राजभवन से नोटिस खारिज होने के बाद तहसील भेजे गए पत्र को देख अधिकारियों के होश उड़ गए। गौरतलब है कि वरासत के मुकदमे में राज्यपाल पक्षकार ही नहीं होते हैं।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में वरासत के एक मुकदमे में किसी शरारती व्यक्ति ने राज्यपाल को पक्षकार बनाते हुए फर्जी तरीके से नोटिस राजभवन भेज दिया। मामला तब सामने आया जब फाइल राजभवन से कलेक्ट्रेट पहुंची। इस नोटिस को देख राज्यपाल के कार्यालय ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है। साथ ही जिला प्रशासन को नोटिस भेजने वाले के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। राजभवन कार्यालय की ओर से धारा 361 के तहत कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए गए हैं। राजभवन से नोटिस खारिज होने के बाद तहसील भेजे गए पत्र को देख तहसील प्रशासन के होश उड़ गए। गौरतलब है कि वरासत के मुकदमे में राज्यपाल पक्षकार ही नहीं होते है।
मलिहाबाद तहसील में मीरा पाल बनाम ग्राम सभा का वरासत का मुकदमा तहसीलदार के न्यायालय में विचाराधीन है। किसी शरारती व्यक्ति ने 11 नवंबर को राज्यपाल को पार्टी बनाते हुए राजभवन को नोटिस भेज दिया। तहसीलदार विकास सिंह के मुताबिक शरारती व्यक्ति ने सामान्य नोटिस बनाकर न्यायालय की मोहर और तहसीलदार के पेशकार के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर 29 अक्तूबर को जारी होने की तिथि और 8 नवंबर को पेशी की तिथि लिखकर 11 नवंबर को लखनऊ से राजभवन के लिए स्पीड पोस्ट किया था।
राजस्व संहिता 2006 लागू होने के बाद धारा-34 के मामले में मुकदमा दर्ज होने के बाद कंप्यूटराइज्ड नोटिस पक्षकारों को जाता है। तहसीलदार का कहना है कि यह नहीं पता चल सका है कि यह हरकत किसने की है। एसडीएम मलिहाबाद सौरभ सिंह के अनुसार तहसील से इस प्रकार का नोटिस (इश्तहार) नहीं भेजा गया है। न्यायालय की फर्जी मोहर और हस्ताक्षर बनाकर किसी अज्ञात व्यक्ति ने जाली नोटिस तैयार कर लखनऊ से स्पीड पोस्ट किया है। राजभवन से कलेक्ट्रेट आया पत्र अभी मलिहाबाद नहीं आया है। जांच कराई जा रही है। ऐसा कार्य करने वाले व्यक्ति पर कार्रवाई की जाएगी।
फिलहाल इस नोटिस को तहसीलदार प्रशासन ने फर्जी करार देते हुए जांच के आदेश किए हैं। नोटिस में लिखी गई हैंडराइटिंग का सभी पेशकार से मिलान कराया जाएगा।