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वायनाड

एक स्थानीय किंवदन्ती के अनुसार वायनाड का नाम दो शब्दों से उत्पन्न हुआ है- “वायल” और “नाद’। जब इन दोनों शब्दों को जोड़ा जाता है तो इसका अर्थ होता है “धान के खेतों की भूमि”।

न्यूज हवेली नेटवर्क

श्चिमी घाट के हरे-भरे पर्वतों के बीच स्थित वायनाड भारत के उन गिने-चुने स्थानों में है जहां का प्राकृतिक सौन्दर्य आज भी अपने प्राचीन रूप में है। केरल के कन्नूर और कोझिकोड जिलों के मध्य स्थित वायनाड जिला एक नवम्बर 1980 को अस्तित्व में आया था जिसका जिला मुख्यालय है कलपट्टा। इससे पहले यह स्थान मायकक्षेत्र के नाम से जाना जाता था जिसका अर्थ है “माया की भूमि”। मायकक्षेत्र पहले मायनाड बना और फिर इसे वायनाड के नाम से जाना जाने लगा। एक स्थानीय किंवदन्ती के अनुसार इस स्थान का नाम दो शब्दों से उत्पन्न हुआ है- “वायल” और “नाद’। जब इन दोनों शब्दों को जोड़ा जाता है तो इसका अर्थ होता है “धान के खेतों की भूमि”। (Wayanad: Untouched beauty of nature)

पुरातात्विक खोजों से यह पता चलता है कि वायनाड (Wayanad) तीन हज़ार वर्ष पहले भी अस्तित्व में था। ईसा मसीह के जन्म से दस हज़ार वर्ष पहले भी यह स्थान जीवन की हलचल से भरा हुआ था। यहां मिली नक्काशियां और लकड़ी पर उकेरे गये चित्र आदि इस दावे को सच्चा साबित करते हैं। समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास वाले वायनाड ने अठारहवीं शताब्दी में हैदर अली का आक्रमण भी देखा है। इसके पश्चात यहां पर कोट्टयम के शाही परिवार का शासन रहा। फिर अंगेजों ने यहां पर सौ वर्षों तक राज्य किया। अंग्रेजों के शासन के दौरान वायनाड में चाय और कॉफ़ी की खेती शुरू हुई। अंग्रेजों ने ही यहां सडकों का जाल बिछाया।

दर्शनीय स्थल

वायनाडः शैल शिखरों पर मंडराते बादल।

वायनाड भारत के सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक है। चेम्बरा पीक, कुरुवा द्वीप, पुकोडे झील, मुथंगा वन्यजीव अभयारण्य, पक्षिपथलम अभयारण्य, बाणासुर बांध,एडक्कल गुफाएं, सूचिपारा जलप्रपात, कंथानपारा जलप्रपात, नीलमाला व्यू प्वाइंट, हेरिटेज संग्रहालय, एडवेंचरस थीम पार्क आदि यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। थिरुनेल्ली मन्दिर, सीता देवी का मन्दिर, पुलियरमाला जैन मन्दिर यहां के प्रमुख धार्मिक स्थल हैं। यहां कई मस्जिद भी हैं।

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पर्यटक यहां कैम्पिंग, ट्रैकिंग, बैकपैकिंग, वाइल्डलाइफ रिफ्यूज और नेचर वॉक करने के साथ ही चाय बागानों को भी देख सकते हैं। वायनाड कालीमिर्च, लौंग, इलायची, जायफल-दालचीनी-जावित्री के उत्पादन के लिए भी प्रसिद्ध है। पर्यटक इनके बागानों की सैर करने के साथ ही श्रमिकों को इन मसालों को चुनते हुए भी देख सकते हैं।

अक्टूबर से मई तक यहां घूमने का सबसे अच्छा समय है। जून से सितम्बर के बीच यहां भारी बारिश होती है।

ऐसे पहुंचें

वायु मार्ग : निकटतम हवाई अड्डा कोझीकोड का कारीपुर इण्टरनेशनल एयरपोर्ट वायनाड शहर के करीब 100 किलोमीटर दूर है।

रेल मार्ग : कोझीकोड यहां का सबसे करीबी रेलवे स्टेशन है जहां के लिए दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, हैदराबाद, तिरुवनन्तपुरम, पुणे, विशाखापत्तनम, जम्मू आदि से ट्रेन सेवा है।

सड़क मार्ग : यहां के लिए कोझीकोड से बस और टैक्सी सेवा उपलब्ध है।

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