Sat. Apr 26th, 2025
tripuranatakeshwara temple situated in balligavi (Balla) village of shivamogga district, karnataka.tripuranatakeshwara temple situated in balligavi (Balla) village of shivamogga district, karnataka.

शिवमोग्गा जिले के बल्लिगावी (बल्ला) गांव में स्थित त्रिपुरान्तकेश्वर मन्दिर भगवान त्रिपुरान्तक यानी शिव को समर्पित है। इसका निर्माण 11वीं शताब्दी में पश्चिमी चालुक्य वंश के राजाओं ने करवाया था। वर्तमान समय में यह जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। यह अपनी सजावटी छिद्रित खिड़कियों और स्क्रीन के लिए जाना जाता है जिसमें पत्थरों पर जटिल नक्काशी की गयी है।

आर पी सिंह

र्नाटक भ्रमण के हमारे कार्यक्रम में मंगलुरु में घूमने के बाद बेलूर, हेलीबीडु और सोमनाथपुर के होयसल मन्दिरों को देखते हुए मैसूर जाना शामिल था। मंगलुरु के जिस होटल में हम ठहरे थे उसके स्टाफ ने सुझाव दिया कि हमें बेलूर से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित त्रिपुरान्तकेश्वर मन्दिर (Tripurantakeshwar Temple) अवश्य देखना चाहिए जो चालुक्यकालीन वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है।

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शिवमोग्गा जिले के बल्लिगावी (बल्ला) गांव में स्थित त्रिपुरान्तकेश्वर मन्दिर (Tripurantakeshwar Temple) भगवान त्रिपुरान्तक यानी शिव को समर्पित है। इसका निर्माण 11वीं शताब्दी में पश्चिमी चालुक्य वंश के राजाओं ने करवाया था। वर्तमान समय में यह जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। यह अपनी सजावटी छिद्रित खिड़कियों और स्क्रीन के लिए जाना जाता है जिसमें पत्थरों पर  जटिल नक्काशी की गयी है। बाहरी दीवारों पर दुर्लभ कामुक मूर्तिया हैं। आकर में अत्यन्त लघु होने के कारण इन मूर्तियों को केवल पास से देखा जा सकता है। यहां कई अन्य प्रतिमाएं भी हैं जिनमें नाग, ब्रह्मा, शिव, विष्णु,  होयसल राजा आदिशामिल हैं। खराद से बने खम्भे, उत्तम नक्काशी और उठे हुए प्लेटफ़ॉर्म (जगती) होयसल वास्तुकला से काफी मिलते-जुलते हैं। मन्दिर परिसर में एक अत्यन्त दुर्लभ स्तम्भ है जिस पर दो सिर वाले गज-भक्षक पक्षी “गण्ड भेरुण्ड” को दर्शाया गया है। इस स्तम्भ का निर्माण बनवासी के कदम्बवंशीय राजा चामुण्डाराय ने कराया था। कहा जाता है कि खेतों को नष्ट करने वाले हाथियों को डराकर भगाने के लिए इस स्तम्भ का निर्माण कराया गया था।

त्रिपुरान्तकेश्वर मन्दिर
त्रिपुरान्तकेश्वर मन्दिर

685 ईसवी का बादामी चालुक्य शिलालेख ऐसा सबसे पुराना शिलालेख है जिस पर बल्लिगावी नाम का उल्लेख मिलता है। यहां 80 से अधिक मध्यकालीन शिलालेख खोजे गये हैं जो शैव, वैष्णव, जैन और बौद्ध परम्परा के हैं। इन शिलालेखों मेंअन्य चीजों के अलावा मन्दिरों के निर्माण का भी वर्णन है। पश्चिमी चालुक्य साम्राज्य को बल्लिगावी का स्वर्ण युग कहा जाता है। इस काल में बल्लिगावी के पास छह मठ, कई मन्दिर, तीन पुर (विस्तार), पांच विद्यापीठ (सीखने के स्थान)और कई विशाल संरचनाएं थीं।

ऐसे पहुंचें त्रिपुरान्तकेश्वर मन्दिर (How to reach Tripurantakeshwar Temple)

त्रिपुरान्तकेश्वर मन्दिर
त्रिपुरान्तकेश्वर मन्दिर

मंगलुरु इण्टरनेशनल एयरपोर्ट शिवमोग्गा से करीब 189 और मैसूर एयरपोर्ट लगभग 258 किलोमीटर दूर है। इन दोनों ही स्थानों से शिवमोग्गा के लिए निजी और सरकारी बसों के अलावा टैक्सी और कैब मिलती हैं। बंगलुरु, दावणगेरे, गोकर्ण समेत कर्नाटक के अन्य सभी प्रमख स्थानों से भी शिवमोग्गा के लिए निजी और सरकारी बस मिलती हैं। शिवमोग्गा से बल्लिगावी के लिए परिवहन के स्थानीय साधन टैक्सी आदि मिलती हैं। शिवमोग्गा टाउन रेलवे स्टेशन के लिए बंगलुरु, मैसूर, मंगलुरु, हासन, दावणगेरे, पुडुचेरी आदि से ट्रेन पकड़ सकते हैं।

त्रिपुरान्तकेश्वर मन्दिर
त्रिपुरान्तकेश्वर मन्दिर

 

13 thought on “Tripurantakeshwar Temple : त्रिपुरान्तकेश्वर मन्दिर : चालुक्य राजवंश की विरासत”
  1. I am really inspired along with your writing talents and also with the layout in your blog. Is this a paid subject matter or did you customize it your self? Anyway keep up the excellent quality writing, it’s rare to look a great blog like this one these days!

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