ओडिशा के लोग कद्दू, कच्चा पपीता, आलू, बैगन, पालक, टमाटर आदि के दीवाने हैं। हालांकि झींगा और मछली की तरह-तरह की डिश भी मिलती हैं।
अनुवन्दना माहेश्वरी
भारत की भोजन परम्परा इतनी विस्तृत और समृद्ध है कि आप इस पर इतरा सकते हैं। यहां तक कि विदेशी भी इस यात्रा का हिस्सा बनने के लिए यहां खिंचे चले आते हैं। इस यात्रा का एक अहम पड़ाव है ओडिशा। आमतौर पर सभी स्थानों का भोजन वहां के खास स्थानीय उत्पादों पर आधारित होता है। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश में खिचड़ी, रोटी, दाल, पूड़ी, कचौड़ी आदि। पश्चिम बंगाल और गोवा में मछली और झींगा। इसके विपरीत समुद्र तटीय राज्य होने के बावजूद ओडिशा के भोजन में सब्जियों का खुले हाथों से इस्तेमाल होता है। कद्दू, कच्चा पपीता, आलू, बैगन, पालक, टमाटर आदि के यहां के लोग दीवाने हैं। हालांकि झींगा और मछली की तरह-तरह की डिश भी मिलती हैं।

मिठाई और मीठे व्यंजन ओडिशा के भोजन का अपरिहार्य हिस्सा रहे हैं। यहां के भोजन में विविधता है पर खाना पकाने की प्रक्रिया सरल है, मसालों और तेल-घी का इस्तेमाल कम किया जाता है जबकि दही और नारियल का खुले हाथों से इस्तेमाल होता है। इस कारण यहां के व्यंजनों में पोषक तत्वों की प्रचुरता होने के साथ ही वे सुपाच्य भी होते हैं।
दालमा :

ओडिशा की यह सबसे मशहूर और लोकप्रिय डिश असल में एक तरह की करी है जिसको तूर दाल, चना दाल, कद्दू, आलू और बैगन समेत तरह-तरह की अन्य सब्जियों को मिलाकर बनाया जाता है। नारियल इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहां के लोग इसे चावल के साथ बड़े शौक से खाते हैं। यह न केवल अत्यन्त स्वादिष्ट होती है बल्कि एक सम्पूर्ण आहार भी है।
सन्तुला :

तरह-तरह की सब्जियों को मिलाकर तैयार की जाने वाली इस डिश में हल्के मसालों का इस्तेमाल किया जाता है। इनमें कच्चा पपीता, आलू, टमाटर, बैगन आदि शामिल हैं। बहुत से लोग स्वाद निखारने के लिए इसमें दूध का भी इस्तेमाल करते हैं। यह न केवल देखने में रंग-बिरंगी और सुन्दर बल्कि अत्यन्त स्वादिष्ट भी होती है। तरह-तरह की सब्जियों और देसी मसालों के इस्तेमाल के चलते आप इसे पौष्टिक तत्वों का खजाना भी कह सकते हैं।
दही बरा-घुगनी-आलू दम :

दही बरा (दही वडा), मसालेदार आलू दम और फायर घुगुनि (पीले मटर की करी) का यह संयोजन ओडिशा का सबसे लोकप्रिय स्ट्रीट फूड है। लोग इसे सुबह, दोपहर, शाम जब भी मौका मिले बहुत शौक से खाते हैं।
बड़ी चूरी : ओडिशा में बड़ी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितना कि दक्षिण भारत में उपमा। मसूर की दाल से बनाये जाने वाले इस व्यंजन को दो भागों में तैयार किया जाता है। सबसे पहले लाल मसूर की दाल को धूप में सुखाया जाता है। इसके बाद इसके छोटे-छोटे डम्पलिंग बनाकर धीमी आंच पर फ्राई किये जाते हैं। फ्राई करने के बाद इन्हें क्रश किया जाता है। इसके बाद इसको कटे हुए प्याज, लहसुन, लौंग और हरी मिर्च के साथ मिला दिया जाता है। लोग इसे दोपहर के भोजन में चावल के साथ खाना पसन्द करते हैं।
चौला वरा :

यह ओडिशा का एक पारम्परिक व्यंजन है जिसे उड़द की दाल और चावल से तैयार किया जाता है। इसे बनाने के लिए चार भाग चावल और एक भाग उड़द दाल को रातभर पानी में भिगोकर उसका गाढ़ा मिश्रण तैयार कर उसमें जीरा, अजवाइन, धनिया, बेकिंग पाउडर, नमक और काली मिर्च पाउडर डाला जाता है। इन सभी चीजों को अच्छी तरह से मिलाने के बाद इसकी छोटी-छोटी पकोड़ियां बनाकर तेल में तली जाती हैं।
बेसरा :

