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मारवाड़ रजवाड़े की प्राचीन राजधानी मण्डोर थी। राठौड़ राजवंश के राव जोधा ने 1459 में जोधपुर की स्थापना कर इसे राजधानी बनाया। अब यह राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। यहां के पुराने शहर का अधिकतर भाग मेरानगढ़ दुर्ग को घेरे हुए बसा है।

न्यूज हवेली नेटवर्क

थार के रेगिस्तान के बीच भव्य महलों और मन्दिरों का शहर जहां मेहरानगढ़ दुर्ग के घेरे हुए हैं हजारों नीले मकान। यह जोधपुर (Jodhpur) है। वर्ष पर्यन्त चमकते सूर्य वाले मौसम के कारण इसे “सूर्य नगरी” भी कहा जाता है। हालांकि यह “नीली नगरी” के नाम से ज्यादा प्रसिद्ध है। (Jodhpur: “Blue City” of Thar Desert)

मारवाड़ रजवाड़े की प्राचीन राजधानी मण्डोर थी। राठौड़ राजवंश के राव जोधा ने 1459 में जोधपुर की स्थापना कर इसे राजधानी बनाया। अब यह राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। यहां के पुराने शहर का अधिकतर भाग मेरानगढ़ दुर्ग को घेरे हुए बसा है। आठ विशाल द्वारों व अनगिनत बुजों से युक्त यह किला ऊंची दीवार से घिरा है जिसमें मोती महल और फूल महल समेत कई महल हैं। वर्ष 2014 में इसको विश्व के अति विशेष आवास स्थानों (मोस्ट एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी प्लेसेज़ ऑफ़ द वर्ल्ड) की सूची में पहला स्थान मिला था। जोधपुर(Jodhpur) में ओसवाल समाज की कुलदेवी सच्चिका माता का मन्दिर एवं सूर्य मन्दिर के अलावा कुल 16 प्राचीन मन्दिर है जिनका निर्माण 7वीं से 10वीं शताब्दी के मध्य में प्रतिहारों द्वारा करवाया गया।

जोधपुर के प्रमुख दर्शनीय स्थल (Major tourist places of Jodhpur)

जोधपुर का मेहरानगढ़ दुर्ग

मेहरानगढ़ किला, मेहरानगढ़ संग्रहालय, जसवंत थड़ा, उम्मेद भवन पैलेस, आध्यात्मिक ध्यान केन्द्र, मण्डोर गार्डन, अरना झरना, अरना झरना मरु संग्रहालय, महा मन्दिर, बाल समन्द झील, कायलाना झील आदि यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं। जोधपुर जिले की ओसिया तहसील तराशे हुए सुन्दर मन्दिरों के लिए प्रसिद्ध है। जोधपुर (Jodhpur) आने वाले हिन्दू पर्यटक तिवरी के प्रचीन खोखरी माता मन्दिर में भी दर्शन करने जाते हैं। जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित है लूनी किला जिसे अब हेरिटेज होटल में परिवर्तित कर दिया गया है। पाल हवेली से सूर्यास्त का दृश्य अद्भुत होता है। इसके अलावा डेजर्ट सफारी का आनन्द भी ले सकते हैं।

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क्या खायें

जोधपुर (Jodhpur) अपने स्वादिष्ट व्यंजनों के लिए भी जाना जाता है। यहां दूध के बने खाद्य पदार्थों का ज्‍यादा प्रयोग होता है। जैसे मावा के लड्डू, रबड़ी लड्डू,  मावा कचौरी, दूध फिरनी, क्रीम वाली लस्सी आदि। यहां का मिर्ची बड़ा, प्याज की कचौड़ी, बेसन के गट्टों की सब्जी, दाल-बाटी और चूरमा लड्डू भी प्रसिद्ध हैं। यहां के लोग गेहूं के आटे की बनी रोटी के बजाय सोगरा (बाजरे के आटे से बनी रोटी) खाना पसन्द करते हैं। इसे चटनी, साग, प्याज और छाछ के साथ खाया जाता है।

ऐसे पहुंचें जोधपुर (How to reach Jodhpur)

वायु मार्ग : जोधपुर इण्टरनेशलन एयरपोर्ट मुख्य शहर से मात्र पांच किलोमीटर दूर है।

रेल मार्ग : जोधपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन के लिए दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई, लखनऊ, बरेली, गुवाहाटी, पटना, तिरुवनन्तपुरम, नागपुर, पुणे, जयपुर, अलवर, अहमदाबाद, बंगलुरु, हैदराबाद, भोपाल  आदि से सीधी ट्रेन सेवा है।

सड़क मार्ग : जोधपुर(Jodhpur) दिल्ली से करीब 600 और जयपुर से लगभग 336 किलोमीटर दूर है। राजस्थान के सभी प्रमुख शहरों से यहां के लिए सरकारी बस सेवा है। पर्यटक चाहें तो चार्टर्ड बस, टैक्सी और कैब भी कर सकते हैं।

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