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झारखण्ड के पारम्परिक भोजन में मुख्य रूप से रागी या गेहूं के आटे की रोटी, भात, दाल, चोखा, सब्जी, दाल, घुगनी, चटनी, अचार, पापड़ और घी शामिल होता है।

अनुवन्दना माहेश्वरी

झारखण्ड भारत के पांच राज्यों बिहार, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, ओडिशा और उत्तर प्रदेश के साथ अपनी सीमाएं साझा करता है। इस कारण जनजातीय बहुल होने के बावजूद यहां के रहन-सहन और खान-पान में इनकी छाप दिखती है। यहां के पारम्परिक भोजन में मुख्य रूप से रागी या गेहूं के आटे की रोटी, भात, दाल, चोखा, सब्जी, दाल, घुगनी, चटनी, अचार, पापड़ और घी शामिल होता है। इसके बावजूद यहां के खानपान में कुछ ऐसी चीजें शमिल हैं जो इसके पड़ोसी राज्यों से कुछ अलग हैं। इस पकवानों का अपना अलग स्वाद है। (Food of Jharkhand)

झारखण्ड के प्रमुख पकवान (Main dishes of Jharkhand)

लिट्टी चोखा :

लिट्टी चोखा
लिट्टी चोखा

यह झारखण्ड का पारम्परिक नाश्ता है। इसे बनाने के लिए गेहूं के आटे की लोई बनाकर उसके अंदर चने के सत्तू, मसालों और जड़ी-बूटियों का मिश्रण भरा जाता है। इस लिट्टी को कोयले और कण्डे की आग में पकाकर घी में डुबोया जाता है। इसको चोखे के साथ खाया जाता है। आलू और बैगन से बनाये जाने वाले भर्ता को ही झारखण्ड और बिहार में चोखा कहा जाता है। इसे बनाने के लिए सबसे पहले आलू अथवा बैगन को कण्डे और कोयले की आंच में भूंजा जाता है। अच्छी तरह से पक जाने पर छिलका उतार कर मैस करते हैं। इसमें प्याज, मसाले और सरसों का तेल डालकर अच्छे से मिला लिया जाता है। इसे लिट्टी, रोटी या चावल के साथ परोसा जाता है।

पीठा :

पीठा
पीठा

मोमो से मिलती-जुलती इस डिश को बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के साथ ही झारखण्ड में भी पसंद किया जाता है। यह मूल रूप से चावल अथवा गेहूं के आटे की गुझिया जैसी डिश होती है जिसमें आलू का चोखा, विभिन्न प्रकार की दालें, मावा या गाढ़ा दूध भर कर भाप में पकाया जाता है। इसे मीठा और नमकीन दोनों ही तरह से बना सकते हैं। मकर संक्रान्ति पर इसे लगभग सभी घरों में बनाया जाता है।

धुसका :

धुसका
धुसका

राज्य के लोगों के मनपसन्द भोजन में धुस्का भी शामिल है। इसे बनाने के लिए चावल और उड़द की दाल के गाढ़े घोल से बनी पकौड़ियों को तेल में तला जाता है। इसे आमतौर पर घुगनी और धनिया की चटनी के साथ परोसा जाता है।

घुगनी :

घुगनी
घुगनी

इसकी मुख्य सामग्री है काला चना। इसे बनाने के लिए भिगा कर रखे गये चनों को प्याज, टमाटर, लहसुन, अदरक, हरी मिर्च, तेजपत्ता, जीरा, लाला मिर्च पाउडर, गरम मसाला आदि के साथ पकाया जाता है।

चिल्का रोटी :

चिल्का रोटी
चिल्का रोटी

चावल और चने का आटा झारखण्ड की भोजन परम्परा के अभिन्न अं हैं। चिल्का रोटी चावल के आटे, चने के आटे और उड़द की दाल से बनाई जाती है जो दक्षिण भारत में बनने वाले डोसा से काफी मिलती-जुलती है। इसे आलू की सब्जी अथवा मटन के साथ परोसा जाता है। स्थानीय लोग इसे प्रायः रात के भोजन में शामिल करते हैं।

मडुआ रोटी :

