नई दिल्ली। बंगलुरु के जन प्रतिनिधि न्यायालय (People’s Representative Court) ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के खिलाफ चुनावी बॉन्ड (Electoral Bond) के जरिए कथित जबरन वसूली के मामले में एफआईआर (FIR) दर्ज करने का आदेश दिया है। जनाधिकार संघर्ष परिषद (JSP) के सह-अध्यक्ष आदर्श अय्यर ने निर्मला सीतारमण और अन्य के खिलाफ एक निजी शिकायत (पीसीआर) दर्ज कराई थी। पीसीआर में आरोप लगाया गया था कि चुनावी बॉन्ड के जरिए जबरन वसूली की गई थी। मामले की सुनवाई 10 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी गई है।
आदर्श अय्यर ने आरोप लगाया कि चुनावी बॉन्ड के जरिए धमकी देकर जबरन वसूली की गई। जन अधिकार संघर्ष परिषद ने पिछले साल अप्रैल में 42वें ACMM कोर्ट में याचिका दायर कर निर्मला सीतारमण, ईडी अधिकारियों, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, पार्टी के अन्य राष्ट्रीय नेताओं, भाजपा के तत्कालीन कर्नाटक अध्यक्ष नलिन कुमार कटील और बी वाई विजयेंद्र के खिलाफ शिकायत की थी। अदालत ने शिकायत पर सुनवाई करते हुए बेंगलुरु के तिलक नगर पुलिस थाने को चुनावी बॉन्ड के जरिए जबरन वसूली का मामला दर्ज करने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता बालन ने दलीलें रखीं। मामले की सुनवाई 10 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी गई है।
क्या हैं चुनावी बॉन्ड?
केंद्र सरकार ने 2018 में चुनावी बॉन्ड योजना शुरू की। इस योजना के तहत सरकार का उद्देश्य राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में नकद दान को खत्म करना था, ताकि राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता बनी रहे। एसबीआई के चुनावी बॉन्ड के जरिए लोग राजनीतिक दलों को चंदा दे सकते हैं लेकिन इसका खुलासा नहीं किया जाता। पिछले साल विपक्षी दलों के आरोपों और इसके खिलाफ तमाम याचिकाओं के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया था।