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अखरोटअखरोट

कश्मीर के छह जिलों में अखरोट (Walnu)  का उत्पादन होता है। किसान इसे सुरक्षित उत्पाद मानते हैं क्योंकि इसकी सेल लाइफ बहुत है और यह हर मौसम में इस्तेमाल होता है। यह कश्मीर के 40 प्रतिशत लोगों को किसी न किसी रूप में रोजगार देता है। कश्मीर में हर वर्ष 89,000 हैक्टेयर में अखरोट पैदा किया जाता है।

ब्लॉगर@न्यूज हवेली

श्मीर की फसलों की बात होने पर आमतौर पर सेब, केसर और बादाम की ही चर्चा होती है। ज्यादातर लोगों को यह जानकारी ही नहीं है कि कश्मीर भारत का सबसे बड़ा अखरोट (Walnu) उत्पादक है। देश का 90 प्रतिशत अखरोट कश्मीर में ही होता है। यहां का अखरोट यहां के सेब और बादाम की तरह ही लजीज और लाजवाब है। इसकी गिरी दुनिया में सबसे अच्छी मानी जाती है।

कश्मीर के छह जिलों में अखरोट (Walnu) का उत्पादन होता है। किसान इसे सुरक्षित उत्पाद मानते हैं क्योंकि इसकी सेल लाइफ बहुत है और यह हर मौसम में इस्तेमाल होता है। यह कश्मीर के 40 प्रतिशत लोगों को किसी न किसी रूप में रोजगार देता है। कश्मीर में हर वर्ष 89,000 हैक्टेयर में अखरोट पैदा किया जाता है। दक्षिण कश्मीर के अनन्तनाग और उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले अखरोट के बड़े उत्पादक हैं। बारामूला सेक्टर के उड़ी कस्बे में 60 प्रतिशत अखरोट (Walnu) की खेती होती है। हर साल 100 मीट्रिक टन अखरोट का कारोबार यहीं से होता है। उड़ी के लगामा इलाके में अखरोट की सबसे बड़ी मण्डी है। कश्मीर में 2017-2018 में 190,451 मीट्रिक टन, 2018 में 198,431 मीट्रिक टन, 2019 में 180,973 मीट्रिक टन, 2020-2021 में 177,070 मीट्रिक टन और 2021-2022 में 182,659 मीट्रिक टन अखरोट का उत्पादन हुआ।

पेड़ पर फलते कश्मीरी अखरोट।
पेड़ पर फलते कश्मीरी अखरोट।

अखरोट (Walnu) की फसल को उसके आखिरी समय में सहेजना सबसे थकाने वाला काम होता है। इसके लिए काफी लोगों की जरूरत होती है और लोग खेतों में गीत गाते हुये फसल को समेटने का काम करते हैं।

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सेहत का खजाना है अखरोट (Walnut is a treasure of health)

अखरोट (के वृक्ष) का वानस्पतिक नाम जग्लान्स निग्रा (Juglans Nigra) है। आधी मुट्ठी अखरोट में 392 कैलोरी ऊर्जा, 9 ग्राम प्रोटीन, 39 ग्राम वसा और 8 ग्राम कार्बोहाइड्रेट होता है। इसमें विटामिन ई और बी6, कैल्शियम और मिनेरल भी पर्याप्तं मात्रा में होते हैं।

कश्मीर की पहाड़ियों पर पैदा होने वाला अखरोट अपने अद्वितीय स्वाद के साथ ही पोषक तत्वों के लिए भी बहुत ही अच्छा माना जाता है। आमतौर पर नट्स में मोनोअनसैचुरेटेड वसा की उच्च मात्रा होती है जबकि कश्मीरी अखरोट में अल्फा-लिनोलेनिक एसिड और ओमेगा-3 समेत कई तरह के फैटी एसिड होते हैं जो हृदय के लिए अत्यन्त लाभदायक होते हैं। यह एकमात्र ऐसा अखरोट है जिसमें अल्फा-लिनोलेनिक एसिड होता है। इसमें सोडियम की मात्रा नगण्य होती है और यह कोलेस्ट्रॉल मुक्त होता है। इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, फास्फोरस और कॉपर भी होता है। इसके नियमित सेवन से रक्त के थक्के बनने की सम्भावना कम हो जाती है। (Kashmiri Walnut: A treasure of health along with taste)

अखरोट गिरी
अखरोट गिरी

ये लोग न खायें अखरोट (These people should not eat walnuts)

अखरोट को हालांकि सेहत का खजाना कहा जाता है पर कुछ लोगों के लिए इसका सेवन परेशानी का कारण बन सकता है। अखरोट में ऑक्सलेट्स नामक रसायन होता है जिससे कुछ लोगों को एलर्जी होने लगती है। जिन लोगों को इससे एलर्जी होता है उन लोगों के चेहरे, होंठों या गले में सूजन, सांस लेने में तकलीफ, दस्त, उलटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। कई बार तो गंभीर एलर्जी की वजह से ऑक्सीजन की कमी और दिल की धड़कन तेज होने जैसी गंभीर स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।

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अल्सर की समस्या वाले लोगों को अखरोट बिल्कुल नहीं खाना चाहिए। अखरोट में मौजूद उच्च मात्रा में फैट और तेल, पेट में अम्लता को बढ़ा देते है जिससे अल्सर जैसी स्थितियां और खराब हो सकती है जिन लोगों को पहले से ही अल्सर, एसिडिटी, गैस्ट्राइटिस या पेट से संबंधित कोई बीमारी है, उन्हें तो अखरोट बिल्कुल नहीं खाना चाहिए. अखरोट खाने से पेट में जलन, दर्द और ऐंठन जैसे लक्षण और भी बिगड़ सकते हैं। अखरोट में मौजूद वसा और कैलोरी शरीर के मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करके वजन और तेजी से बढ़ाते हैं। जिन लोगों का वजन पहले से अधिक है, उनमें तो यह समस्या और भी बिगड़ सकती है। जिन लोगों को मुंह, जीभ या गले में छाले होते रहते हैं, अखरोट का सेवन करने से उनकी समस्या बढ़ सकती है। अखरोट का तासीर गर्म होता है इसलिए गर्मी के मौसम में इसका सेवन न करना ही अच्छा है।

 

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