Pavitra Bardeva : पवित्रा बरदेवा के पिता का सपना था पूरे नेपाल को पैदल-पैदल घूमकर दुनिया के सामने लाने का। पवित्र ने उनके इस सपने को पूरा करने का बीड़ा उठाया। इसके लिए वह पिछले पांच साल से पैदल ही नेपाल में यात्रा कर रही है। टूर द ठाकुरद्वारा महाकुम्भ में पवित्रा से मिलकर मुझे ऐसा लगा जैसे किसी कुम्भ मेले में बिछुड़ गयी बिटिया वापस मिल गयी हो।
संजीव जिन्दल
मैंने बहुत यात्राएं की हैं और कई अद्भुत लोगों से मिला हूं पर जब मैं पवित्रा बरदेवा (Pavitra Bardeva) से मिला तो लगा कि जैसे परमात्मा ने मुझे सबसे अद्भुत शख्सियत से मिलवाया है। यह प्यारी-सी बिटिया जिसका नाम ही पवित्रा है, उसकी आत्मा और मुस्कान भी उतनी ही पवित्र है। छोटी-सी उम्र में उसके सिर पर से पिता का साया उठ गया था। उसके पिताजी को घूमने और नेपाल को पर्यटन के क्षेत्र में विश्व मानचित्र पर लाने का जुनून था। वह विदेशी पर्यटकों को भी ट्रैकिंग पर ले जाते थे। एक मनहूस दिन वह नेपाल के एक दूरस्थ क्षेत्र में लापता हो गये। कुछ दिन की ढूंढ-खोज के बाद मान लिया गया कि उनकी मृत्यु हो चुकी है, हालांकि उनका शव नहीं मिला। 23 दिन बाद पवित्रा (Pavitra Bardeva) ही उनके शव को खोज कर लायी।
पवित्रा बरदेवा (Pavitra Bardeva) के पिता का सपना था पूरे नेपाल को पैदल-पैदल घूमकर दुनिया के सामने लाने का। पवित्र ने उनके इस सपने को पूरा करने का बीड़ा उठाया। इसके लिए वह पिछले पांच साल से पैदल ही नेपाल में यात्रा कर रही है। टूर द ठाकुरद्वारा (Tour the Thakurdwara) महाकुम्भ में पवित्रा से मिलकर मुझे ऐसा लगा जैसे किसी कुम्भ मेले में बिछुड़ गयी बिटिया वापस मिल गयी हो। उसको दूर से देखकर आपको महसूस होगा कि कितनी खुशहाल बिटिया है पर पास बैठकर दो लाइनें गुनगुनाने को मन करेगा, “लाखों गम छुपे हैं इस मुस्कान के पीछे।”
पवित्रा (Pavitra Bardeva) से मिलकर मैं रातभर सो नहीं पाया और परमात्मा की कारगुजारी को कोसता रहा। आखिर चाहता क्या है परमात्मा? पवित्रा के साथ गुजारे कुछ पल मेरी जिन्दगी के सबसे खूबसूरत पल हैं। अपने पिता के पवित्र संकल्प को पूरा करने में जुटी पवित्रा बिटिया तुम्हारे दृढ़ संकल्प के सामने मैं नतमस्तक हूं। आने वाले समय में तुम्हारे सभी दुख-दर्द दूर हों और तुम यूं ही मुस्कुराती रहो।
अजीत बरालः नेपाल का पर्यटन राजदूत (Ajit Baral: Tourism Ambassador of Nepal)
टूर द ठाकुरद्वारा (Tour the Thakurdwara) मानो अद्भुत और उत्साही बच्चों के साथ नाचने-गाने की यात्रा थी। विश्व प्रसिद्ध साइकिलिस्ट अजीत बराल (Ajit Baral) के साथ नाचने-गाने में जो आनन्द मिला उसका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता। अजीत साइकिल से 75 देश घूम चुके हैं। मैं इसे घूमना नहीं कहता बल्कि मेरे अनुसार अजीत 75 देशो में नेपाल के पर्यटन राजदूत बनकर गये, वहां के लोगों को नेपाल के प्राकृतिक सौन्दर्य के बारे में बताया और नाच-गाकर नेपाली संस्कृति की जानकारी दी ताकि ज्यादा से ज्यादा पर्यटक उनके देश में आयें। कुछ दिन पहले ही वह अमेरिका गये थे और वहां के एक सिरे से दूसरे सिरे तक साइकिल चलाई। अमेरिका के बड़े अखबारों और न्यूज़ चैनलों पर उनके साक्षात्कार आए। लाखों अमेरिकियों को अजीत के माध्यम् से नेपाल के बारे में पता चला और उनमें से कई लोग नेपाल घूमने भी आये।
एक अजब-गजब देशभक्त अजीत बराल (Ajit Baral) के साथ मुझे पूरे दो दिन व्यतीत करने का मौका मिला और ये मेरी जिन्दगी के शायद सबसे यादगार दिन हैं।