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panchachuli darshan from berinagpanchachuli darshan from berinag

Berinag: बेरीनाग का बेणीनाग मन्दिर कुमाऊं के प्रमुख नाग मन्दिरों में एक है। इस मन्दिर के कारण ही इस क्षेत्र को बेणीनाग कहा जाने लगा जो बाद में बेड़ीनाग हो गया और अंगेजों के शासनकाल में बेरीनाग (Berinag) कहलाने लगा।

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न्यूज हवेली नेटवर्क

र्पाकार सड़कें, ढलवा छत वाले मकान, चाय के बागान, घने जंगल, ढलान वाले पर्वतीय चारागाहों में तृप्त होते मवेशी और उत्तर की ओर पंचाचूली के नाम से प्रसिद्ध हिमालय के पांच हिम शिखरों के दिव्य दर्शन। यह बेरीनाग (Berinag) है, बेणीनाग की धरती। यहां का बेणीनाग मन्दिर कुमाऊं के प्रमुख नाग मन्दिरों में एक है। इस मन्दिर के कारण ही इस क्षेत्र को बेणीनाग कहा जाने लगा जो बाद में बेड़ीनाग हो गया और अंगेजों के शासनकाल में बेरीनाग (Berinag) कहलाने लगा।

समुद्र तल से 1,860 मीटर (6,100 फीट) की ऊंचाई पर बसा यह पर्वतीय कस्बा अब एक लोकप्रिय हिल स्टेशन है। हालांकि कभी यह चाय बागानों के लिए ही ज्यादा प्रसिद्ध था पर जब कुमाऊं के नैनीताल, रानीखेत और कौसानी जैसे पर्यटन स्थल पर्यटकों से ठसाठस होने लगे तो घुमक्कड़ों ने बेरीनाग (Berinag), चौकोड़ी, मुनस्यारी और दारमा जैसे और ज्यादा ऊंचाई वाले स्थानों का रुख करना शुरू कर दिया। इसी के साथ बेरीनाग का नाम पर्यटकों की जुबान पर चढ़ने लगा।

सर्दी के मौसम में बेरीनाग।
सर्दी के मौसम में बेरीनाग।

बेरीनाग का इतिहास (History of Berinag)

बेरीनाग ऐतिहासिक तौर पर  काली कुमाऊं के गंगोली क्षेत्र के अन्तर्गत माना जाता है। यहां तेरहवीं शताब्दी तक यह कत्यूरी राजवंश का शासन था। इसके बाद यहां मनकोटी राजाओं का शासन स्थापित हो गया जिनकी राजधानी मनकोट थी। सोलहवीं शताब्दी में कुमाऊं के राजा बालो कल्याण चन्द ने मनकोट पर आक्रमण कर गंगोली क्षेत्र पर अधिकार कर लिया। इसके बाद यह क्षेत्र 1790 तक कुमाऊं का हिस्सा रहा। 1790 में गोरखाओं ने कुमाऊं पर आक्रमण कर कब्ज़ा कर लिया। 1815 में गोरखाओं की पराजय के बाद यहां अंग्रेज़ों का कब्ज़ा हो गया।

बेरीनाग का नाग मन्दिर।
बेरीनाग का नाग मन्दिर।

अंग्रेजी शासन काल में यहां चाय के कई बागान स्थापित किये गये। लगभग दो सदियों तक बेरीनाग और चौकोड़ी में चाय के कई बागान थे। सरकारी दस्तावेजों के अनुसार1964-65 में इस क्षेत्र में कुल 9,667 नाली (195.4 हेक्टेयर) क्षेत्र में चाय के बागान थे। 80-90 का दशक चाय बागानों के पराभव का समय था जब यहां एक-एक कर कई बागान खत्म होते गये और शहर का विस्तार होता गया। वर्ष 2004 में डीडीहाट तहसील के 298 गांवों को स्थानान्तरित कर बेरीनाग (Berinag) तहसील का गठन किया गया। यहां से गुजरने वाली सड़क अब राष्ट्रीय राजमार्ग 309ए कहलाती है जो अल्मोड़ा से शुरू होकर पिथौरागढ़ के पास रामेश्वर तक जाता है।

कब जायें बेरीनाग (When to go to Berinag)

बेरीनाग (Berinag) जाने का सबसे अच्छा समय गर्मी के मौसम में मार्च से जून और सर्दी में अक्टूबर से जनवरी के मध्य का है। सर्दी के मौसम में कई बार यहां का तापमान गिरकर शून्य से नीचे चला जाता है। यहां तक कि गर्मी के मौसम में भी रातें सर्द होती हैं। ऐसे में अपने साथ गर्म पकड़े, टोपी, मफलर आदि अवश्य ले जायें।

ऐसे पहुंचे बेरीनीग (How to reach Berinag)

बेरीनाग का नाग मन्दिर।
बेरीनाग का नाग मन्दिर।

सड़क मार्ग : बेरीनाग (Berinag) पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से करीब 101 किलोमीटर जबकि कुमाऊं मंडल मुख्यालय नैनीताल से 160 किमी है। इन दोनों स्थानों के साथ ही अल्मोड़ा, चम्पावत और हल्द्वानी से भी यहां के लिए बस और टैक्सी मिलती हैं।

रेल मार्ग : काठगोदाम और टनकपुर निकटतम रेलवे स्टेशन हैं। ट्रेन से काठगोदाम पहुंचने के बाद बेरीनाग पहुंचने के लिए सड़क मार्ग से 177 किमी का सफऱ करना होता है। टनकपुर से बेरीनाग की दूरी करीब 190 किमी है। दोनों जगह से यहां के लिए बस और टैक्सी मिल जाती हैं।

वायु मार्ग : निकटतम हवाईअड्डे पंतनगर एयरपोर्ट से बेरीनाग करीब 211 किलोमीटर है। हालांकि पिथौरागढ़ के पास नैनी सैनी में भी हवाई पट्टी है पर वहां गिन-चुने छोटे विमान ही आते हैं।

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