अथर्व ने बताया कि पहले एक नर मकड़ी मिली और लगभग चार घंटे की खोज के बाद मादा मकड़ी मिली जो पेड़ के रंग और बनावट में पूरी तरह घुली हुई थी।
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में पर्यावरण विज्ञान के छात्र अथर्व बानेर ने पुणे शहर के बीचोबीच एक पहाड़ी पर मकड़ी की एक नई प्रजाति खोज निकाली है। यह नई मकड़ी “जंपिंग स्पाइडर” परिवार से है और इसे “ओकिनावीसियस टेकडी” नाम दिया गया है। अथर्व बानेर जब पहाड़ी पर मकड़ियों की विविधता पर अपनी रिसर्च कर रहे थे, तभी उन्हें यह अनोखी प्रजाति दिखाई दी। “टेकडी” मराठी शब्द है जिसका अर्थ “पहाड़ी” होता है।
डाउन टू अर्थ की रिपोर्ट के अनुसार, अथर्व से ही मकड़ियों पर शोध कर रहे थे और इस मकड़ी को देखते ही उन्हें “जंपिंग स्पाइडर” प्रजाति की याद आई। अथर्व बताते हैं कि बीते दिनों वे बानेर पहाड़ी पर कुछ रिसर्च कर रहे थे, तभी उन्हें अंजीर के एक पेड़ पर यह प्रजाति दिखाई दी। उनकी यह खोज जर्नल ऑफ आर्कनोलॉजी में प्रकाशित हुई। मकड़ी की इस नई प्रजाति की खोज को अपने आप में काफी अद्भुत माना जा रहा है।
पहले नर और फिर मादा मकड़ी मिली
अथर्व ने बताया कि पहले उन्हें एक नर मकड़ी मिली और फिर लगभग चार घंटे की खोज के बाद मादा मकड़ी मिली जो पेड़ के रंग और बनावट में पूरी तरह घुली हुई थी। उनके पास इसकी तस्वीरें लेने के लिए कोई साधन नहीं था, इसलिए उन्होंने तुरंत अपने दोस्त मधुरा गोडबोले को बुलाया। इस प्रजाति को पहचानने में मदद करने के लिए उन्होंने पीएचडी स्कॉलर ऋषिकेश त्रिपाठी को एक नमूना भी भेजा जो खुद 22 प्रजातियों की पहचान कर चुके हैं।
अनोखे जननांगों से हुई पहचान
ऋषिकेश त्रिपाठी केरल के क्राइस्ट कॉलेज के जूलॉजी डिपार्टमेंट में पीएचडी स्कॉलर हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने इस मकड़ी पर रिसर्च की और पाया कि यह एक अनोखी और नई प्रजाति है। उन्होंने बताया कि भारत में इस जीनस की दो प्रजातियां पहले से ही पाई जाती हैं। एक नई मकड़ी की प्रजाति की पहचान उसके अनोखे जननांगों से हुई है, खासकर मादा मकड़ी के।
रिसर्च में बताया गया है कि इनकी पहचान का एक खास लक्षण है। इनके जननांगों में झिल्लीदार कुंडलियां मौजूद रहती हैं। ये मकड़ियां कीट विविधता के लिए जरूरी हैं। इन्हें संरक्षित करने के लिए केवल देसी पेड़ लगाने होंगे। अगर पहाड़ों या पेड़ों के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ होती है तो इससे इनके अस्तित्व पर खतरा बन जाएगा।