न्यूज हवेली नेटवर्क
दक्षिण भारत के तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश और केरल की तरह कर्नाटक के पकवान भी दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं, हालांकि यहां तीखे मसालों का इस्तेमाल अपेक्षाकृत कम होता है। कर्नाटक के ज्यादातर लोग शाकाहारी हैं पर यहां मछली, चिकन आदि से भी कई तरह के व्यंजन बनाये जाते हैं। ज्वार, बाजरा, रागी (मडुवा) और चावल यहां के मुख्य अनाज हैं। दही इस राज्य के सभी क्षेत्रों में भोजन का अभिन्न हिस्सा है। यहां के घरों और पारम्परिक भोजनालयों में केले के पत्ते पर खाना परोसा जाता है।
घुमक्कड़ी के दौरान आपने उत्तराखण्ड से लेकर पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र से लेकर असम-त्रिपुरा तक उडुपी होटल अवश्य देखे होंगे। आमतौर पर उत्तर भारत के लोग उडुपी होटलों को सभी तरह के दक्षिण भारतीय भोजन का ठिकाना समझते हैं पर हकीकत में ज्यादातर उडुपी होटल कर्नाटक के व्यंजन ही परोसते हैं। ऐसे ज्यादातर भोजनालय केनरा क्षेत्र के रहने वाले लोगों द्वारा संचालित किये जाते हैं। मसाला डोसा को पूरे भारत में लोकप्रिय बनाने का श्रेय उडुपी होटलों को ही जाता है।
नीर डोसा
कर्नाटक की तुलु बोली में नीर शब्द का अर्थ है पानी। इस डोसे को बनाने के लिए चावल को कुछ घंटे के लिए पानी में भिगोया जाता है और फिर इन चावलों का बैटर तैयार किया जाता है। यह डोसा बेहद पतला और क्रिस्पी होता है। इसको नारियल की चटनी, करी या सांभर के साथ परोसा जाता है।
मैसूर मसाला डोसा
इसे आप पैन केक भी कह सकते हैं जो डोसा का ही एक और रूप है। इस कुरकुरे डोसे को चावल, सूजी और उड़द या चने की दाल के घोल से तैयार किया जाता है। इसमें लाल चटनी, मैश किए हुए आलू और प्याज को भरा जाता है। इसे सांभर और नारियल से बनायी गयी लाल चटनी के साथ परोसा जाता है।
अल्लुगेद्दा
यह मैश किये हुए आलू, टमाटर, काले चने और प्याज से तैयार एक प्रसिद्ध मसालेदार व्यंजन है। इसे आमतौर पर डोसा या चावल के साथ परोसा जाता है। आप चाहें तो इसे नाश्ते में चाय या कॉफी के साथ भी खा सकते हैं।
बीसी बेले बाथ
बीसी बेले बाथ कर्नाटक का एक पारम्परिक व्यंजन है। इसकी रेसिपी थोडी जटिल है। इसे बनाने के लिए चावल, तुअर की दाल, प्याज, आलू, बैंगन, सहजन की फली, बीन्स, हरी मटर, साबूत धनिया, साबूत लाल मिर्च, हींग, थोड़ी सी उड़द दाल, दालचीनी, लौंग, राई, करी पत्ता, तेल, घी का इस्तेमाल किया जाता है। दरअसल, बीसी बेवे बाथ खिचड़ी का ही एक वर्जन है जिसे बनाने में गुड़, इमली के पानी और काजू का भी प्रयोग किया जाता है। इसे परोसते समय ऊपर से गर्म देसी घी डाला जाता है और पापड़ एवं रायते के साथ खाया जाता है। इसके गुणों के कारण इसे एक सम्पूर्ण भोजन माना जाता है।
उडुपी सांभर
