प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले 2019 में 73वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर एक देश एक चुनाव के अपने विचार को आगे बढ़ाया था।
नई दिल्ली। (One Nation One Election bill) नरेंद्र मोदी कैबिनेट की मुहर लगने के बाद सोमवार, 16 दिसंबर को “एक देश एक चुनाव बिल” को संसद में पेश किया जाएगा। केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल इस बिल को लोकसभा में पेश करेंगे।
सूत्रों ने बताया कि कैबिनेट के फैसले के बाद एक व्यापक विधेयक आने की उम्मीद है। इससे पहले सितंबर में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक देश एक चुनाव को लेकर बनी कोविंद समिति की रिपोर्ट को मंजूरी दी थी जिसमें कहा गया है कि एक साथ चुनाव की सिफारिशें को दो चरण में कार्यान्वित किया जाएगा। पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव और दूसरे चरण में स्थानीय निकाय चुनाव होंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले 2019 में 73वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक देश एक चुनाव के अपने विचार को आगे बढ़ाया था। उन्होंने कहा था कि देश के एकीकरण की प्रक्रिया हमेशा चलती रहनी चाहिए। 2024 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भी प्रधानमंत्री मोदी ने इस पर विचार रखे थे।
विधि आयोग की रिपोर्ट के बाद शुरू हुई बहस
दरअसल, एक देश एक चुनाव की बहस 2018 में विधि आयोग के एक मसौदा रिपोर्ट के बाद शुरू हुई थी। उस रिपोर्ट में आर्थिक वजहों को गिनाया गया था। आयोग का कहना था कि 2014 में लोकसभा चुनाव का खर्च और उसके बाद हुए विधानसभा चुनावों का खर्च लगभग समान रहा है। साथ-साथ चुनाव होने पर यह खर्च 50:50 के अनुपात में बंट जाएगा।
सरकार को सौंपी अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट में विधि आयोग ने कहा था कि साल 1967 के बाद एक साथ चुनाव कराने की प्रक्रिया बाधित हो गई। आयोग का कहना था कि आजादी के शुरुआती सालों में देश में एक पार्टी का राज था और क्षेत्रीय दल कमजोर थे। धीरे-धीरे अन्य दल मजबूत हुए कई राज्यों की सत्ता में आए। वहीं, संविधान की धारा 356 के प्रयोग ने भी एक साथ चुनाव कराने की प्रक्रिया को बाधित किया। अब देश की राजनीति में बदलाव आ चुका है। कई राज्यों में क्षेत्रीय दलों की संख्या काफी बढ़ी है। कई राज्यों में इनकी सरकार भी है।