनाथपुरा पड़ा। चेन्नाकेशव मन्दिर को 1311 में अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति मलिक काफूर और 1326 में मुहम्मद बिन तुगलक ने लूटा और क्षति पहुंचाई। बाद में विजयनगर के राजाओं और मैसूर के वोडेयारों ने इसका पुनरुद्धार कराया। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने परिसर के भीतर संलग्न दीवार और छोटी बसादियों की मरम्मत कराई।

चेन्नाकेशव मन्दिर सोमनाथपुरा की वास्तुकला (Architecture of Chennakeshava Temple Somnathpura)

चेनानकेशव मन्दिर सोमनाथपुरा
चेनानकेशव मन्दिर सोमनाथपुरा

इस मन्दिर को अन्य होयसला मन्दिरों की भांति ही तारे के आकार के चबूतरे पर बनाया गया है। यह त्रिकुटा मन्दिर है, अर्थात इसमें तीन पवित्र मन्दिर और तीन गर्भगृह हैं जिनमें भगवान कृष्ण के तीन अलग-अलग रूप हैं-उत्तरी गर्भगृह में जनार्दन स्वामी हैं (जनार्दन भगवान विष्णु का ही एक नाम है। विष्णु सहस्रनाम में यह 126वें नाम के रूप में अंकित है)। जनार्दन स्वामी की चार भुजाएं हैं जिनमें वे शंख, चक्र गदा और पद्म (कमल) धारण किए हुए हैं।दक्षिणी गर्भगृह में वेणुगोपाल की मूर्तिहै(वेणुगोपाल भागवान कृष्ण का ही एक नाम हैजो बांसुरी बजाने वाले वेणु के रूप में गोपाल (शाब्दिक रूप से “गाय रक्षक”) पर आधारित है।

चेनानकेशव मन्दिर सोमनाथपुरा
चेनानकेशव मन्दिर सोमनाथपुरा

मन्दिर के मुख्य कक्ष या गर्भगृह में भगवान केशव की मूर्ति थी। हिन्दी धर्मग्रन्थों के अनुसार केशव का अर्थ है परब्रह्म (सर्वोच्च ब्रह्म)। यह नाम विष्णु सहस्रनाम में 23वें और 648वें नामों के रूप में आता है।) मुहम्मद बिन तुगलक के आक्रमण के दौरान यह मूर्ति क्षतिग्रस्त हो गयी थी। भारत में अंग्रेजों के शासन के दौरान वे इस क्षतिग्रस्त मूर्ति को अपने देश ले गये और एक संग्रहालय में प्रदर्शन के लिए रख दिया। चूंकि मुख्य केशव मूर्ति गायब है और बाकी दो मूर्तियाक्षतिग्रस्त स्थिति में हैं, इसलिए इस मन्दिर में पूजा नहीं की जाती।

तीर्थों के तीन शिखर : मन्दिर परिसर के भीतर से शिखर की नोकें दिखाई देती हैं। ये एक सीधी रेखा में नहीं बल्कि मॉन्दिर की संरचना के तारे के आकार की योजना से मेल खाते हुए एक-दूसरे के कोण पर हैं। शिखर के अग्रभागों पर यक्ष के साथ ही अन्य दिव्य आकृतिया उकेरी गयी हैं।

इस मन्दिर की मूर्तियां और स्तम्भ क्लोरिटिक शिस्ट नामक नरम पत्थरों से बनाए गये हैं। इस पत्थर पर बारीक और जटिल नक्काशी की जा सकती है।आज भी इस क्षेत्र में पत्थर, हाथीदांत और चन्दन पर परम्परागत नक्काशी करने वाले कुशल कारीगर रहते हैं।