उडुपी सांभर में केरल और तमिलनाडु के सांभर की तुलना में अधिक मासले डाले जाते हैं। साथ ही यह कुछ मीठा भी होता है। इसे बनाने के लिए लाल मिर्च, नारियल, हींग, साबूत धनिया, मेथी के बीज और साबूत जीरे तथा चना, उड़द या तुअर की दाल का इस्तेमाल किया जाता है। इस सांभर को डोसा और इडली के साथ परोसा जाता है। दोपहर के भोजन में लोग इसे चावल के साथ भी खाते हैं।
मद्दुर वड़ा
मद्दुर वड़ा कर्नाटक के सबसे प्रसिद्ध स्नैक्स में शामिल है। इस स्नैक को यह नाम मांड्या जिले के मद्दुर कस्बे से मिला है जो बंगलुरु से करीब 80 किलोमीटर दूर है। इसको बनाने के लिए मैदे में चावल के आटे के साथ प्याज, हरी मिर्च, करी पत्ते, घिसे हुए, नारियल सौंफ और जीरे का इस्तेमाल किया जाता है। इसको नारियल या टमाटर की चटनी के साथ परोसा जाता है।
चित्राना
इसको चावल और अनेक प्रकार की मौसमी सब्जियों को मिलाकर बनाया जाता है। इसे नारियल की चटनी या दही के साथ परोसा जाता है।
इडली
दक्षिण भारत का यह पारम्परिक व्यंजन एक तरह का नमकीन स्पंजी केक है। इसको बनाने के लिए चावल और उड़द या काले चने के घोल को सांचे में डालने के बाद भाप में पकाया जाता है। इसे सांभर और नारियल की चटनी के साथ परोसा जाता है।
मैसूर बोंडा
मैसूर बोंडा या मैसूर भाजी को मैदा, चावल के आटे और दही से बनाया जाता है। कुछ स्थानों पर इसे बनाने के लिए उड़द दाल का भी इस्तेमाल किया जाता है। इसे तैयार करने के लिए मैदा, चावल और दही का गाढ़ा घोल तैयार कर उसमें जीरा, बेकिंग पाउडर, हरी मिर्च, प्याज, अदरक, नारियल, पसन्द की सब्जियां, हरा धनिया, नमक आदि मिलाये जाते हैं। इस तैयार सामग्री को गोल-गोल आकार में घी या तेल में तला जाता है। इसे नारियल की चटनी और सांभर के साथ परोसा जाता है।
जोलाडा रोटी
इस रोटी को ज्वार के आटे में नमक मिलाकर बनाया जाता है। इसे भरवां बैंगन या चटनी के साथ परोसा जाता है। कर्नाटक में और भी कई तरह की रोटियां बनायी जाती हैं। जैसे, अक्की रोटी, रागी रोटी।
आम की चटनी
कच्चे आम से बनायी जाने वाली इस चटनी को माविनाकाई चटनी भी कहा जाता है। इसे बनाने के लिए कच्चे आम के साथ नारियल, उड़द दाल और मिर्च का भी इस्तेमाल किया जाता है। इसे डोसा या चावल के साथ परोसा जाता है।
मंगलूरियन बिरयानी
मंगलूरियन बिरयानी शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह की बनायी जाती है। इसे बनाने के लिए चावल को नारियल, धनिये के बीज, इलायची, सौंफ, लौंग, अदरक, सूखी लाल मिर्च, लहसुन और जीरा के पेस्ट के साथ पकाया जाता है। शाकाहारी बिरयानी बनाने के लिए इसमें मौसमी सब्जियां, काजू आदि डाले जाते हैं जबकि मांसाहारी मंगलोरियन बिरयानी बनाने के लिए चिकन या मीट का इस्तेमाल किया जाता है। इस बिरयानी को रायता या दही के साथ परोसा जाता है।
केन रवा फ्राई
केन रवा फ्राई एक फिश डिश है। इसे बनाने के लिए मछली की आंतड़ियां निकालकर उसमें मसाला भरा जाता है। फिर इन मछलियों को सूजी की परत चढ़ाकर तेल में फ्राई किया जाता है। सूजी की परत के कारण यह ऊपर से कुरकुरा और अंदर से मसालेदार नरम होता है। इसे चटनी या सॉस के साथ खाते हैं।
