इस झील का नाम खुर्पाताल इसलिए पड़ा क्योंकि इसकी आकृति घोड़े के तलवे यानि खुर के जैसी है। सर्दी के मौसम में भी इसका पानी हल्का गर्म रहता है। इस कारण इसे “गर्म पानी की झील” भी कहा जाता है।
न्यूज हवेली नेटवर्क
दिल्ली से हम रामपुर होते हुए वाया रुद्रपुर-हल्द्वानी नैनीताल पहुंचे थे। वापसी के लिए चेक-आउट करने होटल के काउंटर पर पहुंचे तो वहां कुछ लोगों को खुर्पाताल (Khurpatal) की खूबसूरती के बारे में बातचीत करते सुना। समय कम होने की वजह से हम खुर्पाताल नहीं जा पाये थे। ऐसे में तय हुआ कि वापसी वाया कालाढूंगी की जाये और रास्ते में कुछ देर खुर्पाताल में भी रुक लेंगे।
नैनीताल से 11 किलोमीटर ही आगे बढ़े थे कि देवदार के जंगलों के बीच एक छोटी से झील नजर आयी। साफ आसमान के नीच उसका क्रिस्टल क्लियर पानी शून्य में ठहर गयी आसमानी चुनरी-सा नजर आ रहा था। मैं विस्मित-सा यह अद्भुत नजारा देख ही रहा था कि वेणु ने कार में ब्रेक मार दिये। नीचे कुछ ही दूरी पर झील हमारे सामने थी। यही था खुर्पाताल (Khurpatal) जिसका पानी खुद-ब-खुद रंग बदलता है। (Khurpatal: The sky blue scarf stopped in the void)
इस झील का नाम खुर्पाताल (Khurpatal) इसलिए पड़ा क्योंकि इसकी आकृति घोड़े के तलवे यानि खुर के जैसी है। सर्दी के मौसम में भी इसका पानी हल्का गर्म रहता है। इस कारण इसे “गर्म पानी की झील” भी कहा जाता है। समुद्र तल से 1635 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह झील पहाड़ों और देवदार के घने पेड़ों से घिरी हुई है। आसपास बड़ी संख्या में चीड़ के दरख्त भी हैं। इसका पानी कभी लाल, कभी हरा, कभी धानी तो कभी नीला दिखाई देता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि इसका बदलता रंग भविष्य का संकेत देता है। जैसे हल्का लाल रंग किसी विपदा के आने का संकेत है। मार्च में इसका रंग धानी हो जाता जो खुशहाली का प्रतीक है। आसमान में बादल न हों तो यह झील उसी के रंग में रंग जाती है। सूरज के ढलने के साथ जब पेड़ों की परछाईं लम्बी होने लगती हैं तो झील का रंग हरा हो जाता है। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके तल में शैवाल (एल्गी) की 40 से अधिक प्रजातियां मौजूद हैं। एल्गी जब बीज छोड़ती है तो सूरज की किरणों की वजह से पानी अलग-अलग रंग का नजर आता है। यह झील मछली की कई प्रजातियों को प्राकृतिक आवास भी देती है। 19वीं शताब्दी तक खुर्पाताल अपने लौह औजारों के लिए प्रसिद्ध था पर अब हरी सब्जियों के लिए जाना जाता है।
खुर्पाताल जाने का अच्छा समय मार्च से जून तक है। बरसात के मौसम में भूस्खलन का खतरा बना रहता है। सर्दी के मौसम में हिमपात और पाला पड़ने पर यहां कड़ाके की सर्दी पड़ती है और तापमान जमाव बिन्दु के पास तक पहुंच जाता है।
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ऐसे पहुंचें
सड़क मार्ग : नैनीताल से यहां का रास्ता मात्र 12 किमी है। कालाढूंगी से यह करीब 25 और मुरादाबाद से लगभग 103 किमी पड़ता है। कालाढूंगी और नैनीताल से यहां के लिए बस और टैक्सी मिल जाती हैं।
रेल मार्ग : नैनीताल का निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम (36 किमी) है। हल्द्वानी और रामनगर रेलवे स्टेशन यहां से क्रमशः 42 किमी और 64 किमी पड़ते हैं।
हवाई मार्ग : पन्तनगर एयरपोर्ट नैनीताल से करीब 70 किमी है।
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