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मधुबनी चित्रकलामधुबनी चित्रकला

मधुबनी चित्रकला का इतिहास राजा जनक से जुड़ा बताया जाता है पर आधुनिक युग में इसे पुनर्जीवित करने का श्रेय मधुबनी जिले की एक साध्वी महासुन्दरी देवी को जाता है जिन्होंने दुनिया को वर्ष 1960 में इसका परिचय कराया।

न्यूज हवेली कला डेस्क

धुबनी चित्रकला (Madhubani painting) जिसे मिथिला चित्रकला (Mithila painting) भी कहते हैं, बिहार के मिथिला क्षेत्र की एक प्रमुख कला परम्परा है। यह चित्रकला मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा बनाई जाती है और इसमें प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाता है। यूं तो इस नायाब कला का इतिहास राजा जनक से जुड़ा बताया जाता है पर आधुनिक युग में इसे पुनर्जीवित करने का श्रेय मधुबनी जिले की एक साध्वी महासुन्दरी देवी को जाता है जिन्होंने दुनिया को वर्ष 1960 में इसका परिचय कराया।

इसके बाद से ही महिलाएं इस कला को अपनाने लगीं और आज यह कला पूरी दुनिया में मशहूर है। मधुबनी चित्रकला के क्षेत्र में कई महिलाओं ने प्रसिद्धी पाई है जिनमें महासुन्दरी देवी के अलावा जदगम्बा देवी, सीता देवी, मालविका राज, दुलारी देवी,  पुष्पा कुमारी, महालक्ष्मी और बउआ देवी का नाम प्रमुखता से लिया जाता है।

Madhubani painting
Madhubani painting

बिहार के दरभंगा, पूर्णिया, सहरसा, मुजफ्फरपुर, मधुबनी एवं नेपाल के कुछ क्षेत्रों की यह प्रमुख चित्रकला है। प्रारम्भ में रंगोली के रूप में रहने के बाद यह कला धीरे-धीरे आधुनिक रूप में कपड़ो, दीवारों एवं कागज पर उतर आई है। मिथिला की औरतों द्वारा शुरू की गई इस घरेलू चित्रकला को अब पुरुषों ने भी अपना लिया है। वर्तमान में मिथिला पेंटिंग के कलाकारों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मधुबनी व मिथिला पेंटिंग के सम्मान को और बढ़ाये जाने को लेकर मधुबनी रेलवे स्टेशन के दीवारों पर करीब 10,000 वर्गफीट में मिथिला पेंटिंग की कलाकृतियों बनाई गयी हैं। उनकी यह पहल निःशुल्क अर्थात् श्रमदान के रूप में है। इन अदभुत कलाकृतियों को देसी-विदेशी पर्यटकों द्वारा खूब पसंद किया जा रहा है।

मधुबनी चित्रकला में खासतौर पर कुल देवता का चित्रण होता है। हिन्दू देवी-देवताओं की तस्वीरें, प्राकृतिक नजारे जैसे शिव-पार्वती, राधा-कृष्ण, सूर्य, चंद्रमा, धार्मिक पेड़-पौधे जैसे तुलसी, पीपल आदि और विवाह के दृश्य भी उकेरे जाते हैं।  पेंटिंग दो तरह की होतीं हैं- भित्ति चित्र और अरिपन या अल्पना। चटख रंगों का इस्तेमाल खूब किया जाता है। जैसे गहरा लाल रंग, हरा, नीला और काला। कुछ हल्के रंगों से भी चित्र में निखार लाया जाता है जैसे- पीला, गुलाबी और नींबू रंग। इन रंगों को घरेलू चीजों से ही बनाया जाता है, जैसे हल्दी, चन्दन, केले के पत्ते, पलाश के फूल, पीपल की छाल आदि।

 

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