कूर्ग पांडी करी
इसे बनाने के लिए सूअर के मांस को मसाला पेस्ट में पकाया जाता है। गहरे रंग का यह मसालेदार व्यंजन अत्यंत स्वादिष्ट होता है। कुछ लोग इसे बनाने में स्थानीय स्तर पर उगाए जाने वाले कांचमपुली फल का भी इस्तेमाल करते हैं। कांचमफुली इसे विशिष्ट खट्टा स्वाद देता है। इसको चावल की रोटी के साथ परोसा जाता है।
कोरी गोस्सी
कोरी का मतलब चिकन और गोस्सी का अर्थ होता है करी। इस करी को तैयार करने के लिए चिकन के टुकड़ों को मसालों में डालकर इमली और ताजे नारियल के साथ पकाया जाता है। इसे नीर डोसा या रोटी के साथ परोसा जाता है। चावल के साथ खाने पर इसका स्वाद और बढ़ जाता है।
कुण्डापुरा कोली सारू
कुण्डापुरा कोली सारू या कुण्डापुरा चिकन करी एक मंगलूरियन डिश है जो मंगलुरु के तटीय क्षेत्र में अत्यंत लोकप्रिय है। इसकी ग्रेवी को नारियल के दूध के साथ प्याज, लहसुन, अदरक व अन्य मसालों के पेस्ट को पका कर तैयार किया जाता है। इसको नीर डोसा, रोटी और चावल के साथ खाया जाता है।
मैसूर पाक
कन्नड़ भाषा में पाक शब्द का अर्थ होता है शक्कर या चीनी का घोल। मैसूर पाक को पहली बार मैसूर पैलेस की रसोई में तैयार किया गया था। देखने में साधारण-सी लगने वाली यह मिठाई पूर भारत में प्रसिद्ध है जिसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इसे केवल तीन चीजों बेसन, घी और चीनी से बनाया जाता है। इसकी बनावट और स्वाद इसमें डाले गये घी की मात्रा पर निर्भर करते हैं। दीपावली पर मिठाइयों की दुकानों पर इसके थाल सजे रहते हैं। हालांकि आज भी कर्नाटक के लोग इसे घर पर ही बनाने को प्रथामिकता देते हैं।
चिरोटी
कर्नाटक के इस पारम्परिक मीठे पकवान को मैदा अथवा गेहूं के आटे से बनाया जाता है। यह एक तरह की परतदार पेस्ट्री है जिसे तलने के बाद इलायची मिले चीनी के बख्खर में डुबो दिया जाता है। फ्लैक पेनी और मेंडिगे भी चिरोटी कुल के मीठे व्यंजन हैं।
हालबाई
यह कर्नाटक का एक प्रसिद्ध मीठा पकवान है जिसे चावल, नारियल, नारियल के दूध और गुड़ से बनाया जाता है। पर्व-त्योहारों के दौरान घर-घर में इसे बनाया जाता है। लोग इसे अपनी रुचि के अनुसार गर्म या ठंडा खाते हैं।
रवा केसरी
यह पकवान एक तरह का हलवा है जिसे सूजी, घी, मेवे, चीनी और केसरसे बनाया जाता है। इसे बनाने के लिए सबसे पहले सूजी को घी में भूना जाता है। लोग इसके स्वाद को लेकर कई तरह के प्रयोग करते हैं। कोई इसमें अनानास का पेस्ट मिलाता है तो कोई केले को मैस कर मिलाता है।
पोरी उरंडई
उत्तर भारत में इसे लइया या परमल के लड्डू कहते हैं। इसे तैयार करने के लिए गुड़ को एक निश्चित ताप पर गरम किया जाता है, फिर परमल को इसमें मिलाया जाता है और ठंडा होने पर लड्डू बनाते हैं। ठंडा होने पर इन लड्डूओ का स्वाद कुरकुरा और मीठा होता है। आमतौर पर इस व्यंजन को घरों में स्टॉक के तौर पर रख लिया जाता है।