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सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति तिरुमला मंदिर की ओर से पेश हुए वकील सिद्धार्थ लूथरा से पूछा, “इस बात के क्या सबूत हैं कि लड्डू बनाने में दूषित घी का इस्तेमाल किया गया था?“

नई दिल्ली। (Tirupati Laddu Case) तिरुपति तिरुमला मंदिर के लड्डुओं में पशुओँ की चर्बी वाले घी के इस्तेमाल पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। न्यायामूर्ति बीआर गवई और न्यायामूर्ति केवी विश्वनाथन की बेंच ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पर सवाल उठाते हुए कहा, “प्रसाद में मिलावट बहुत ही चिंताजनक है। जब प्रसाद में पशु चर्बी होने की जांच मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने विशेष जांच दल (SIT) को सौंप दी तो उन्हें मीडिया में जाने की क्या जरूरत थी? कम से कम भगवान को तो राजनीति से दूर रखें।“ सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की निगरानी में जांच का अनुरोध करने वाली याचिकाओं सहित सभी याचिकाओं पर सुनवाई के लिए तीन अक्टूबर की तारीख तय की है। (Tirupati Tirumala Laddu Controversy)

आपको याद होगा कि राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि तिरुपति तिरुमला मंदिर में जो लड्डुओं का प्रसाद तैयार किया गया था, उसमें जानवरों की चर्बी और मछली का तेल मिला था। ये सब कुछ उस घी में मिला था, जिससे लड्डू तैयार किया गए थे।

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शीर्ष अदालत ने कहा, “जुलाई में लैब रिपोर्ट आई। वह स्पष्ट नहीं है। मुख्यमंत्री एसआईटी (SIT) जांच के आदेश देते हैं और फिर सितंबर में मीडिया के सामने बयान देते हैं। एक संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति ऐसा कैसे कर सकता है।“

बेंच ने तिरुपति तिरुमला मंदिर की ओर से पेश हुए वकील सिद्धार्थ लूथरा से पूछा, “इस बात के क्या सबूत हैं कि लड्डू बनाने में दूषित घी का इस्तेमाल किया गया था?“ इस पर उन्होंने कहा कि “हम जांच कर रहे हैं।“ इसके पर न्यायामूर्ति गवई ने पूछा, “फिर तुरंत प्रेस में जाने की क्या जरूरत थी? आपको धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।“

बेंच ने करीब एक घंटे की सुनवाई के बाद कहा कि मामले की जांच एसाईटी (SIT) से ही कराएं या फिर किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी से, इसके लिए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से हम सुझाव चाहते हैं। सभी याचिकाओं पर एक साथ 3 अक्टूबर को दोपहर 3:30 बजे सुनवाई करेंगे।

आज सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी, वाई.वी. सुब्बारेड्डी, विक्रम संपत और दुष्यंत श्रीधर के अलावा सुरेश चव्हाण की कुल 4 याचिकाएं थीं। स्वामी की ओर से वरिष्ठ वकील राजशेखर राव, वाई.वी. सुब्बा रेड्डी की ओर से सिद्धार्थ लूथरा, आंध्र प्रदेश सरकार की तरफ से मुकुल रोहतगी और ​​​​केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता मौजूद थे।

 

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