मन्दिर के पूरे अग्रभाग पर हिन्दू पौराणिक ग्रन्थों के विषयों और पात्रों को उकेरा गया है। दक्षिणी हिस्से में बाल्मीकि रामायण जबकिउत्तरी हिस्से में महाभारत की कहानियां उकेरी गयी हैं। मन्दिर परिसर में कुछ स्थानों पर कामसूत्र, विष्णु पुराण और भागवत पुराण की कहानियां उकेरी गयी हैं ।ऊंचे मंच के किनारों पर हाथियों और घोड़ों की कतारें, महाकाव्यों की कहानियां और अन्य छवियां उकेरी गयी हैं। खास बात यह है कि हाथी की सभी मूर्तियां आकार एवं भाव में एक-दूसरे से भिन्न हैं। मन्दिर परिसर में ऐसे 540 हाथी हैं। इन्हें बाएं से दाएंदक्षिणावर्त दिशा में जाते हुए दर्शाया गया है, जैसा कि भक्त मन्दिर के चारों ओर प्रदक्षिणा (परिक्रमा) करते हैं।

चेनानकेशव मन्दिर सोमनाथपुरा
चेनानकेशव मन्दिर सोमनाथपुरा

मुख्य मन्दिर में नवरंगा : इसे यह नाम उन नौ (नेव) वर्गों से मिला है जो मन्दिर के विशाल हॉल का निर्माण करते हैं। गर्भगृह में प्रवेश करने से ठीक पहले एक बिन्दु पर गाइड ने हमें रोक दिया। उन्होंने बताया कि हम इस स्थान से तीन तीर्थस्थलों में देवताओं के दर्शन कर सकते हैं। सचमुच वह सही था!

छत पर कमल की कलियां : मंदिर के अंदरूनी हिस्से में कमल की कलियों की अद्भुत मूर्तियां हैं। कलियों के चारों ओर रंगोली पैटर्न, सर्पिल सांप और कुछ अन्य तरह की नक्काशी हैं।

स्तम्भ : चमकदार स्तम्भ होयसल शैली के सभी मन्दिरों की एक सामान्य विशेषता हैं। इस मन्दिर के सभी 16 स्तम्भों के अलग-अलग डिजाइन और अलग-अलग दोहराव वाले पैटर्न थे।

चेनानकेशव मन्दिर सोमनाथपुरा
चेनानकेशव मन्दिर सोमनाथपुरा

 

कब जायें चेन्नाकेशव मन्दिर सोमनाथपुरा (When to visit Chennakeshava Temple Somnathpura)

यह मन्दिर प्रातः नौ से सायंकाल पांच बजे तक खुला रहता है। अक्टूबर से मार्च के बीच यहां कई उत्सव मनाए जाते हैं।

ऐसे पहुंचें चेन्नाकेशव मन्दिर सोमनाथपुरा (How to reach Chennakeshava Temple, Somnathpura)

चेनानकेशोव मन्दिर सोमनाथपुरा
चेनानकेशोव मन्दिर सोमनाथपुरा

वायु मार्ग : निकटतम हवाईअड्डा मैसूर इण्टरनेशल एयरपोर्ट सोमनाथपुरा से करीब 42 किलोमीटर पड़ता है।बंगलुरु, दिल्ली,हैदराबाद, चेन्नई,गोवा, कोच्चि आदि से मैसूर के लिए सीधी उड़ानें हैं।

रेल मार्ग : मैसूर जंक्शन से चेन्नाकेशव मन्दिर करीब 34 किमी दूर है। बंगलुरु, मंगलोर, चेन्नई, तिरुवन्तपुरम, हैदराबाद, दिल्ली, मुम्बई लखनऊ, वाराणसी आदि से मैसूर के लिए ट्रेन सेवा है।

सड़क मार्ग : सोमनाथपुरा जाने का सबसे आसान तरीका यह है कि आप मैसूर पहुंच जायें। बस आपको मैसूर से जाने वाली मुख्य सड़क पर मन्दिर से करीब छह किमी पहले उतार देती है जहां से आप टैक्सी या टैम्पो ले सकते हैं।

चेनानकेशव मन्दिर सोमनाथपुरा
चेनानकेशव मन्दिर सोमनाथपुरा
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