STSS in Japan: स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (STSS) एक रेयर हेल्थ कंडीशन है। यह ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया के कारण होती है। ये बैक्टीरिया टॉक्सिक पदार्थ छोड़ते हैं जो ब्लड स्ट्रीम में मिल जाता है और शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचाता है। ये बैक्टीरिया हमारे मांस को ही खाते हैं। इससे हृद्य, यकृत और गुर्दे महत्वपूर्ण अंग प्रभावित हो सकते हैं।
टोक्यो। मांस खाने वाला वैक्टीरिया (Flesh-Eating Bacteria) के संक्रमण से होने वाली बीमारी स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम यानी STSS ने जान में कहर बरपा रखा है। इस संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति की 48 घंटे के अंदर ही मौत हो जाती है। दरअसल, यह एक रेयर हेल्थ कंडीशन है जो विषाक्त पदार्थ यानी टॉक्सिन्स पैदा करने वाले बैक्टीरियल ग्रुप स्ट्रेप्टोकोकल के कारण होती है। यह बैक्टीरिया हमारे मांस को खाना शुरू कर देता है और बहुत जल्द शरीर के अंगों को क्षतिग्रस्त कर देता है।
इस खतरनाक संक्रमण के जापान में इस साल 2 जून तक करीब 1000 मामले सामने आ चुके हैं। इसमें सबसे डरावनी बात ये है कि इससे पीड़ित व्यक्ति आमतौर पर 48 घंटे के अंदर मर जाता है। इसका डेथ रेट भी 30% के करीब है।
स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (STSS) है क्या?
स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (Streptococcal Toxic Shock Syndrome) एक रेयर हेल्थ कंडीशन है। यह ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया के कारण होती है। ये बैक्टीरिया टॉक्सिक पदार्थ छोड़ते हैं जो ब्लड स्ट्रीम में मिल जाता है और शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचाता है। ये बैक्टीरिया हमारे मांस को ही खाते हैं। इससे हृद्य, यकृत और गुर्दे महत्वपूर्ण अंग प्रभावित हो सकते हैं।
टोक्यो महिला चिकित्सा विश्वविद्यालय में संक्रामक रोगों के प्रोफेसर केन किकुची ने ब्लूमबर्ग को बताया, “अधिकतर मौतें 48 घंटों के भीतर हो जाती हैं। सुबह मरीज को पैर में सूजन दिखती है, दोपहर तक यह घुटने तक फैल सकती है और 48 घंटों के भीतर मरीज की मौत हो सकती है।”
शरीर में कैसे घुसता है बैक्टीरिया और लक्षण
एसटीएसएस ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस के बैक्टीरिया कई तरीकों से शरीर में घुस सकते हैं। अगर त्वचा में किसी तरह का कट, घाव, सर्जिकल घाव या कोई अन्य चोट है तो इस बैक्टीरिया का संक्रमण हो सकता है। यह बैक्टीरिया गला, नाक और या योनि मार्ग के जरिये भी प्रवेश कर सकता है। एसटीएसएस के लक्षण तेजी से महसूस होने लगते हैं। यह कुछ ही घंटों या दिनों के अंदर बढ़ जाते हैं। शुरुआत में आपको कुछ हल्के लक्षण महसूस हो सकते हैं जिन्हें पहचानना मुश्किल हो सकता है।
24-48 घंटे बाद महसूस हो सकते हैं ये लक्षण
एसटीएसएस के शुरुआती लक्षणों में बुखार और ठंड लगना, मांसपेशियों में दर्द, मतली और उल्टी शामिल हैं। इसके बाद ये लक्षण तेजी से उभरते हैं-
- लो ब्लड प्रेशर या हाइपोटेंशन
- तेजी से सांस लेना (टैचीपनिया)
- दिल की तेज धड़कन (टैचीकार्डिया)
- अंगों का काम करना बंद कर देना (ऑर्गन फेलियर)
रोकथाम
STSS को रोकने के लिए बुनियादी स्वच्छता का पालन करना शामिल है, जैसे नियमित रूप से हाथ धोना और खांसते या छींकते समय मुंह को ढकना। अपने घावों का तुरंत उपचार करें और सतहों को बार-बार साफ करें।
इलाज
अगर किसी व्यक्ति में STSS का निदान किया जाता है तो उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया जाना चाहिए। शॉक और ऑर्गन फेलियर के लिए फ्लूइड रिससिटेशन जैसे मानक उपचार दिए जाते हैं। निदान के अनुसार, STSS का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है। कई लोगों को संक्रमित ऊतक को हटाने के लिए सर्जरी की भी आवश्यकता हो सकती है।