यात्रा पार्टनर नेटवर्क
वाराणसी के “पंचतीर्थी” में शामिल अस्सी घाट पर स्नान-ध्यान करने के बाद हम लोग टहलते हुए उसके ठीक पड़ोस में स्थित तुलसी घाट पहुंचे। यहां पर घूमते हुए एक पट्टिका पर “लोलार्क घाट” (Lolark Kund) लिखा दिखा तो मन में विचार आया कि कुछ ही दूरी पर स्थित श्री लोलार्केश्वर महादेव मन्दिर (Lolarkeshwar Mahadev Temple) में दर्शन किये जायें। इसी मन्दिर के पास है लोलार्क कुण्ड। यह कुण्ड वाराणसी के सबसे पुराने पवित्र स्थानों में से एक है। शतपथ ब्राह्मण और महाभारत में भी इसका उल्लेख है। कालान्तर में इन्दौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने इस कुण्ड के चारों तरफ कीमती पत्थरों से सजावट करवाई थी। मिस्र के उल्टे पिरामिड जैसे आकार का यह कुण्ड करीब 50 फीट गहरा और 15 फीट चौड़ा है। इसके बगल में एक कूप है जिससे इसे जल मिलता है।
मान्यता के अनुसार, सूर्य के रथ का पहिया गिरने से इस स्थान पर एक गहरा गड्डा बन गया था जो लोलार्क कुण्ड (Lolark Kund) नाम से विख्यात हुआ। इसको सूर्य कुण्ड भी कहते हैं। मान्यता है कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि (लोलार्क छठ) पर सूर्य की किरणें इस कुण्ड के जल को अत्यन्त प्रभावी बना देती हैं। इस दिन इस कुण्ड में स्नान करने की बड़ी मान्यता है। कहते हैं कि इससे लोलार्केश्वर महादेव प्रसन्न होते हैं और सन्तान प्राप्ति की कामना वाले दम्पतियों की मनोकामना पूरी कर देते हैं। स्नान करने के बाद दम्पती कुण्ड पर ही अपने कपड़े छोड़ देते हैं। साथ ही “फल दान” कर उस फल को वर्ष पर्यंत ग्रहण न करने का संकल्प लिया जाता है। भादो में यहां लक्खा मेला लगता है। इस दौरान स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व जियो साइन्टिस्ट प्रोफेसर राणा पीबी सिंह ने लोलार्क कुण्ड (Lolark Kund) की मान्यता और इसके साइन्टिफिक कनेक्शन पर कई दशकों तक अध्ययन किया है। इस स्टडी के अनुसार, “यह भारत का एकमात्र ऐसा कुण्ड है जिसकी चारों दिशाएं पूरी तरह से खगोलीय मानकों पर आधारित हैं। इसके उत्तर की ओर पोल कॉस्मिक नॉर्थ है, यानी खगोल विज्ञान के मानकों पर सटीक उत्तर की दिशा। लोलार्क षष्ठी पर सूर्य की किरणें इसके उत्तरी पोल से गुजरती हैं। ये किरणें उल्टे पिरामिड के आकार की सीढ़ियों और पोल से जैसे-जैसे नीचे जाती हैं, उनकी तीव्रता बढ़ती जाती है। गंगा के जल और किरणों की ओज से शरीर को जो ऊर्जा मिलती है, वह गर्भाधान में सबसे ज्यादा फायदेमन्द होती है।”
ऐसे पहुंचें लोलार्क कुण्ड (How to reach Lolark Kund)
वायु मार्ग : निकटतम हवाईअड्डे लाला बहादुर शास्त्री इण्टरनेशनल एयरपोर्ट से लोलार्क कुण्ड (Lolark Kund) करीब 28 किलोमीटर पड़ता है। वाराणसी के लिए देश के सभी बड़े शहरों से नियमित उड़ानें हैं।
रेल मार्ग : वाराणसी जंक्शन से लोलार्क कुण्ड (Lolark Kund) करीब साढ़े पांच किमी पड़ता है। इसके अलावा शहर में बनारस, वाराणसी सिटी और काशी रेलवे स्टेशन भी हैं। देश के सभी कोनों से वाराणसी के लिए नियमित ट्रेन सेवा है।
सड़क मार्ग : वाराणसी दिल्ली से करीब 866 और लखनऊ से 314 किमी दूर है। लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, गोरखपुर, बलिया, आजमगढ़, जौनपुर, अयोध्या आदि से वाराणसी के लिए सरकारी बस सेवा है।