यह ओडिशा की पारम्परिक मिक्सड वेजिटेबल है जिसको बनाने में आलू, सीताफल, केला, पपीते आदि का इस्तेमाल किया जाता है। इसे बनाने के लिए सब्जियों को काटकर प्याज, लहसुन, जीरा, सूखी मिर्च और सरसों के साथ सुनहरा होने तक भूना जाता है। तैयार हो जाने पर इसे हरे धनिया से सजाकर परोसा जाता है।
पाखला भात :

इसको बनाने के लिए चावल को रातभर पानी से भिगोया जाता है। सुबह पुराना पानी बदलकर ताजा पानी डाला जाता है। इसके बाद चावल को नमक, मसालों और पुदीने के पत्तियों के साथ हल्का भूना जाता है। चावल भुन जाने के बाद फेंटा हुआ दही डालकर थोड़ा और पकाया जाता है। आमतौर पर इसे बड़ी चूरी के साथ खाया जाता है। स्थानीय लोगों के अनुसार यह डिश ओडिशा की उमस भरी गर्मी में बहुत राहत देती है। ओडिशा में यह इतनी लोकप्रिय है कि यहां हर साल 17 मार्च को पाखला दिवस मनाया जाता है।
पिलाफ :

यह दरअसल ओडिशी शैली का पुलाव और राज्य के सबसे लोकप्रिय व्यंजनों में से एक है। इसे शाकाहारी और नॉनवेज दोनों तरीके से बनाया जाता है। इसे बनाने के लिए उम्दा क्वालिटी के चावल, सूखे मेवों, मटर, बीन्स, गोभी, आलू, मांस आदि को तेल या घी में सुनहरा होने तक भूना जाता है। इसके बाद इसे पानी डालकर अच्छी तरह खिलने तक पकाते हैं।
चाकुली पिठा :

इसे बनाने के लिए उड़द की दाल और चावल के घोल को कम से कम पांच घण्टे भिगोया जाता है। इस किण्डवित घोल को तवे पर गोल आकार में फैलाकर सरसों के तेल का प्रयोग कर दोनों तरफ से सेंक लिया जाता है। यह डोसे की तुलना में नरम और तुलनात्मक रूप से मोटा होता है। इसे आमतौर पर आलू भुजा, घुगनी या गुड़ के साथ खाया जाता है।
चाटू राय : विशेष अवसरों और त्योहारों पर इस पारम्परिक व्यंजन को मशरूम, टमाटर, सरसों के पेस्ट और हल्दी से तैयार किया जाता है। यह स्वादिष्ट होने के साथ ही अत्यन्त पौष्टिक भी होता है।
चुंगड़ी मलाई :

ओडिया भाषा में झींगा या प्रॉन को चुंगड़ी कहा जाता है। जैसा कि नाम से ही जाहिर है चुंगड़ी इस व्यंज का आधार तत्व है जिसके साथ नारियल और क्रीम के संयोजन से इसे तैयार किया जाता है। इसको बनाने के लिए हल्के मसालों का इस्तेमाल किया जाता है। इसे आमतौर पर चावल के साथ खाया जाता है।
मचा घांत :

बंगाल की तरह ओडिशा में भी समुद्री उत्पादों के व्यंजन अत्यन्त लोकप्रिय हैं। यह करी वाला व्यंजन मछली के सिर, आलू, लहसुन, प्याज और स्थानीय मसालों से बनाया जाता है। कई लोग इसे बगैर आलू के ही बनाते हैं। इसे चावल के साथ परोसा जाता है।
छेना पोड़ा :

ताजे छेना से बनायी जाने वाली यह मिठाई ओडिशा की पहचान मानी जाती है। इसको छेना, सूजी, घी और किशमिश व अन्य ड्राई फ्रूट्स को मिलाकर बनाया जाता है। इसे बनाने की प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है बेकिंग। उक्त सभी चीजों को अच्छे से मिलाने के बाद इस मिश्रण को सुनहरा भूरा होने तक बेक किया जाता है जिससे छेना पोड़ा का असली स्वाद निकलकर बाहर आता है।
एन्डुरी पीठा :

भारत के समुद्र तटीय क्षेत्रों में ज्यादातर व्यंजनों में नारियल का भरपूर इस्तेमाल किया जाता है। एन्डुरी पीठा भी इस सूची में शामिल है। इसको बनाने के लिए भुने हुए नारियल में गुड़ और कुछ देसी मसालों मिलाये जाते हैं। इसके बाद इस मिश्रण को हल्दी के पत्तों में लपेटकर भाप में पकाया जाता है। पुरी के जगन्नाथ मंदिर में चढ़ाए जाने वाले तमाम तरह के पीठा में एंडुरी पीठा भी शामिल होता है।
खाजा :

यह एक तरह की मिठाई है जिसको बनाने के लिए मैदा और चीनी का इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए मैदा में चीनी मिलाकर उसकी कई परतें बनायी जाती हैं और इन्हें बर्फी के आकार में हल्का फ्राई किया जाता है। पुरी के जगन्नाथ मंदिर में बनाये जाने वाले भोग प्रसाद में खाजा भी शामिल है।


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