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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, “पिछले दशक ने दिखाया है कि भारत के पास क्षमताएं, आत्मविश्वास और सबसे महत्वपूर्ण बात, व्यापक मोर्चों पर विकास को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता है।”

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नई दिल्ली। (“No one can veto our decisions”, Jaishankar’s toughest message to the world so far) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को बिना किसी लाग-लपेट के और स्पष्ट शब्दों में दुनिया को अब तक का सबसे सख्त संदेश दिय़ा। भारत की स्वतंत्र विदेश नीति पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, “हम अपने राष्ट्रीय हित और वैश्विक भलाई के लिए जो भी सही होगा वह करेंगे। किसी के दबाव में नहीं आएंगे। भारत कभी किसी और को अपनी पसंद पर वीटो नहीं करने देगा।” मौका था मुंबई में शनिवार को आयोजित 27वें एसआईईएस श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती नेशनल एमिनेंस अवॉर्ड समारोह का जिसमें वह वर्चुअली शामिल हुए। इस बार का अवार्ड विदेश मंत्री एस जयशंकर को ही दिया गया है।

जयशंकर ने कहा कि भारत अपने फैसलों में राष्ट्रीय हित और वैश्विक भलाई को प्राथमिकता देगा। स्वतंत्रता को कभी भी तटस्थता से भ्रमित नहीं करना चाहिए।  एस जयशंकर का यह बयान पी-5 देशों यानी कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा संघ (UNSC) के 5 स्थाई देशों (चीन, अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन) को लेकर है।

दरअसल, भारत को कई मौकों पर इन देशों खासकर चीन के वीटो का सामना करना पड़ा है। चीन खूंखार पाकिस्तानी आतंकी अजहर मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने की मांग पर चार बार वीटो लगा चुका था, हालांकि 2019 में पुलमावा आतंकी घटना के बाद और वैश्विक दबाव के सामने उसको झुकना पड़ा था। अंततः अजहर मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित किया गया। वहीं, जब भारत ने रूस से एस-400 (S 400) मिसाइल प्रणाली की डील की थी, तब अमेरिका में बाइडेन सरकार ने आंख दिखाना शुरू कर दिया था, हालांकि भारत के सामने उसको भी झुकना पड़ा था और किसी प्रकार के प्रतिबंध पर सफाई देनी पड़ी थी।

युवा पीढ़ी अपनी विरासत के मूल्य को समझे

एस जयसंखर ने कहा कि भारत को आगे बढ़ते हुए अपनी परंपराओं को अपनाना चाहिए। उनका मानना है कि भारत की बढ़ती वैश्विक उपस्थिति के महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं। दुनिया भारत की विरासत से सीख सकती है। उन्होंने वैश्वीकृत दुनिया में परंपरा और तकनीक के बीच संतुलन बनाने के महत्व पर जोर दिया। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि उनका मानना है कि भारत को अपनी सांस्कृतिक ताकत का इस्तेमाल वैश्विक प्रभाव हासिल करने के लिए करना चाहिए। उन्होंने युवा पीढ़ी को अपनी विरासत के मूल्य को समझने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने गरीबी और भेदभाव को दूर करने में भारत की प्रगति का उल्लेख किया। साथ ही विकासशील देशों के लिए वैश्विक भलाई के लिए प्रतिबद्ध एक स्वतंत्र शक्ति के रूप में भारत की भूमिका पर भी बात की। भारत अपनी पहचान फिर खोज रहा हैएस जयशंकर ने देश के भीतर मौजूद चुनौतियों और अलग-अलग विचारों को भी स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि बहुत लंबे समय तक हमें प्रगति और आधुनिकता को अपनी विरासत और परंपराओं की अस्वीकृति के रूप में देखने के लिए सिखाया गया। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे लोकतंत्र गहरा होता जा रहा है,भारत अपनी पहचान को फिर से खोज रहा है। इस बदलाव की ओर उन्होंने ध्यान दिलाया।

जयशंकर का मानना है कि भारत अपनी सांस्कृतिक विरासत से दुनिया को बहुत कुछ सिखा सकता है। वे चाहते हैं कि युवा पीढ़ी अपनी परंपराओं को समझे और उनका सम्मान करे। उन्होंने यह भी कहा कि भारत हमेशा अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखेगा। लेकिन साथ ही,वह दुनिया की भलाई के लिए भी काम करेगा।

वैश्विक दक्षिण की भलाई के लिए प्रतिबद्ध भारत

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत आज एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। पिछले दशक ने दिखाया है कि उसके पास क्षमताएं, आत्मविश्वास और सबसे महत्वपूर्ण बात, व्यापक मोर्चों पर विकास को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता है। भारत ने खुद को एक स्वतंत्र शक्ति के रूप में स्थापित किया है जो वैश्विक दक्षिण (Global South) की भलाई के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने आगाह किया कि चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं जिनमें निराशावादी दृष्टिकोण और विचारधाराएं शामिल हैं जो भारत की प्रगति को कमजोर करती हैं।

22 thought on ““हमारे फैसलों पर कोई वीटो नहीं लगा सकता”, जयशंकर का दुनिया को अब तक का सबसे सख्त संदेश”
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