अमूल की बनास डेयरी को मिली जिम्मेदारी, कारीगर दर्शन-पूजन के बाद ही तैयार करेंगे बाबा के लिए महाप्रसाद, विजयदशमी से बदली व्यवस्था।
वाराणसी। श्री काशी विश्वनाथ धाम में प्रसाद की व्यवस्था बदल गई है। यहां अब चावल, बेलपत्र, दूध आदि से तैयार तंदुल महाप्रसाद मिलेगा। पुराणों के अध्ययन के आधार पर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने इस प्रसाद के उत्पादन को हरी झंडी दी है। विजयदशमी के पावन दिन से यह नई व्यवस्था लागू हो गई। मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा ने प्रसाद खरीदकर इस नई व्यवस्था की शुरुआत की। ट्रस्ट ने प्रसाद निर्माण के लिए बनास डेयरी (अमूल) के साथ समझौता किया है। कारीगर नहाने और पूजन करने के बाद ही यह महाप्रसाद तैयार करेंगे।
तंदुल महाप्रसाद को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रमाणीकरण संस्था से मंजूरी मिल चुकी है। मंदिर में इसकी बिक्री भी शुरू हो गई है। श्रद्धालुओं को 120 रुपये में महाप्रसाद का 200 ग्राम का डिब्बा मिलेगा।
श्री काशी विश्वनाथ न्यास ने 10 महीने पहले अपना प्रसाद बनाने की घोषणा की थी। इस पर काम शुरू हुआ और विद्वानों की टीम शास्त्र सम्मत प्रसाम बनाने की तैयारी में जुट गई। इसके लिए पुराणों का अध्ययन किया गया। फिर आटे के चावल से प्रसाद बनाने का फैसला हुआ। विद्वानों के अनुसार, धान भारतीय फसल है जिसका जिक्र पुराणों में है। भगवान कृष्ण और सुदामा के संवाद में भी चावल का उल्लेख है।
विद्वानों का कहना है कि भगवान भोले शंकर को चावल के आटे का भोग लगता रहा है। बेल पत्र का महत्व है, इसलिए बाबा विश्वनाथ को चढ़ने वाले बेलपत्र को जुटाकर साफ कराया जाता है। सूखने के बाद इस बेलपत्र का चूर्ण फिर प्रसाद में मिलाया जा रहा है।
बनास डेयरी के एक अधिकारी ने बताया कि श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास की तरफ से जो रेसिपी हमें उपलब्ध करवाई गई थी, उसमें बाबा विश्वनाथ को अर्पित होने वाली बिल्व पत्र (बेलपत्र), चावल का आटा, देसी घी, चीनी, इलायची, लौंग, काली मिर्च और मेवा इसके मिश्रण से इस प्रसाद को तैयार किया जा रहा। जो भी लोग प्रसाद तैयार करने के लिए लगाए जाएंगे. वे पूर्णतया सनातन धर्म से जुड़े होंगे और स्नान पूजा करने के बाद ही वह प्रसाद बनाने के कार्य में जुटेंगे। फिलाहल प्रतिदिन करीब 1000 किलो प्रसाद तैयार होगा, जैसे-जैसे मांग बढ़ेगी, वैसे-वैसे इसकी क्षमता भी बढ़ाई जाएगी। फिलहाल अमूल की ओर से खोले जा रहे काउंटर पर ही यह प्रसाद मंदिर में उपलब्ध रहेगा।