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sambhal's shahi jama masjid

इस मामले में कैला देवी मंदिर के ऋषिराज गिरी समेत 8 वादकारियों ने सिविल जज सीनियर डिवीजन आदित्य कुमार सिंह की चंदौसी स्थित कोर्ट में वाद दाखिल किया है।

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संभल। उत्तर प्रदेश के संभल में अदालत के आदेश पर मंगलवार की रात शाही जामा मस्जिद का एडवोकेट सर्वे किया गया। सर्वे के दौरान दोनों पक्षों के लोगों के अलावा संभल के जिलाधिकारी और पुलिस कप्तान भी मौजूद रहे। अदालत ने मंगलवार को ही सर्वे का आदेश दिया था जिस पर तुरंत अमल शुरू हो गया। काम रात में ही पूरा कर लिया गया। अदालत ने 7 दिन में सर्वे पूरा कर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। दरअसल, हिंदू पक्ष का दावा है कि शाही जामा मस्जिद श्री हरिहर मंदिर के ऊपर बनी है। कैला देवी मंदिर के ऋषिराज गिरी समेत 8 वादकारियों ने सिविल जज सीनियर डिवीजन आदित्य कुमार सिंह की चंदौसी स्थित कोर्ट में वाद दाखिल किया है।

इस मामले में एएसआई, उत्तर प्रदेश सरकार, शाही जामा मस्जिद कमेटी और संभल के जिलाधिकारी को पक्षकार बनाया गया है। मामले की अगली सुनवाई 29 नमंबर को होगी।

हिंदू पक्ष

हिंदू पक्ष के याचिकाकर्ता अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत ने शाही जामा मस्जिद केसर्वे के लिए एडवोकेट कमीशन गठित करने के निर्देश दिए थे।। अदालत ने कहा है कि कमीशन के माध्यम से वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी सर्वे कराकर अदालत में रिपोर्ट दाखिल की जाए।

विष्णु शंकर जैन ने कहा कि संभल का श्री हरिहर मंदिर हमारी आस्था का केंद्र है। हमारी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि को यहीं पर अवतरित होना है। वर्ष 1529 में बाबर ने मंदिर को तोड़ कर मस्जिद में बदलने की कोशिश की थी। यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित क्षेत्र है। इसमें किसी भी तरह का अतिक्रमण नहीं हो सकता। यहां पर बहुत सारे निशान और संकेत हैं जो हिन्दू मंदिर के हैं। इन सारी बातों को ध्यान रखते हुए अदालत ने यह आदेश जारी किया है।”

जैन ने बाद में एक्स पर पोस्ट किया, “आज माननीय सिविल कोर्ट ने मेरी याचिका पर एडवोकेट कमिश्नर द्वारा संभल में कथित जामा मस्जिद का सर्वे करने का निर्देश दिया है जिसे हरिहर मंदिर के नाम से जाना जाता था। बाबर ने 1529 में इस स्थान को आंशिक रूप से ध्वस्त कर दिया था। ऐसा माना जाता है कि कल्कि अवतार सम्भल में होना है।”

मुस्लिम पक्ष

शाही जामा मस्जिद के सदर जफर अली एडवोकेट ने कहा कि जामा मस्जिद का सर्वे करने के लिए कोर्ट से अधिवक्ता आयुक्त आए थे। उन्होंने मस्जिद का सर्वे किया है। फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी की है। दावा पूरी तरह बेबुनियाद है। चुनावी एजेंडा है और इससे ज्यादा कुछ नहीं।

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