Jahaz Mahal : मध्य प्रदेश के माण्डू में स्थित जहाज महल (Jahaz Mahal) अपनी सुन्दर महराबों, मण्डपों आदि के कारण बहुत प्रसिद्ध है। इसमें हिन्दू अलंकरणों का प्रयोग बहुत ही खास तरीके से किया गया है। महल के दोनों तरफ कृतिम तालाब गर्मी के मौसम में इमारत को ठंडा रखने के लिए बनाये गए थे। दोनों तलाबों के आसपाल सुन्दर बगीचे हैं।
न्यूज हवेली नेटवर्क
जहाज आमतौर पर समुद्र में चलते हैं। भारत में नदियों की ऐसा धाराएं कम ही हैं जिनमें जहाज चलाये जा सकें। लेकिन, मुम्बई के समुद्र तट से करीब 528 किमी दूर विन्ध्याचल की पहाड़ियों पर एक दो मंजिला भवन की संरचना लोगों को चौंका देती है। दो कृत्रिम झीलों कपूर तालाब और मुंजे तालाब के बीच स्थित वास्तुकला का यह चमत्कार दूर से देखने पर पानी पर तैरते जहाज जैसा लगता है। यह जहाज महल (Jahaz Mahal) है। सुल्तान गयासुद्दीन खिलजी ने सन् 1469-1500 के बीच इसका निर्माण कराया था। इसका इस्तेमाल वह अपने हरम के तौर पर करता था। कहा जाता है कि यहां एक हजार से अधिक महिलाएं रहती थीं।120 मीटर लंबा यह महल अफगानिस्तान से खासतौर पर बुलाये गये वास्तुविद् की देखरेख में बनाया गया था।
मध्य प्रदेश के माण्डू में स्थित जहाज महल (Jahaz Mahal)अपनी सुन्दर महराबों, मण्डपों आदि के कारण बहुत प्रसिद्ध है। इसमें हिन्दू अलंकरणों का प्रयोग बहुत ही खास तरीके से किया गया है। महल के दोनों तरफ कृतिम तालाब गर्मी के मौसम में इमारत को ठंडा रखने के लिए बनाये गए थे। दोनों तलाबों के आसपाल सुन्दर बगीचे हैं।
डॉ राधा कुमुद मुखर्जी ने जहाज महल (Jahaz Mahal) एवं इससे कुछ ही दूर स्थित हिण्डोला महल की प्रशंसा में लिखा है, “मांडू के हिंडोला महल और जहाज महल (Jahaz Mahal) मध्यकालीन भारत की वास्तुकला के सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं। इनमें इस्लामी प्रभावजन्य संरचनात्मक आधार की भव्यता, अति विशालता तथा हिन्दू अलंकरणों की सुन्दरता, परिष्कृति एवं सूक्ष्मता का विवेकपूर्ण समन्वय है।”
जहाज महल (Jahaz Mahal) पर्यटकों के लिए सुबह छह बजे से शाम के सात बजे तक खुला रहता है। माण्डू घूमने के लिए अक्टूबर से मार्च तक का समय सबसे अच्छा माना जाता है। अप्रैल से जून तक यहां का मौसम बहुत गर्म होता है। यह पर्वतीय क्षेत्र है और आसपास घने जंगल हैं। ऐसे में बरसात में माण्डू जाने का कार्यक्रम न बनाना ही अच्छा रहेगा।
जहाज महल के आसपास के दर्शनीय स्थल (Places to visit around Jahaz Mahal)
रानी रूपमती का मण्डप, बाज बहादुर महल, जामा मस्जिद, हिंडोला महल, रेवा कुण्ड, अशर्फी महल, जैन मन्दिर, श्री चतुर्भुज राम मन्दिर, होशंगशाह का मकबरा, दारा खान का मकबरा, चम्पा बावली और हम्माम, तवेली महल आदि।
ऐसे पहुंचें जहाज महल (How to reach Jahaj Mahal)
वायु मार्ग : इन्दौर का देवी अहिल्याबाई होलकर इण्टरनेशनल एयरपोर्ट माण्डू से करीब 96 किलोमीटर दूर है। दिल्ली, मुम्बई, ग्वालियर, भोपाल आदि से यहां के लिए नियमित उड़ानें हैं।
रेल मार्ग : माण्डू में कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। इन्दौर जंक्शन यहां से करीब 99 किमी पड़ता है जहां के लिए नयी दिल्ली, मुम्बई, ग्लावियर, भोपाल, लखनऊ, बरेली आदि से सीधी ट्रेन सेवा है। रतलाम रेलवे स्टेशन यहां से लगभग 132 किमी पड़ता है। इन्दौर और रतलाम से आप बस या टैक्सी के माध्यम से माण्डू पहुंच सकते है। हालांकि धार (39 किमी) में भी रेलवे स्टेशन है पर वहां गिनीचुनी ट्रेनों का ही ठहराव है।
सड़क मार्ग : माण्डू राष्ट्रीय राजमार्ग और राज्य राजमार्ग दोनों से अच्छी तरह जुड़ा है। धार, इन्दौर और रतलाम से यहां के लिए सरकारी और निजी बसें तथा टैक्सी मिल जाती हैं।