टमाटर एक बेल है और यदि सहारा दिया जाये तो यह छह फीट ऊंचाई तक चढ़ सकती है। इसकी चेरी, रोमा और सैन मार्जानो प्राजातियों की बेलों में अंगूर की तरह गुच्छों में टमाटर लगते है। टमाटर का रंग मूल स्वरूप में पीला और कुछ स्थानों पर सोने के रंग की तरह होता था।
रेनू जे. त्रिपाठी
टमाटर, सोलेनेसी फैमिली का ऐसा फल जो आज “दुनिया में सबसे ज्यादा खायी जाने वाली सब्जी” बन चुका है। भारत में, खासतौर पर उत्तर भारत में तो यह खान-पान का अनिवार्य हिस्सा बन चुका है। कई लोग तो इसके बिना स्वादिष्ट तरी वाली सब्जी और दाल फ्राई की सोच ही नहीं सकते। उनके लिए तो टमाटर (Tomato) मानो युगों-युगों से भारतीय रसोई का अहम हिस्सा है। लेकिन, क्या यह सच है? इसका जवाब है- नहीं। काजू और आलू की तरह यह भी यूरोप के रास्ते भारत पहुंचा। यहां की आबो-हवा इसे कदर भायी की देखते ही देखते देखते बंगाल से लेकर महाराष्ट्र और संयुक्त प्रान्त (उत्तर प्रदेश) से लेकर कर्नाटक तक इसकी फसल लहलहाने लगी। (Tomato: A fruit which is called a vegetable)
इस घुमक्कड़ सब्जी का भी अपना इतिहास है। इसका मूल निवास या उत्पत्ति स्थल दक्षिण अमेरिका महाद्वीप की ऐन्डीज पर्वत श्रृंखला है। मैक्सिको के लोगों ने इसे भोजन को रूप में इस्तेमाल करना शुरू किया। बाद के दिनों में यह अमेरिका और स्पेन के उपनिवेशों से होता हुआ दुनिया के ज्यादातर क्षेत्रों तक पहुंचा। हालांकि आलू की तरह इसे भी पुर्तगाली ही करीब 350 साल पहले भारत लेकर आये। भारतीयों को इसका स्वाद इतना भाया कि कुछ ही वर्षों में यह उनकी रसोई का स्थायी सदस्य बन गया।
यह जानने के बाद कि टमाटर (Tomato) सब्जी न होकर फल है और वाया यूरोप भारत पहुंचा, अब यह भी जान लीजिये कि टमाटर का पौधा दरअसल पौधा नहीं होता। टमाटर एक बेल है और यदि सहारा दिया जाये तो यह छह फीट ऊंचाई तक चढ़ सकती है। इसकी चेरी, रोमा और सैन मार्जानो प्राजातियों की बेलों में अंगूर की तरह गुच्छों में टमाटर लगते है। टमाटर का रंग मूल स्वरूप में पीला और कुछ स्थानों पर सोने के रंग की तरह होता था। बाद में संकर प्रजातियां विकसित हुईं और यह गहरे लाल, नारंगी और पीले रंगों में तब्दील हो गया।
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टमाटर (Tomato) भले ही अपने स्वाद के कारण लोगों की पसंद बना हो पर इसकी असली ताकत इसमें पाये जाने वाले पोषक तत्व हैं। इसमें विटामिन बी6, मैलिक और सिट्रिक एसिड, विटामिन ए, आयरन, क्षार, पोटेशियम और अत्यधिक मात्रा में लाइकोपेन होता है। लाइकोपेन हालांकि टमाटर को उसका मनभावन रंग देता है पर पोषण विज्ञानियों की मानें तो यह जबरदस्त एंटीऑक्सीडेंट है, जो कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। टमाटर में जीरो फैट होता है। इसके सेवन से प्रोस्टेट कैंसर होने का खतरा कम होता है। कार्डियोवस्कुलर समस्या में भी यह लाभकारी होता है। वनस्पति विज्ञानी टमाटर को सेब की टक्कर का फल मानते हैं। यानि जितने गुण एक सेब में होते हैं, उतने ही टमाटर में भी होते हैं। संकर प्रजातियां विकसित होने से पहले यूरोप के कई इलाकों में लोग इसे “गोल्डन एप्पल” भी कहते थे।
भारत में आंध्र प्रदेश टमाटर (Tomato) का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। कर्नाटक में भी टमाटर की बड़े पैमाने पर खेती की जाती है। उत्तर भारत के राज्यों में टमाटर की सबसे ज्यादा खेती मध्य प्रदेश में की जाती है। महाऱाष्ट्र में भी यह एक प्रमुख व्यावसायिक फसल है। बात दुनिया की करें तो चीन टमाटर का सबसे बड़ा उत्पादक है। दुनिया के कुल उत्पादन का 31 प्रतिशत टमाटर यहीं पैदा होता है। अमेरिका और भारत टमाटर उत्पादन के मामले में क्रमशः दूसरे और तीसरे नम्बर पर हैं।
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टमाटर की फसल बोने के लिए पहले इसकी बेढ़ या नर्सरी तैयार की जाती है। इन नन्हें पौधों को उचित स्थान पर ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है। इसके 45 से 60 दिन बाद फल आने शुरू हो जाते हैं। भारत में टमाटर की पूसा सदाबहार, स्वर्ण लालिमा, स्वर्ण नवीन, स्वर्ण वैभव, स्वर्ण समृद्धि, स्वर्ण सम्पदा, अरका आभा, पूसा रूबी, पूसा–120, पूसा शीतल, पूसा गौरव, पूसा हाइब्रिड-1, पूसा हाइब्रिड-2, पूसा हाइब्रिड-4, अविनाश-2, रश्मि, शक्तिमान, रेड गोल्ड, 501, 2535 उत्सव, अविनाश, चमत्कार, यू.एस. 440 आदि किस्मों की खेती सर्वाधिक की जाती है।