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विवाद की जड़ में कुल 13.37 एकड़ जमीन का मुद्दा है। तकरीबन 11 एकड़ जमीन पर श्रीकृष्ण मंदिर बना हुआ है जबकि 2.37 एकड़ जमीन पर शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है।

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नई दिल्ली। (Mathura Shahi Masjid Eidgah Committee appeals to the Supreme Court) मथुरा की शाही मस्जिद ईदगाह समिति ने पूजा स्थल अधिनियम, 1991 (Places of Worship Act, 1991) को चुनौती देने वाली याचिकाओं में हस्तक्षेप करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर किया है। समिति ने कहा कि वह इस मामले में एक जरूरी पक्षकार हैं क्योंकि फैसले का उस पर प्रभाव पड़ेगा, लिहाजा उसे भी पक्षकार बनाया जाए (क्योंकि वह कृष्ण जन्मभूमि के संबंध में दावों का विरोध कर रही है)। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी ने भी इस मसले पर हस्तक्षेप अर्जी दाखिल की थी।

मथुरा में मंदिर-मस्जिद विवाद की जड़ में कुल 13.37 एकड़ जमीन का मुद्दा है। तकरीबन 11 एकड़ जमीन पर श्रीकृष्ण मंदिर बना हुआ है जबकि 2.37 एकड़ जमीन पर शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है। हिंदू पक्ष शाही ईदगाह मस्जिद की जमीन पर भी अपना दावा करता है।
हिंदू पक्ष का कहना है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थली पर बने प्राचीन केशवनाथ मंदिर को तोडक़र शाही ईदगाह मस्जिद को बनवाया गया है। इस मस्जिद को औरंगजेब ने 1669-70 में बनवाया था।

हिंदू पक्ष ने कहा कि औरंगजेब ने 1670 में मंदिर तुड़वाकर अवैध तरीके से कब्जा कर मस्जिद को बनाया था। वहीं इस मामले में मुस्लिम पक्ष का कहना है कि इतिहास में मंदिर तोडक़र मस्जिद बनाने के सबूत नहीं हैं, तथ्यों को तोड़ मरोडक़र पेश किया जा रहा है।

अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 12 दिसंबर को सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के कुछ प्रावधानों की वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के लिए एक विशेष पीठ का गठन किया है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ 12 दिसंबर को अपराह्न 3:30 बजे इस मामले पर सुनवाई कर सकती है। शीर्ष अदालत के समक्ष अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर याचिका सहित कई याचिकाएं हैं जिनमें निवेदन किया गया है कि उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 की धारा 2, 3 और 4 को रद्द कर दिया जाए। याचिकाओं में कहा गया है कि ये प्रावधान किसी व्यक्ति या धार्मिक समूह के उपासना स्थल को पुनः प्राप्त करने के लिए न्यायिक उपचार के अधिकार को छीनते हैं।

 

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