मडुआ की रोटी
मडुआ की रोटी

मडुआ (मडुवा या रागी) एक प्रकार का मोटा अनाज है जिसमें भरपूर पोषक तत्व होते हैं। झारखण्ड में पारम्परिक रूप से इसकी ही रोटी ही खायी जाती है, हालांकि अब गेहूं की रोटी का प्रचलन बढ़ रहा है।

रूगडा :

रूगडा
रूगडा

फुटका या रूगडा झारखण्ड का विशिष्ट मौसमी व्यंजन है जिसे बरसात के मौसम में रेतीले इलाकों और जंगलों में उत्पन्न होने वाले एक विशेष प्रकार के मशरूम से तैयार किया जाता है। छोटा नागपुर के पठार में इसकी सर्वाधिक पैदावार होती है। यह धरती में नीचे की ओर बढ़ता है, इस कारण जानकार लोग ही इसे इकट्ठा कर पाते हैं।

बांस करिल :

बांस करिल
बांस करिल

इसको बांस के छोटे-छोटे नये पौधों अथवा कोमल टहनियों के टुकड़ों को मसालों के साथ फ्राई कर बनाया जाता है। सरसों और लहसुन इसके अनिवार्य तत्व हैं जो इसके जायके को और निखार देते हैं। इसका स्वाद कुछ मीठा और खट्टा होता है। यह फाइबर और पोषक तत्वों से भरपूर होता है।

हंडिया :

हंडिया
हंडिया

जनजातियों द्वारा तैयार किये जाने वाले इस पेय को चावल की बीयर भी कह सकते हैं। झारखण्ड का यह सबसे लोकप्रिय और प्रसिद्ध पेय चावल और 20-25 जड़ी बूटियों का एक संयोजन है। इसे तैयार करने के लिए पहले चावल को उबालकर भात बनाया जाता है। फिर इसमें जड़ी-बूटियों का मिश्रण (रानू) मिलाकर किण्वन के लिए छोड़ देते हैं। हल्का नशा देने वाला यह पेय एक सप्ताह में तैयार हो जाता है।

तिल बर्फी :

तिल बर्फी
तिल बर्फी

यह झारखण्ड की सिग्नेचर मिठाई है जिसकी मुख्य सामग्री गुड़ और तिल हैं। सर्दी के मौसम में यह मिठाई की लगभग सभी दुकानों पर मिलती है। मकर संक्रन्ति पर इसे लगभग सभी घरों में बनाया जाता है।

मालपुआ :

मालपुआ
मालपुआ

इसको बनाने के लिए गेहूं के आटे, दूध, मलाई और केले के मिश्रण से तैयार पुओं को घी की कड़ाही में डीप फ्राई किया जाता है। इसके बाद इन्हें चीनी की चाशनी में डुबोया जाता है। रांची और आसपास के इलाकों में इसमें अनानास भी मिलाया जाता है। वैसे तो इसको पूरे साल बनाया जाता है पर होली की पूर्व संध्या पर झारखण्ड में शायद ही कोई ऐसा घर हो जिसमें ताजे मालपुआ की सुगंध न फैलती हो।

ठेकुआ :

ठेकुआ
ठेकुआ

इसे गेहूं के आटे, सौंफ और चीनी या गुड़ की चाशनी से बनाया जाता है। इसे सुबह-शाम नाश्ते के तौर पर खाया जाता है। छठ पूजा के अवसर पर इसे बतौर प्रसाद तैयार किया जाता है। अब लोग इसमें इलायची के अलावा काजू और बादाम के कतरे भी डालने लगे हैं। इसकी सुगन्ध किसी की भी भूख बढ़ा सकती है।

अनरसा :

अनरसा
अनरसा

चावल के आटे में गुड़ या चीनी मिला कर तैयार किया जाने वाला अनरसा नाश्ते के लिए एक स्वादिष्ट विकल्प है। तलने के बाद इसे भुने हुए तिल में घुमा दिया जाता है जिससे वे इस पर चिपक जाते हैं।

दुधौरी :

दुधौरी
दुधौरी

यह बिहार के साथ ही झारखण्ड की भी राजकीय मिठाई है। इसे खासतौर पर चावल की नयी फसल आने पर चावल, दूध और चीनी की चाशनी से तैयार किया जाता है। इसे देसी गुलाबजामुन भी कह सकते हैं। नवरात्र और दुर्गापूजा में इसका भोग लगाया जाता है।

(Dishes of Jharkhand)

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