Thu. Feb 6th, 2025
maulana arshad madanimaulana arshad madani

मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि जमीयत उलमा-ए-हिंद ने पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी लेकिन उस पर सुनवाई नहीं हुई।

monal website banner

देवबंद। (Sambhal violence: Jamiat Ulama-e-Hind reaches Supreme Court) उत्तर प्रदेश के संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा के बाद जमीयत उलमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जमीयत ने सुप्रीम कोर्ट से पूजा स्थलों की सुरक्षा के लिए बने कानून (पूजा स्थल अधिनियम-1991) के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए पूर्व में दायर याचिका पर जल्द सुनवाई करने की मांग की है।

मंगलवार को जारी बयान में मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि संभल अराजकता, अन्याय, क्रूरता और दरिंदगी की जीती जागती तस्वीर है। देश में वर्षों से फैली नफरत अब गोलियों तक पहुंच गई है। पूजा स्थलों की सुरक्षा के लिए कानून के वास्तविक क्रियान्वयन की कमी के कारण भारत में संभल जैसी घटनाएं हो रही हैं। पूजा स्थल अधिनियम 1991 के बावजूद निचली अदालतें मुस्लिम पूजा स्थलों के सर्वे करने के आदेश दे रही हैं।

मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि जमीयत उलमा-ए-हिंद ने पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी लेकिन उस पर सुनवाई नहीं हुई। सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने केंद्र सरकार को हलफनामा दाखिल करने के लिए कई बार मोहलत दी थी लेकिन मामले की सुनवाई नहीं हो सकी। अब संभल की घटना के बाद इस महत्वपूर्ण मामले में सुप्रीम कोर्ट से पूर्व में दायर याचिका पर जल्द सुनवाई का अनुरोध किया गया है।

मौलाना मदनी  ने कहा कि अयोध्या मामले में आए फैसले को मुसलमानों ने कड़वे घूंट के रूप में इसलिए पी लिया था कि देश में शांति और व्यवस्था स्थापित रहे। हालांकि इसके बाद सांप्रदायिक शक्तियों का मनोबल बढ़ गया है और अब वह मस्जिदों की नींव में मंदिर तलाश रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *