हम सरकार को लिखेंगे कि या तो गैर-हिंदू कर्मचारियों को अन्य विभागों में शामिल किया जाए या उन्हें वीआरएस दे दिया जाए : देवस्थानम बोर्ड
तिरुमला। (Non-Hindus will be removed from Tirupati Balaji) तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (मंदिर) ट्रस्ट बोर्ड (TTD) ने सोमवार को घोषणा की कि तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम जल्द ही टीटीडी में काम करने वाले सभी गैर-हिंदुओं की सेवाओं को खत्म कर देगा और उन्हें आंध्र प्रदेश सरकार को सौंप देगा। इसके अलावा तिरुमाला तिरुपति बोर्ड सुरक्षा के मद्देनजर प्राइवेट बैंकों में जमा अपने सोना-चांदी और नकदी को निकाल कर राष्ट्रीयकृत बैंकों में जमा करवाएगा। तिरुमाला के अन्नमय्या भवन में बीआर नायडू की अध्यक्षता में सोमवार को हुई टीटीडी ट्रस्ट बोर्ड की बैठक में यह फैसला लिया गया। “लड्डू प्रसादम” की तैयारी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में मिलावट पर विवाद के बाद टीटीडी की यह पहली बैठक थी.
बैठक के बाद TTD अध्यक्ष बीआर नायडू ने कहा कि मंदिर प्रशासन में अलग-अलग पदों पर काम कर रहे गैर-हिंदुओं की कुल संख्या का आकलन किया जाएगा और उनको सरकार को सौंपा जाएगा। साल 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, टीटीडी में अन्य धर्मों के 44 कर्मचारी काम करते हैं। उन्होंने कहा, “तिरुपति मंदिर में काम करने वाले गैर-हिंदुओं के बारे में उचित फैसले लेने के लिए हम राज्य सरकार को लिखेंगे। टीटीडी एक हिंदू धार्मिक संस्था है और बोर्ड को लगा कि उसे मंदिर में काम करने के लिए गैर-हिंदुओं को नियुक्त नहीं करना चाहिए। हम सरकार को लिखेंगे कि या तो उन्हें अन्य विभागों में शामिल किया जाए या उन्हें वीआरएस दे दिया जाए।”
बीआर नायडू ने आरोप लगाया कि पिछली वाईएसआर कांग्रेस सरकार के दौरान तिरुमला में कई अनियमितताएं हुईं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मंदिर की पवित्रता बरकरार रखी जानी चाहिए।
प्रसादम के घी में मिलावट के विवाद को देखते हुए टीटीडी ने समय-समय पर तिरुपति मंदिर में लड्डू और अन्य प्रसादम की तैयारी में उपयोग किए जाने वाले घी की क्वालिटी पर नजर रखने के लिए एक समिति गठित करने का भी फैसला लिया। इसके साथ ही अन्न प्रसादम परिसर में रोजाना के मेन्यू में एक और स्वादिष्ट आइटम पेश करने का भी फैसला किया गया है। अन्न प्रसादम परिसर में भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन के बाद भक्तों को मुफ्त भोजन दिया जाता है।
बोर्ड ने नेताओं के तिरुमाला पर राजनीतिक बयानबाजी पर बैन लगाने का भी फैसला लिया। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के साथ ही इनका प्रचार-प्रसार करने वालों पर भी कानून के मुताबिक सख्त एक्शन लिया जाएगा।
खास बातें
- धार्मिक पवित्रता प्राथमिकता: तिरुमला मंदिर की पवित्रता और धार्मिक भावना को बनाए रखने के लिए कर्मचारियों का हिंदू होना अनिवार्य बताया गया है।
- गैर-हिंदू कर्मचारियों को विकल्प: ऐसे कर्मचारियों को अन्य सरकारी विभागों में स्थानांतरित करने या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) का विकल्प देने की बात कही गई है।
- TTD के नए अध्यक्ष का बयान: बोर्ड के अध्यक्ष बी. आर. नायडू ने इसे अपनी प्राथमिकता बताया और इसे मंदिर की मर्यादा से जोड़ा।
- मंदिर प्रशासन की नीति: तिरुमला तिरुपति देवस्थानम पहले से ही हिंदू धार्मिक परंपराओं और रीति-रिवाजों के अनुसार कार्य करता है।
- लड्डू विवाद की पृष्ठभूमि: हालिया धार्मिक विवादों के चलते इस निर्णय को अधिक सख्ती से लागू करने की बात की गई।
- सांस्कृतिक संरक्षण: बोर्ड ने मंदिर की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान की रक्षा को इस फैसले का आधार बताया है।
- गैर-हिंदी नहीं, गैर-हिंदू पर ध्यान: यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यह निर्णय भाषा के आधार पर नहीं है, बल्कि धर्म के आधार पर है।
- पुनर्नियुक्ति की योजना: जिन कर्मचारियों पर यह निर्णय लागू होगा, उनके लिए विकल्प तलाशने का काम जारी है।
- सरकारी सहभागिता: आंध्र प्रदेश सरकार से इस विषय पर चर्चा की जाएगी ताकि इसे सुचारू रूप से लागू किया जा सके।