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Vaidyanath Jyotirlinga: श्री शिव महापुराण के अनुसार झारखण्ड के जसीडीह रेलवे स्टेशन के समीप स्थित देवघर का श्री वैद्यनाथ शिवलिंग ही वास्तविक वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग है। द्वादश ज्योतिर्लिंग की गणना के क्रम में इसको नौवां ज्योतिर्लिंग बताया गया है। स्थान का संकेत करते हुए लिखा गया है कि “चिताभूमौ प्रतिष्ठित:”। इसके अतिरिक्त अन्य स्थानों पर भी “वैद्यनाथं चिताभूमौ” लिखा गया है।

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न्यूज हवेली नेटवर्क

झारखण्ड राज्य के देवघर नामक स्‍थान में देवाधिदेव महादेव वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Vaidyanath Jyotirlinga) के रूप में विराजते हैं। यह एक सिद्धपीठ है। इस कारण इस लिंग को “कामना लिंग” (kaamna ling) भी कहा जाता है। श्री शिव महापुराण के अनुसार झारखण्ड के जसीडीह रेलवे स्टेशन के समीप स्थित देवघर का श्री वैद्यनाथ शिवलिंग ही वास्तविक वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Vaidyanath Jyotirlinga) है। द्वादश ज्योतिर्लिंग की गणना के क्रम में इसको नौवां ज्योतिर्लिंग बताया गया है। स्थान का संकेत करते हुए लिखा गया है कि “चिताभूमौ प्रतिष्ठित:”। इसके अतिरिक्त अन्य स्थानों पर भी “वैद्यनाथं चिताभूमौ” लिखा गया है। जिस समय भगवान शंकर देवी सती के शव को अपने कन्धे पर रखकर इधर-उधर उन्मत्त की तरह घूम रहे थे, उसी समय इस स्थान पर सती का हृत्पिण्ड अर्थात हृदय भाग गलकर गिर गया। भगवान शंकर ने उस हृत्पिण्ड का दाह-संस्कार उक्त स्थान पर किया था जिसके कारण इसका नाम “चिताभूमि” पड़ गया। श्री शिव महापुराण के एक श्लोक में वैद्यनाथ का उक्त चिताभूमि में स्थान माना जाता है-

प्रत्यक्षं तं तदा दृष्टवा प्रतिष्ठाप्य च ते सुरा:।

वैद्यनाथेति सम्प्रोच्य नत्वा नत्वा दिवं ययु:।।

एक अन्य स्थान पर कहा गया है-

वैद्यनाथावतारो हि नवमस्तत्र कीर्तित:।

आविर्भूतो रावणार्थं बहुलीलाकर: प्रभु:।।

तदानयनरूपं हि व्याजं कृत्वा महेश्वर:।

ज्योतिर्लिंगस्वरूपेण चिताभूमौ प्रतिष्ठित:।।

वैद्यनाथेश्वरो नाम्ना प्रसिद्धोऽभूज्जगत्त्रये।

दर्शनात्पूजनाद्भभक्या भुक्तिमुक्तिप्रद: स हि।।

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग

श्रावण मास में होती है पवित्र यात्रा (Holy journey takes place in the month of Shravan)

देवघर का शाब्दिक अर्थ है देवी-देवताओं का निवास स्थान। हर साल श्रावण मास में लाखों श्रद्धालु “बोल-बम!” “बोल-बम!” का जयकारा लगाते हुए बाबा वैद्यानथ के दर्शन करने आते हैं। सबसे पहले तीर्थयात्री सुल्तानगंज में एकत्र होते हैं जहां वे अपने-अपने पात्रों में पवित्र गंगाजल भरते हैं। इसके बाद वे गंगाजल को अपनी-अपनी कांवर में रखकर वैद्यनाथ धाम और बासुकीनाथ की ओर बढ़ते हैं। पवित्र जल लेकर जाते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि वह पात्र जिसमें जल है, कहीं भी भूमि से न सटे। मुख्य मन्दिर के समीप ही एक विशाल तालाब है। बाबा वैद्यनाथ का मुख्य मन्दिर सबसे पुराना है जिसके आसपास कई और मन्दिर हैं। बाबा भोलेनाथ का मन्दिर देव पार्वती के मन्दिर से जुड़ा हुआ है।

मंदिर के शीर्ष पर लगे हैं पंचशूल (Panchashul is installed on the top of the temple)

भगवान शिव के सभी मंदिरों में त्रिशूल लगा होता है लेकिन वैद्यनाथ मन्दिर (Vaidyanath Temple) परिसर के शिव, पार्वती, लक्ष्मी-नारायण समेत सभी मन्दिरों में पंचशूल लगे हैं। इन्हें सुरक्षा कवच माना गया है। ये महाशिवरात्रि से दो दिन पहले उतारे जाते हैं और अगले दिन विधि-विधान के साथ पूजा कर इन्हें फिर स्थापित कर दिया जाता है। इस दौरान भगवान शिव और माता पार्वती के गठबंधन को भी हटा दिया जाता है।

कैसे पहुंचें वैद्यनाथ धाम (How to reach Vaidyanath Dham)

देवघर पटना से 230, बोधगया से 175, रांची से 250 और कोलकाता से करीब 359 किलोमीटर पड़ता है। पटना, रांची और कोलकाता में एयरपोर्ट हैं। श्रद्धालु ट्रेन, बस, टैक्सी अथवा फ्लाइट के जरिए वैद्यनाथ धाम आसानी से पहुंच सकते हैं। देवघर बस स्टैंड से बाबा धाम की दूरी तीन किलोमीटर जबकि जसीडीह रेलवे जंक्शन से करीब सात किलोमीटर है। जसीडीह जंक्शन दिल्ली-हावड़ा रेल रूट पर है। अत: देश की प्रमुख ट्रेन इस मार्ग से गुजरती हैं। यहां से कुछ किमी दूर वैद्यनाथ धाम रेलवे स्टेशन भी है।

3 thought on “Vaidyanath Jyotirlinga : वैद्यनाथ : चिता भूमि पर शिव का धाम”
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